उज्जैन की विक्रम यूनिवर्सिटी में PHD कांड में कार्रवाई,लोकायुक्त ने कुलसचिव समेत 5 पर की FIR, धोखाधड़ी और सबूतों से छेड़छाड का केस

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Chandresh Sharma
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उज्जैन की विक्रम यूनिवर्सिटी में PHD कांड में कार्रवाई,लोकायुक्त ने कुलसचिव समेत 5 पर की FIR, धोखाधड़ी और सबूतों से छेड़छाड का केस

Ujjain. विक्रम विश्वविद्यालय में पीएचडी चयन परीक्षा में धांधली के मामले आखिरकार लोकायुक्त ने मामला दर्ज कर लिया है। एफआईआर में कुलसचिव डॉ प्रशांत पौराणिक, गोपनीय विभाग के सहायक कुलसचिव वीरेंद्र ऊचवारे, प्रोफेसर पीके वर्मा, गणपत अहिरवार और इंजीनियरिंग कॉलेज के प्रोफेसर वायएस ठाकुर पर धोखाधड़ी, सबूतों से छेड़छाड़ और आपराधिक साजिश रखने समेत अन्य धाराओं के तहत मामला दर्ज किया है। बता दें कि इस मामले में आरोप है कि 12 ओएमआर शीट्स के परिणाम में कांट-छांट कर विश्वविद्यालय ने 11 अपात्रों को उत्तीर्ण कर दिया था। 







विक्रम यूनिवर्सिटी में हुए पीएचडी कांड में करीब एक साल बाद 21 जून को कार्रवाई हो गई। मामले में लोकायुक्त ने परीक्षा परिणाम में धांधली के प्रमाण मिलने के बाद कुलसचिव सहायक कुल सचिव व 3 प्राध्यापकों के खिलाफ धोखाधड़ी समेत गंभीर धाराओं में केस दर्ज किया है। आरोपियों की जल्द गिरफ्तारी भी हो सकती है। उल्लेखनीय है कि विक्रम यूनिवर्सिटी ने इंजीनियरिंग में पीएचडी प्रवेश परीक्षा 6 मार्च 2022 को आयोजित की थी। इसके परिणाम में धांधली को लेकर यूथ कांग्रेस के पूर्व प्रदेश सचिव बबलू खिंची लगातार शिकायत कर रहे थे। निष्पक्ष जांच नहीं होने पर उन्होंने 18 मई 2023 को लोकायुक्त में शिकायत की थी। 







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  • मामले में एसपी अनिल विश्वकर्मा के आदेश पर निरीक्षक दीपक शेजवार ने जांच की। इस दौरान शिकायतकर्ता बबलू खिंची और कुलसचिव समेत विश्वविद्यालय के प्राध्यापकों को बुलाकर बयान दर्ज करवाए थे। परीक्षा की आंसरशीट्स भी जांच के लिए तलब की गई थीं। जिसमें पता चला था कि 12 ओएमआर शीट के परीणाम में कांट-छांट कर 11 छात्रों को उत्तीर्ण किया गया था। जांच में पाया गया था कि 12 ओएमआर शीट्स ऐसी थी जिनमें डबल गोले लगाए गए थे। जिसके बाद से ही विश्वविद्यालय प्रबंधन पर उंगलियां उठने लगी थीं। 





    जांच समिति भी बनी थी







    इस मामले पर जांच के लिए जांच समिति का गठन भी किया था, समिति ने जांच तो की लेकिन कमेटी किसी नतीजे पर पहुंचती , मौका देखकर आरोपियों ने जांच संबंधित पूरी की पूरी फाइल ही गायब करवा दी गई थी। कुलसचिव द्वारा पद का दुरुपयोग करते हुए विद्यार्थियों की कोर्स वर्क की परीक्षा संपन्न करा ली गई थी। उधर जांच समिति के इस्तीफा दिए जाने के बाद दोबारा जांच कमेटी का गठन ही नहीं किया गया। जिसके बाद शिकायतकर्ता ने लोकायुक्त का रुख किया और मामले की शिकायत कर दी थी। 



     



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