जितेंद्र सिंह, GWALIOR. श्योपुर जिले के कूनो अभयारण्य के अलावा देश के अन्य सात राज्यों में भी चीता प्रोजेक्ट चलाया जाएगा। कूनो अभयारण्य से चीतों को शिफ्ट नहीं किया जाएगा। जो चीते बाहर से आएंगे उन्हें ही प्रदेश के अन्य जगहों पर या फिर देश के अन्य राज्यों में भेजा जाएगा। श्योपुर जिले के कूनो अभ्यारण्य में चीता प्रोजेक्ट के तहत आए चीतों को बेहतर माहौल मिले, इस उद्देश्य से ग्वालियर-चंबल संभाग के वन और राजस्व विभाग की एक संयुक्त कार्यशाला आयोजित की गई। कार्यशाला में ग्वालियर संभागायुक्त समेत उत्तरप्रदेश के झांसी के सीसीएफ और डीएफओ ललितपुर सहित ग्वालियर-चंबल संभाग के वन एवं राजस्व विभाग के अधिकारी उपस्थित थे।
भारत में 20 चीते आ गए 50 आना बाकी
कूनो में अब तक चीता प्रोजेक्ट के तहत 20 चीते आ चुके हैं। 50 चीते आना बाकी हैं। उन्हें धीरे-धीरे भारत लाया जाएगा। कूनो में जगह कम पड़ने पर चीतों के मध्य प्रदेश के अन्य हिस्सों में भी भेजा जा सकता है। इसके अलावा भारत सरकार ने राजस्थान और छत्तीसगढ़ समेत करीब 6-7 राज्यों को भी चिन्हित कर रखा है, जहां चीता प्रोजेक्ट चलाया जा सकता है।
कूनों से एक भी चीता शिफ्ट नहीं होगा
ग्लोबल टाइगर फोरम के सेक्रेटरी जनरल डॉ. राजेश गोपाल ने बताया कि कोई भी नया प्राणी आता है तो उसे उस माहौल में ढलने में समय लगता है। उन्होंने कूनों से चीतों को शिफ्ट करने की बात को साफ नकार दिया। उन्होंने कहा कि कूनों से कोई भी चीता नहीं भेजा जाएगा। अब जो नए चीते आएंगे उन्हें भेजा जाएगा। कूनो में जो हैं वो यहीं रहेंगे।
अब कूनों के चीते खुले में घूमने लगे
कूनो डीएफओ पीके वर्मा ने बताया कि चीतों को निर्धारित अवधि के लिए सुरक्षित बाड़े में रखने के पश्चात अब खुले में भी छोड़ा गया है। कूनो के चीते शिवपुरी के साथ-साथ अशोकनगर तक भी पहुँचे हैं। भविष्य में यह राज्य के बाहर भी जा सकते हैं। चीतों की सुरक्षा और उन्हें बेहतर माहौल मिले, इसके लिए वन विभाग निरंतर मॉनीटरिंग कर रहा है। वन विभाग द्वारा चीता मित्र भी तैनात किए गए हैं। वन विभाग द्वारा एक चीते की मॉनीटरिंग के लिए 9 सदस्यीय टीम गठित की गई है। सभी चीतों की मॉनीटरिंग निरंतर टीम द्वारा की जा रही है।
उत्तर प्रदेश के वन्य अधिकारी किए शामिल
मध्य प्रदेश के श्योपुर जिले में मौजूद कूनो नेशनल पार्क में बसाए गए दक्षिण अफ्रीकी चीते, कई बार पार्क की सीमा लांघकर उत्तर प्रदेश और राजस्थान की सीमा वाले वन क्षेत्रों में प्रवेश कर चुके हैं। उन्हें तीन बार उत्तर प्रदेश की सीमा से ट्रैंकुलाइज करके वापस लाना पड़ा है। बार-बार ट्रैंकुलाइज करने के खतरे भी हैं। इसी वजह से यूपी के वन अधिकारियों को भी इस परियोजना में शामिल किया जा रहा है। अब उत्तर प्रदेश की सीमा में पहुंचने वाले चीतों की सुरक्षा वहां के मैदानी वन कर्मचारी करेंगे। इसके लिए राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण उन्हें उपकरण भी देगा। एनटीसीए के अधिकारी इस बात पर ज्यादा जोर दे रहे हैं कि चीता उत्तर प्रदेश की सीमा में जाता है, तो वह वहां सुरक्षित रहे और उसे आसानी से लौटाने की कोशिश की जाए।
पहली बार बैठक, पर राजस्थान को छोड़ा
चीतों की सुरक्षा को लेकर पहली बार एनटीसीए मध्य प्रदेश से बाहर के वन अधिकारियों को परियोजना में शामिल कर रहा है। पर इसमें राजस्थान को छोड़ दिया गया है, जबकि कूनो पार्क से राजस्थान की सीमा केवल 20 किमी दूर है। खुले जंगल में छोड़े गए नौ में से कुछ चीते हमेशा राजस्थान की सीमा में रहते हैं। वहीं, उत्तर प्रदेश की सीमा पार्क से 180 से दो सौ किमी दूर है। फिर भी राजस्थान के वन अधिकारियों से मदद लेने और उन्हें बैठक में शामिल नहीं किया गया। पिछले आठ महीनों में नामीबिया और दक्षिण अफ्रीका से 20 चीतों में से तीन चीतों और तीन शावकों की मौत हो चुकी है।
वन विभाग ग्रामीणों को कर रहा जागरूक
चीता शिवपुरी और अशोक नगर तक पहुंच रहा है। जंगल और चीता के मार्ग में कई गांव भी पड़ते हैं, जिससे संघर्ष की स्थिति उत्पन्न हो सकती है। इसी के मद्देनजर ग्रामीणों को भी जागरुक किया जा रहा है जिससे चीता मिलने संघर्ष की स्थिति न बने और उसे रेस्क्यू किया जा सके।
चीता दिखे तो क्या करें और क्या न करें
कार्यशाला में बताया गया कि ग्रामीणों को जागरूक करना है कि गांव के आसपास चीता दिखाई देने पर उन्हें क्या करना है और क्या नहीं करना है।
- वन विभाग को तुरंत सूचना दें। अकेले जंगल में न जाएं।