Bhopal. मध्यप्रदेश में बीजेपी और कांग्रेस की लड़ाई में आम आदमी पार्टी अपना खाता खोलने बेताब है। गुजरात के चुनाव के बाद से राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा प्राप्त कर चुकी आप अब हर राज्य में अपनी उपस्थिति दर्ज कराने का प्लान बनाकर रेडी है। यही कारण है कि मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव की तैयारी के लिए आम आदमी पार्टी के संयोजक और राष्ट्रीय अध्यक्ष अरविंद केजरीवाल मध्यप्रदेश में डेरा डाले हुए हैं। आम आदमी पार्टी मध्यप्रदेश में आदिवासी संगठनों के साथ गठबंधन के प्रयास कर रही है। इसके लिए उन संगठनों से आदिवासी सीटों की जानकारी मांगी गई है।
जयस के दोनों धड़ों से चर्चा
आम आदमी पार्टी ने आदिवासियों के नामी संगठन जयस के दोनों धड़ों के आला नेताओं से रायशुमारी की है। इसके अलावा गोंडवाना गणतंत्र पार्टी, भारतीय गोंडवाना पार्टी जैसे दलों से भी बातचीत का सिलसिला जारी है। माना जा रहा है कि आदिवासी बाहुल्य वाली सीटों को इन दलों को देकर आप बाकी की सीटों से अपने उम्मीदवार मैदान में उतारे। इसके लिए पार्टी बीजेपी-कांग्रेस के बागियों और रूठे नेताओं पर भी नजर गड़ाए बैठी है।
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दिल्ली-पंजाब मॉडल को किया जाएगा पेश
आम आदमी पार्टी ने तय किया है कि मध्यप्रदेश में जातिवाद और संप्रदायवाद को देखते हुए केवल और केवल दिल्ली और पंजाब के कामों का प्रचार कर मध्यप्रदेश की जनता को लुभाएगी। जिसमें शिक्षा का मॉडल, मोहल्ला क्लीनिक, महिलाओं के लिए फ्री बस सुविधा और बिजली बिल में राहत देने जैसी घोषणाएं पार्टी अपने मैनिफेस्टों में रख सकती है।
25 जून को होगी ग्वालियर में रैली
आम आदमी पार्टी विधानसभा चुनाव के प्रचार का आगाज 25 जून को ग्वालियर से करने जा रही है। पार्टी की इस बड़ी रैली में अरविंद केजरीवाल और पंजाब सीएम भगवंत मान लोगों को संबोधित करेंगे। भोपाल की तरह ही इस रैली में भी एक लाख से ज्यादा कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों को जुटाने की तैयारी चल रही है। वहीं चुनाव को देखते हुए पार्टी चुनाव लड़ने के इच्छुक नेताओं से आवेदन मंगवाएगी। जिसके बाद सभी दावेदारों का जनता के बीच सर्वे कराया जाएगा। केजरीवाल पंजाब की तरह ही मुख्यमंत्री का फेस जनता द्वारा चुनवा सकते हैं।
तीसरा मोर्चा छिटका तो बदल सकती है हवा
राजनीतिक विश्लेषक काफी समय से यह बात कहते चले आ रहे हैं कि कांग्रेस ने जयस और गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के साथ-साथ सपा और बसपा से हाथ नहीं मिलाया तो यह नामुमकिन नहीं है कि परिणाम आश्चर्यजनक हों। राजनैतिक विश्लेषक और वरिष्ठ पत्रकार रविंद्र दुबे का कहना है कि यदि कांग्रेस मौजूदा परिस्थितियों को देखते हुए तीसरे मोर्चे से हाथ नहीं मिलाती तो 2013 का विधानसभा रिजल्ट रिपीट हो सकता है, यानि बीजेपी पूर्ण बहुमत के साथ वापस आ सकती है। वहीं वरिष्ठ पत्रकार और राजनैतिक विश्लेषक काशीनाथ शर्मा का कहना है कि मौजूदा हालात में कांग्रेस की स्थिति काफी मजबूत है, लेकिन यदि कमलनाथ बसपा, सपा, जयस और आप को चलो-चलो की आदत के अनुसार हल्के में लेते हैं तो यह कांग्रेस के लिए काफी घातक साबित हो सकते हैं।