Jabalpur. जबलपुर में अपने बेटों से प्रताड़ित पिता को प्रशासन ने न्याय दिलाया है, दरअसल पिता ने अपने बेटों की मनुहार पर अपनी जमीन इस वादे पर उनके नाम कर दी थी कि वे उसकी सेवा करेंगे। लेकिन सेवा तो दूर जमीन अपने नाम कराने के बाद बेटे मुगल बादशाह औरंगजेब जैसे बन गए, पिता को घर के एक कोने में बेसहारा छोड़ दिया। बेटों ने देखभाल तो बंद कर ही दी यहां तक कि बुजुर्ग को तीन-तीन दिल के दौरे पड़े तब भी उनका इलाज बेटों ने नहीं कराया, सरकार अस्पताल में सरकारी इलाज के भरोसे छोड़ दिया। अपने बेटों के इस व्यवहार से क्षुब्ध पिता ने एसडीएम कोर्ट में उनकी जमीन वापस उनके नाम करने की गुहार लगाई थी।
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डेढ़ एकड़ जमीन का मालिक था पिता
एसडीएम ने मामले की जांच की तो पाया कि सालीवाड़ा निवासी दौलत सिंह की बरगी में डेढ़ एकड़ भूमि थी जो उन्होंने साल 2019 में अपने बेटों चंदन सिंह और रघुनंदन सिंह के नाम इस शर्त के साथ कर दी थी कि बेटे उनका भरण पोषण और इलाज कराएंगे। लेकिन इसके बाद बेटों ने बाप से मुंह फेर लिया था। एसडीएम कोर्ट ने उभय पक्षों से मामले की पूछताछ की और फिर अपना फैसला सुनाया। जिसमें उक्त भूमि का नामांतरण शून्य घोषित कर उक्त भूमि आवेदक दौलत सिंह के नाम पर खसरों में दर्ज करने के निर्देश तहसीलदार को दिए हैं। अदालत ने यह भी आदेश दिया है कि यदि दौलत सिंह के बेटों चंदन और रघुनंदन ने कोर्ट के आदेश का पालन नहीं किया तो वरिष्ठ नागरिक अधिनियम के तहत उन्हें एक माह के कारावास से दंडित किया जाएगा।
दाने-दाने को कर दिया था मोहताज
आवेदक दौलत सिंह ने शिकायत में बताया कि उन्होंने साल 2019 में अपनी जमीन बेटों के नाम कर दी थी। फिर कोरोना की महामारी आ गई, इस दौरान बेटों ने कोरोना के चलते आवक खत्म हो जाने का हवाला देते हुए उनकी देखभाल बंद कर दी। इसके बाद उन्हें दाने-दाने को मोहताज कर दिया गया। जैसे-तैसे उन्होंने कोरोना काल के दो साल यह सोचकर गुजार लिए कि बेटे हालात ठीक होने के बाद उन पर ध्यान देंगे, लेकिन बेटे अपने में ही मस्त थे, उन्हें लग रहा था कि बाप की जमीन तो उनके नाम हो ही चुकी है तो अब पिता की क्या सेवा करना? लेकिन उन्हें बुजुर्गों के अधिकार के बारे में जानकारी लगी और उन्होंने प्रशासन को इसकी शिकायत कर दी।
बुजुर्ग-माता पिता की देखभाल बच्चों का कर्तव्य
वरिष्ठ नागरिक अधिनियम 2007 के तहत बच्चों का यह कर्तव्य है कि वे अपने माता-पिता की उचित देखभाल करें, यदि वे ऐसा नहीं करते तो बुजुर्ग माता-पिता अपनी संतान से गुजारा भत्ता पाने के भी हकदार रहेंगे। यही नहीं माता-पिता को उत्पीड़न देने आरोप साबित होने पर उनकी संतान को जेल तक जाना पड़ सकता है।