संजय गुप्ता, INDORE. इंदौर के एमटीएच (महाराजा तुकोजीराव हॉस्पिटल) में सुबह नवजात बच्चों की मौत पर जमकर बवाल हुआ। जैसे-तैसे मामला संभला, लेकिन शाम होते-होते फिर अस्पताल प्रबंधन की बड़ी लापरवाही सामने आ गई। अस्पताल वालों ने माता-पिता को दूसरे का मरा हुआ बच्चा दे दिया। परिजन जब श्मशान में नवजात के मृत शरीर को दफनाने के लिए पहुंचे तब उन्हें अस्पताल से फोन आया कि आपको गलती से दूसरा बच्चा दे दिया है, आप यहां आकर ले जाइए। इसके बाद फिर वह अस्पताल पहुंचे और वहां जमकर हंगामा हुआ। इसके बाद वहां अन्य मृत नवजात को देखा गया और फिर उन्हें बदलकर उनके बच्चे का मृत शरीर सौंपा गया।
यह है मामला
पूजा और जितेंद्र के घर 24 दिन पहले पैदा हुए बच्चों का इलाज महाराजा तुकोजीराव महिला अस्पताल में जारी था जहां इलाज के दौरान गुरुवार को बच्चे की मौत हो गई थी। इसके बाद सोशल मीडिया पर 15 बच्चों की मौत की खबर वायरल हुई जिसके बाद पूरे शहर में हंगामा मचा और अधिकारी लेकर नेता नगरी तक अस्पताल पहुंच गई। दोपहर बाद अस्पताल प्रबंधन और परिजनों के बीच चर्चा के बाद बच्चे का शव परिजनों को सौंप दिया गया। शाम 5 बजे अस्पताल प्रबंधन से जितेंद्र और उसकी साली के पास फोन आया कि आप को सौंपा गया मृत बच्चा किसी और का है, जिसके बाद एक बार फिर हंगामा मच गया और परिजन मृत बच्चों को लेकर फिर से एमटीएच अस्पताल पहुंचे जहां उन्होंने फिर से हंगामा खड़ा कर दिया।
कांग्रेस पार्षद ने कलेक्टर की चर्चा, बदला बच्चा
मौके पर पहुंचे कांग्रेस पार्षद राजू भदौरिया ने परिजनों को समझाते हुए इंदौर कलेक्टर से चर्चा की जिसके बाद बच्चों का शव बदलकर परिजनों को सौंपा गया। इस मामले में परिजनों ने अस्पताल प्रबंधन पर आरोप लगाते हुए कहा कि अस्पताल प्रबंधन ने लापरवाही करते हुए पहले बच्चे का ठीक से इलाज नहीं किया और आखिर बच्चे की मौत होने के बाद बच्चे का शव भी बदल दिया गया जिससे अस्पताल प्रबंधन की भारी लापरवाही सामने आ गई है। वहीं अस्पताल प्रबंधन अभी भी अपने कर्मचारियों की लापरवाही छुपाने का प्रयास करते हुए नजर आया।
यह खबर भी पढ़ें
सुबह यह हुआ था
इसके पहले सुबह एमटीएच अस्पताल में नवजात की मौत के बाद परिजनों ने आरोप लगाया कि गलत उपचार और गलत दूध पिलाने के चलते बच्चे की मौत हुई है। इसके बाद कई लोगों ने आरोप लगाए कि 15 बच्चों की मौत हो गई, लेकिन यह फर्जी खबर थी, एक दिन में दो बच्चों की मौत की बात सामने आई, जिसमें डॉक्टर और प्रशासन ने बताया कि बीमारी व कमजोरी के चलते दोनों की मौत हुई है। जांच में यह भी सामने आया कि जून माह में 55 बच्चों की मौत हुई है और एक सप्ताह में 20 से ज्यादा बच्चों की मौत हुई है। हालांकि, प्रशासन का कहना है कि यह सामान्य है, क्योंकि यहां पर करीब नौ फीसदी मौत दर है, इसमें कोई इजाफा नहीं हुआ है। इस समझाइश के बाद परिजन और हंगामा करने वाले घर लौट गए और नवजात का मृत शरीर ले गए, लेकिन बाद में फिर प्रबंधन की लापरवाही सामने आ गई।