इंदौर बावड़ी हादसे में मजिस्ट्रियल जांच में आरोप साबित, निगमायुक्त बोल रही अफसरों की सुनवाई के बाद भूमिका साफ होने पर एक्शन लेंगे

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Jitendra Shrivastava
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इंदौर बावड़ी हादसे में मजिस्ट्रियल जांच में आरोप साबित, निगमायुक्त बोल रही अफसरों की सुनवाई के बाद भूमिका साफ होने पर एक्शन लेंगे

संजय गुप्ता, INDORE. इंदौर में रामनवमी के दिन 30 मार्च 2023 को श्री बेलेशवर महादेव मंदिर में हुए बावड़ी हादसे की मजिस्ट्रियल जांच रिपोर्ट आ चुकी है। अधिकारियों को दोषी बताया जा चुका है लेकिन निगमायुक्त हर्षिका सिंह द सूत्र के सवाल पर अभी भी यही कह रही है कि अधिकारियों को सुनवाई का अवसर देंगे औऱ् उनकी भूमिका क्लीयर होने पर एक्शन लेंगे? वैसे मजे की बात यह है कि मजिस्ट्रियल जांच के दौरान सभी अधिकारियों के जवाब लिए जा चुके हैं। उनकी भूमिका क्या थी और क्या किया? यह भी इस रिपोर्ट में साफ तौर पर लिखा गया है। अब निगमायुक्त उन्हें क्या सुनवाई का अवसर देकर क्या बचाव करना चाह रही है और क्या भूमिका साफ होने का इंतजार कर रही है? इस पर उनका कोई जवाब नहीं है।

महापौर भी बोले नियमानुसार कार्रवाई होगी? लेकिन कब नहीं पता

महापौर पुष्यमित्र भार्गव भी इस पूरे मामले में बैकफुट पर ही नजर आ रहे हैं। वह खुलकर नहीं बता पा रहे हैं कि कब कार्रवाई होगी? किस पर होगी और क्या होगी? द सूत्र के सवाल के जवाब में उन्होंने इतना ही कहा कि नई रिपोर्ट के आधार पर जो दोषी पाए जाएंगे, नियमानुसार कार्रवाई होगी। निगमायुक्त तो पहले ही एक आरोपी पर सहानुभूतिपूर्वक विचार कर बहाल कर चुकी है।

मजिस्ट्रियल जांच में इस मामले में निगम के कई अधिकारियों को दोषी माना गया।

  • इसमें साफ तौर पर लिखा कि सर्वे टीम ने गड़बड़ी की, उन्होंने बावड़ी बताई ही नहीं। यह गड़बड़ी नगर निगम के जल यंत्रालय विभाग से हुई, जबकि इस सर्वे पर 10.61 लाख रुपए खर्च किए गए थे। सर्वे निजी कंपनी तारू ने किया था।
  • नोटिसों के बाद भी कार्रवाई नहीं होने पर जोन 18 के जोनल अधिकारी अतीक खान और सर्वे में लापरवाही के लिए विभागीय अधिकारी (जोन 18 के योगेश जोशी) को भी दोषी माना गया।
  • भवन अधिकारी पीआर आरोलिया ने भी काम में लापरवाही की और अतिक्रमण हटाने को लेकर नोटिस देने के बाद भी कार्रवाई नहीं की। इन्हें 31 मार्च को तत्कालीन निगमायुक्त ने सस्पेंड भी किया था। यह अभी सस्पेंड है। इनकी भूमिका भी जांच में आ चुकी है।
  • भवन निरीक्षक प्रशांत तिवारी को भी 31 मार्च को सस्पेंड किया गया लेकिन हर्षिका सिंह निगमायुक्त ने सितंबर 2023 में यह कहकर बहाल कर दिया कि नगरीय क्षेत्र में कार्य महत्ता, तकनीकी अमले का अभाव व किए गए अनुरोध पर सहानुभूतिपूर्वक विचार करते हुए प्रभात तिवारी के विरुद्ध विभागी जांच को जारी रखते हुए बहाल किया जाता है। कार्य सुविधा की दृष्टि से तिवारी को झोन 6 व 9 क भवन निरीक्षक को दायित्व दिया जाता है। यानि बहाली के साथ एक नहीं दो-दो झोन का प्रभार दे दिया गया यानि पदोन्नति हो गई।
  • जबकि प्रतिभा पाल ने यह कहकर सस्पेंड किया था कि भवन निरीक्षक प्रभात तिवारी द्वारा पदीय दायित्व का समुचित निर्वहन नहीं किया ज रहा है। व अतिक्रमण हटाए जाने के समय-समय पर वरिष्ठ स्तर से दिए निर्देशों का पालन नहीं किया जा रहा है। स्वैच्छिक कार्यप्राणाली को दर्शित करता है, जो निगम हित के प्रतिकूल है। प्रभात तिवारी को तत्काल प्रभाव से निलंबत किया जाता है और विभागीय जांच के आदेश किए जाते हैं। इस दौरान वह ट्रेचिंग ग्राउंड अटैच रहेंगे।

आरोलिया और तिवारी पर विभागीय जांच में यह आरोप लगे हुए हैं, वहीं निगम द्वारा दोनों ही अधिकारियों की विभागीय जांच के दौरान यह आरोप लगाए गए हैं...

