अतिथि विद्वान के लिए CM की घोषणा से युवा उम्मीदवार निराश, बोले- हमारा रास्ता रोका जा रहा, उधर PSC ने कहा- नहीं बदलेंगे सेट के नियम

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Pratibha Rana
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अतिथि विद्वान के लिए CM की घोषणा से युवा उम्मीदवार निराश, बोले- हमारा रास्ता रोका जा रहा, उधर PSC ने कहा- नहीं बदलेंगे सेट के नियम

संजय गुप्ता, INDORE. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने चुनाव के पहले अतिथि विद्वान की पंचायत करते हुए कई राहतों की घोषणा की है। इन्हें पीएससी में आरक्षण देने, 50 हजार मासिक वेतन देने, बाहर नहीं करने जैसी अहम घोषणाएं शामिल है। लेकिन इससे युवा उम्मीदवार नाराज और निराश है। इनका कहना है कि यह सब हमारे नौकरी के रास्ते रोकने के तरीके हैं। सामान्य पीजी करे हुए को भी अतिथि विद्वान बनाया जाता है, लेकिन हमारे पीएससी में चयन कर स्थाई नौकरी के लिए रोड़े अटकाए जा रहे हैं। यह भी आवाज उठी है कि हम सभी को इसके लिए कोर्ट में याचिका लगाना चाहिए।

युवा उम्मीदवारों ने यह रखी सोशल मीडिया पर बात

- फ्रेशर्स को गेस्ट में भी अप्लाय करने का मौका नहीं दिया जा रहा है, जबकि केवल पीजी कनरे वाले को अतिथि विद्वान बनाया जा रहा है। उन्हें 50 हजार वेतन, दस फीसदी बोनस अंक और पीएससी में आरक्षण मिल रहा है।

- अतिथि विद्वानों ने चुनाव का पूरा फायदा उठा लिया है

- सभी के साथ समानता व्यवहार हो, एक ओर बिना सेट, नेटस पीएचडी के लोग अतिथि विद्वान बन रहे हैं और जो पहले से ही इस पद पर है, उन्हें ही अप्लाय करने दिया जा रहा है और दूसरों को सिस्टम में भी नहीं आने दिया जा रहा है।

- पीएससी से असिस्टेंट प्रोफेसर की भर्ती में 25 फीसदी आरक्षण दिया जा रहा है और दस फीसदी बोनस अंक। यानि जो सिस्टम से बाहर है वह बाहर ही रहेगा।

इधर पीएससी ने जारी की सूचना- नहीं बदलेंगे सेट का नियम

उधर, पीएससी ने अपनी वेबसाइट पर एक सार्वजनिक सूचना जारी कर सेट (राज्य पात्रता परीक्षा) में सफलता सर्टिफिकेट 6 की जगह 15 फीसदी देने की मांग को सिरे से खारिज कर दिया। आयोग ने सूचना में कहा कि यह नियम यूजीसी के मानकों, गाइडलाइन के अनुसार ही किया गया है। यूजीसी ने ही 6 फीसदी को पात्रता सर्टिफिकेट देने का नियम जारी किया है, ऐसे में इसे किसी भी हाल में बदला नहीं जा सकता है, इसलिए इस संबंध में आयोग से किसी तरह का पत्र व्यवहार नहीं करें। उल्लेखनीय है कि सोमवार (11 सितंबर) को ही नेशनल एजुकेटेड यूथ यूनियन के साथ अन्य युवाओं ने आयोग में जाकर प्रदर्शन कर नियम को 15 फीसदी करने की मांग की थी। आयोग भले ही कह रहा है कि यूजीसी का नियम है लेकिन बार-बार आयोग इस तथ्य को नहीं देख रहा है कि यूजीसी साल में दो बार नेट कराता है, लेकिन आयोग साल 2017 के बाद अब सेट करा रहा है। सेट का कोई कैलेंडर भी तय नहीं है कि अगली कब होगी। ऐसे में अधिक से अधिक उम्मीदवार सर्टिफिकेट जारी होने की

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