मनीष गोधा, JAIPUR. राजस्थान के चुनाव में इस बार निर्वाचन विभाग और प्रशासन ने नकदी और सोने-चांदी की जब्ती को लेकर सख्ती तो बहुत दिखाई और पिछले चुनाव के मुकाबले करीब 700 प्रतिशत का आंकड़ा भी हासिल कर लिया, लेकिन इसमें से राजनीतिक दलों और चुनाव लड़ने वाले प्रत्याशियों का कितना सामान और नकदी है, ये स्पष्ट नहीं है। यही नहीं जब्त करने वाली एजेंसियों को ये सामान वापस भी लौटाना पड़ रहा है, ऐसे में जनता परेशान हो रही है।
682 करोड़ रुपए कैश और सोना-चांदी जब्त
विधानसभा चुनाव में आचार संहिता लगे गुरुवार को पूरे 43 हो गए। चुनाव प्रचार भी थम गया। इस दौरान पूरे प्रदेश में 682 करोड़ रुपए कैश और सोना-चांदी जब्त किया गया। निर्वाचन विभाग और जब्ती करने वाली एजेंसियों ने अब तक एक बार भी ये खुलासा नहीं किया है कि जब्त की गई राशि या सामान में से राजनीतिक दलों या प्रत्याशियों का सामान कितना है। ऐसे में माना जा सकता है कि ये राशि और सामान आम आदमी का ही है। त्योहार और शादियों के समय में इसलिए लोगों के पास नकदी और सोना-चांदी होता ही है।
आम आदमी परेशान
प्रशासन की जब्ती से अब आम लोग परेशान हो रहे हैं। उन्हें जब्त करने वाली एजेंसियों के चक्कर लगाने पड़ रहे हैं। विभाग को जब्त किया सामान छोड़ना भी पड़ रहा है, लेकिन इसकी रफ्तार काफी धीमी है। विभागों ने अब तक ऐसे 292 प्रकरण निस्तारित किए हैं और 8.58 करोड़ की सीज खुली है जो कुल जब्ती का महज 1.25 प्रतिशत है। वही 7.58 करोड़ वापस किए गए हैं।
ये खबर भी पढ़िए..
राजस्थान चुनाव के बडे़ चेहरे, इनके चुनावी मुकाबले पर टिकी है पूरे प्रदेश की नजर
धीरे-धीरे क्लीयर हो रहे मामले
विभागों के मुताबिक मामलों की जांच की जा रही है और जैसे-जैसे मामले क्लीयर हो रहे हैं, उन्हें सामान वापस किया जा रहा है। कुछ भी संदिग्ध दिखता है तो एक बार तो पकड़ना पड़ता है। वास्तविक स्थिति जांच के बाद ही साफ होती है।