Sikar. सीकर के विख्यात श्री देवीपुरा बालाजी धाम मंदिर में भगवान को भीमकाय रोट अर्पित किया जाना है। इसके लिए जोधपुर से आए कारीगर करीब 2700 किलो वजनी इस रोट को 20 घंटे में तैयार करेंगे। रोट को तैयार करने में अकेले आटा ही सवा 11 क्विंटल उपयोग में लाया जाएगा। इसके अलावा इसमें मिलने वाली सामग्री अलग रहेगी। इस भीमकाय रोट को बनाने के लिए कारीगरों ने अपने पूरे यंत्रों के साथ डेमो दिया। इस प्रदर्शन को देखने के लिए ही मंदिर में सैकड़ों की तादाद में श्रद्धालु उपस्थित रहे।
विशाल भट्टी में सिंकेगी रोट
इस महाप्रसाद को तैयार करने के लिए मंदिर परिसर में विशाल भट्टी बनाई गई है। कारीगरों ने भट्टी में एक के ऊपर एक गाय के गोबर से बने कंडे और उपले जमाए हैं। विशाल रोट को तैयार करने आज रात से ही खाद्य सामग्री मिश्रित कर ली जाएगी। कल 1 जुलाई की सुबह रोट तैयार कर सिंकाई के लिए तवे के साथ भट्टी पर चढ़ाया जाएगा। बताया जा रहा है कि रोट की सिंकाई में ही 18 से 20 घंटे का समय लग जाएगा। महाप्रसाद तैयार होने के बाद वैदिक विधिविधान के साथ भोग के रूप में बालाजी महाराज को भोग अर्पित किया जाना है।
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मशीनों से रोट का बनाएंगे चूरमा
बता दें कि इस 27 क्विंटल वजनी रोट के तैयार होने के बाद मशीनों के जरिए चूरमा तैयार किया जाना है, जिसे महाप्रसाद के रूप में भगवान को अर्पण करने के बाद लोगों में वितरित किया जाएगा। मंदिर के महंत ओमप्रकाश शर्मा ने बताया कि इस अनूठे कार्यक्रम को पूज्य संत श्री रामदास जी महाराज के मार्गदर्शन में कराया जा रहा है। उन्होंने बताया कि रोट को तैयार करने से लेकर भोग लगाने तक की प्रक्रिया के दौरान अखंड कीर्तन और रामधुन संकीर्तन किया जाना है। आयोजन समिति और मंदिर प्रबंधन कमेटी ने समस्त श्रद्धालुओं से इस आयोजन में उपस्थित रहने की अपील की है।
हजारों की मन्नतें पूरी कर चुके हैं बालाजी
कहा जाता है कि सीकर के इस मंदिर के प्रति लाखों लोगों की आस्था है। बालाजी हनुमान के भक्त यहां अपनी मुरादें लेकर दूर-दूर से आते हैं। उनका मानना है कि बालाजी महाराज ने अब तक हजारों लोगों की मन्नतें पूरी की हैं, इसलिए वे उनकी भी एक न एक दिन सुनेंगे। इसके अलावा हनुमान जन्मोत्सव के साथ-साथ रामनवमी पर भी मंदिर में अनेक अनुष्ठान कराए जाते हैं।