  • आपके द्वारा बावड़ी मामले में झोन 18 में नोटिस जारी किए गए लेकिन इसके बाद कोई कार्रवाई नहीं की गई। जो अनुशासनहीनता व स्वैच्छिक कार्यप्रणाली बताता है।
  • इस मामले में मंदिर ट्रस्ट को दिए नोटिस में उनके जवाब में स्पष्ट तौर पर बावड़ी जीर्णोद्धार की बात कही गई, लेकिन आपके द्वारा यह जानकारी वरिष्ठ अधिकारियों के संज्ञान में नहीं लाई गई।
  • मंदिर का भौतिक निरीक्षण नहीं किया गया और ना ही वरिष्ठ अधिकारियों के संज्ञान में बातें लगाई गई।
  • बावड़ी की स्लैब धाराशाई होने और घटना होने से निगम की छवि धूमिल करने का आरोप

(इन आरोपों की जांच चलने के बाद भी तिवारी को बहाल किया गया है)

सर्वेयर कंपनी तरू लिडिंग पर भी कोई कार्रवाई नहीं

मजिस्ट्रियल जांच रिपोर्ट में साफ लिखा है कि निगम की ओर से जल स्त्रोंतो का सर्वे हुआ लेकिन इसमें बावड़ी का जिक्र ही नहीं है। यह बात निगम अधिकारियों ने भी बयान में कही है। यह सर्वे काम 10 लाख 61 हजार रुपए में निगम ने टेंडर कर तरू लिडिंग एज प्रालि ठिखाना, देवदर्शन अपार्टमेंट सांघी ब्रदर्स के सामने पलासिया तर्फे प्रेमकुमार चावड़ा को दिया। यह सर्वे साल 2014 में दिया गया था। यानि कंपनी यदि ठीक से काम करती और बावड़ी चिन्हित कर देती तो निगम में भी जिम्मेदारी तय होती। इसके लिए भोपाल की ओर से निगम को 15 लाख रुपए का फंड भी मिला था।

मजिस्ट्रियल जांच में गवाह ने निगम अधिकारियों को बताया है दोषी

मजिस्ट्रिलय जांच में एक गवाह अश्विन बंजारिया ने खुलकर निगम अधिकारियों को लेकर बयान दिया है। इसमें कहा गया है कि रहवासियों ने मंदिर में हो रहे अवैध निर्माण को लेकर निगमाउक्त प्रतिभा पाल को शिकायत की थी। यह शिकायत पीआर आरोलिया को जांच के लिए भेजी गई, लेकिन आरोलिया ने स्थल निरीक्षण के बाद भी मंदिर ट्रस्ट अध्यक्ष सेवाराम गलानी और सचिव मुरली सबनानी के साथ मिलकर षड़यंत्र करके मंदिर परिसर स्थित बावड़ी पर हो रहो अवैध निर्माण को नहीं रोका। ना ही नोटिस पर कोई कार्रवाई की। मंदिर ट्रस्ट ने बावड़ी के जीर्णोद्धार की बात भी कही, इससे साफ है कि आरोलिया को बावड़ी की जानकारी थी। निगमायुक्त ने भी मामले में कोई पापलन प्रतिवेदन नहीं लिया। निगम अधिकारियों ने खुद को बचाने के लिए 30 जनवरी 2023 की तारीख में एक मंदिर ट्रस्ट को अतिक्रमण हटाने का नोटिस हादसे के बाद में तैयार किया गया, ताकि लोगों को भ्रमित किया जा सके। साफ है कि पूरी जिम्मेदारी निगमायुक्त, आरोरिया, तिवारी और सबनानी और गलानी की है।

मंदिर ट्रस्ट अध्यक्ष और सचिव पर पुलिस में दर्ज है केस

मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष सेवाराम गलानी और सचिव मुरली सबनानी जो मंदिर के संचालन व उसमें होने वाले कार्यक्रमों को देखते थे। उन पर घटना के अगले दिन ही जूनी थाना पुलिस में आईपीसी धारा 304 ए व 34 के तहत केस दर्ज किया। लेकिन इसके बाद पुलिस ने मामले को ठंडे बस्ते में डाल दिया और ना कोई गिरफ्तारी हुई और ना ही कोई पूछताछ हुई।

मंदिर ट्रस्ट ने भी निगम अधिकारियों पर डाली जिम्मदारी

मजिस्ट्रियल जांच में सभी के बयानों से साफ है कि इस मामले में मंदिर ट्रस्ट ने अपनी जिम्मेदारी निगम अधिकारियों पर डाल दी। उन्होंने कहा कि मंदिर ट्रस्ट को निर्माण के दौरान बेवजह नोटिस दिए गए। हम तो बावडी के जीर्णोद्धार कर यहां से पेयजल की व्यवस्था करना चाहते थे। लेकिन निगम ने नोटिस देकर हमे इस काम से रोक लिया। यदि यह करने दिया जात तो बावड़ी का जीर्णोद्धार हो जाता और दुर्घटना नहीं होती। नोटिस के जवाब से साफ है कि निगम के अधिकारियों को मंदिर में बावड़ी होने की जानकारी सामने आ चुकी थी।

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