इंदौर के यशवंत क्लब सचिव ने याचिकाकर्ता को असामाजिक तत्व, बदमाश बताया, दैनिक भास्कर को लेकर कहा उन्हें कोई बयान नहीं दिया

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Pratibha Rana
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इंदौर के यशवंत क्लब सचिव ने याचिकाकर्ता को असामाजिक तत्व, बदमाश बताया, दैनिक भास्कर को लेकर कहा उन्हें कोई बयान नहीं दिया

संजय गुप्ता, INDORE. इंदौर के यशवंत क्लब में स्पेशल कैटेगरी में नई सदस्यता देने पर रोक जारी रहेगी। क्लब सचिव ने सुनवाई के दौरान फर्म्स एंड सोसायटी को अपना 20 पन्नों का लिखित जवाब दे दिया है। इसमें याचिकाकर्ताओं के उठाए मुद्दों पर जवाब देने के साथ ही याचिककर्ता के लिए भी गंभीर टिप्पणियां कर दी है। फर्म्स एंड सोसायटी ने सचिव की तत्काल सदस्यता रोक को हटाने की मांग खारिज कर दी है और अगली सुनवाई अब मतदान के बाद 5 दिसंबर रखी गई है। इस सुनवाई में ही आगे तय होगा कि सदस्यता प्रक्रिया होल्ड रहेगी या स्टे हटेगा।

याचिकाकर्ता के लिए यह लिखा सचिव गोरानी ने

क्लब सचिव संजय गोरानी ने यह जवाब पेश किया है। इसमें बिंदु 7 में लिखा है कि कुछ असामाजिक तत्वों और बदमाशों ने मिलकर हमारे क्लब के खिलाफ साजिश रची है। क्लब के कामकाज को बाधित करने के लिए गुप्त और दुर्भावनापूर्ण उद्देश्यों के लिए यह याचिका लगी है। यह याचिका असंतुष्ट सदस्य द्वारा उपद्रव पैदा करने और मुद्दे को सनसनीखेज बनाने के लिए दुर्भावनापूर्ण चाल है।

दैनिक भास्कर में छपे बयान को लेकर कहा ऐसा कभी नहीं बोला

याचिकाकर्ता बलमीत सिंह छाबड़ा ने यह भी अपनी याचिका में कहा था कि 182 कुल मिले फार्म में दस फार्म यह कहते हुए खारिज किए गए कि इनके आपराधिक रिकार्ड थे और यह बयान गोरानी ने दैनिक भास्कर समाचार पत्र में 10 अक्टूबर को दिया था, जो छपा था। वह स्पष्ट करें कि किस आधार पर फार्म रिजेक्ट किए। इस पर गोरानी ने कहा कि वह इस बयान से इनकार करते हैं, किसी ने भी ऐसा बयान नहीं दिया। क्लब के पदाधिकारी और कोई भी जिम्मेदार द्वारा टिप्पणी नहीं की जाती है। जब तक शपथपत्र पर सक्षम प्राधिकारी के सामने बयान नहीं हो, उनका कोई मतलब नहीं होता। शिकायकर्ता का यह आरोप भ्रामक है।

लंबे-चौड़े जवाब में माना हमने सदस्यता होल्ड कर दी

याचिकाकर्ता बलमीत सिंह छाबड़ा के अधिवक्ता अजय मिश्रा ने द सूत्र को बताया कि हमने पूरे क्लब मैनेजिंग कमेटी के साथ क्लब के हर पदाधिकारी को भी व्यक्तिगत पार्टी बनाया था, लेकिन जवाब केवल गोरानी ने ही सभी की ओर से दे दिया, जो विधिक नहीं है। उन्होंने अपने जवाब में यह कबूला है कि सदस्यता प्रक्रिया को होल्ड कर दिया है, लेकिन यह नहीं बताया कि संविधान संशोधन होने से पहले कैसे फार्म वितरित कर 15-15 हजार रुपए में बेच दिए, जबकि यह कहा कि राशि ली है, उसे अलग मद में लिया है वह उपयोग में नहीं ला रहे हैं। सचिव ने यह नहीं बताया कि आखिर प्राथमिकता क्रम किस तरह हुआ कि पहले कौन सदस्य बनेगा और फिर आखरी में कौन बनेगा? जो सूची में निचले पायदान पर है उसे तो चार साल लगेंगे सदस्य बनने में तो प्राथमिकता तय करना यह बड़ा बिंदु है। इस पर कोई जवाब नहीं है। सचिव ने यह कहा कि सदस्यता आवेदन की जांच करना कि उन पर क्या सिविल, आपराधिक केस है, यह जिम्मेदारी हमारी नहीं हम कोई ज्यूडिशियल बॉडी नहीं है। फिर दस फार्म कैसे रिजेक्ट हुए इसका आधार क्या रहा? इसका भी जवाब सचिव ने नहीं दिया। माना जा रहा है कि गोरानी ने यह जवाब इसलिए दिए ताकि आगे जाकर मोनू उर्फ हरपाल सिंह भाटिया के गैंगरेप के केस को लेकर लगे निजी परिवाद और कोर्ट से फाइल चुराने के आरोप, लोकायुक्त छापे में उलझे आबकारी अधिकारी पराक्रम की सदस्यता को लेकर विवाद नहीं आए। साथ ही इसी बहाने उन्होंने मिस द बस स्कीम के तहत अपने 420 के आरोपी और 61 वर्षीय भाई नरेंद्र गोरानी की सदस्यता का भी बचाव करने का प्रयास किया है।

फर्म्स एंड सोसायटी आदेश पर भी की टिप्पणियां

गोरानी ने अपने जवाब में फर्म्स एंड सोसायटी द्वारा यथास्थिति रखने संबंधी 27 अक्टूबर के आदेश को लेकर भी विपरीत टिप्पणियां की है। उन्होंने कहा कि हमने सभी काम प्रक्रिया से किए हैं। एजीएम और ईओजीए में लिए फैसले पर काम हो रहे हैं, ऐसे में फर्म्स एंड सोसायटी को इसे रोकने का कोई अधिकार नहीं है। याचिकाकर्ता की अपील पर एकतरफा फैसला लिया गया है। सोसायटी ने अपने अधिकार क्षेत्र के बाहर जाकर फैसला लिया है।

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