जितेंद्र सिंह, GWALIOR. ग्वालियर में एक निजी कार्यक्रम में आए शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने समान नागरिक संहिता पर बड़ा बयान दिया है। अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा कि समान नागरिक सहिंता बनाने के नाम पर हम हिन्दुओं के धर्म शास्त्रों की बहुत सारी बातों को हटाकर उनके स्थान पर कानून बना दिया गया है। पहले हिन्दू कोड बिल के नाम पर तत्कालीन सरकार ये लेकर आई थी, जिसका व्यापक विरोध हुआ। उसके बाद छोटे-छोटे टुकड़ों में उसको पास कराया, लेकिन दूसरे लोगों को अपने धर्म के बारे में पढ़ने की छूट दी गई। हम लोगों के मन में यह भावना रही है, कि हम भी तो धर्म के अनुसार रह सकते हैं। हमारे भी तो धर्म शास्त्र हैं, हमको हमारे धर्म के अनुसार नहीं रहने दे रहे हो। कुछ लोगों को रहने दे रहे हो, या तो हमको अपने पर्सनल लॉ के साथ रहने दो, या फिर सब के लिए करो।
हिंदू राष्ट्र बनने से लोग कैसे सुखी होंगे यह बताना होगा
शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद ने विश्व गुरु के दावों पर खड़े किये सवाल, भारत की नवीन संसद के डिजाइन के बहाने विश्व गुरु के दावों पर प्रश्नचिन्ह लगाए। जब देश की संसद का डिजाइन दूसरे देश से ले रहे हैं, खुद का क्या है? फिर हम विश्व गुरु कैसे हुए हम विश्व चेले हुए। अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने राम मंदिर को लेकर भी कड़ी प्रतिक्रिया जाहिर की। अधूरे मंदिर में कैसे रामलला विराजमान हो सकते हैं, जब राम मंदिर का पूरा निर्माण हो जाए तभी उसमें रामलला विराजित होंगे। सरकार को ऐसी क्या जल्दी है यह पता नहीं। शास्त्र अनुसार अधूरे मंदिर निर्माण में प्राण प्रतिष्ठा नहीं हो सकती। हिंदू राष्ट्र को लेकर कहा कि हिंदू राष्ट्र बनाने की बातें चल रही है, टेलीविजन पर हिंदू राष्ट्र की मांग सुनाई दे रही है, लेकिन हिंदू राष्ट्र का प्रारूप कैसा होगा यह आजतक कोई नहीं बता रहा। हिंदू राष्ट्र बनने से कैसे लोग सुखी हो जाएंगे यह प्रारूप बताना होगा।
धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री को लेकर भी निशाना साधा
शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद ने बागेश्वर धाम के पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री पर भी निशाना साधा। उन्होंने कहा मैंने उनसे चमत्कार के विषय में पूछा था उन्होंने मुझसे मिलने का कहा था वह, लेकिन मिलने नहीं आए। अगर मिलने आते तो उनसे चमत्कार के बारे में पूछता, तब कोई टिप्पणी करता। अगर पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री चमत्कारी होते तूने अस्पताल बनाने की क्या जरूरत पड़ती, इसलिए मैंने कहा चमत्कार जैसा कुछ नहीं होता। चमत्कार जैसा कुछ होता तो प्रयास की जरूरत क्या थी?
अविमुक्तेश्वरानंद ने आरक्षण को लेकर भी सवाल खड़े किए
अविमुक्तेश्वरानंद ने आरक्षण पर भी सवाल खड़े किए उन्होंने कहा आरक्षण सिर्फ 10 साल के लिए था, लेकिन उसे जारी रखा है। हम धर्मआचार्यों पर जातिवाद के आरोप लगते हैं, लेकिन जातिवादी तो सरकार हैं, क्योंकि जाति के नाम पर सर्टिफिकेट सरकार बनाती है। आरक्षण को खत्म होना चाहिए आरक्षण से सामाजिक समरसता खत्म हो रही है।
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धर्म परिवर्तन धार्मिक नहीं राजनीतिक कारण से हो रहे हैं
धर्म परिवर्तन के मसले पर भी उनका बयान सामने आया उन्होंने कहा कि धर्म परिवर्तन राजनीति का विषय बन गया है। धर्म परिवर्तन धार्मिक कारणों से नहीं राजनीतिक कारण से हो रहे हैं, क्योंकि मुस्लिम धर्म पूरे विश्व में अपना धर्म स्थापित कर राजनीतिक सत्ता स्थापित करना चाहते हैं। क्रिस्चियन भी इसी तरह है, पोप जॉन जब 2001 में भारत आए थे, तो उन्होंने कहा था इस सदी के अंत तक हम पूरे एशिया महाद्वीप को क्रिश्चियन बना देंगे। इसलिए स्पष्ट है कि धर्मांतरण धार्मिक कारण से नहीं राजनीतिक कारण से हो रहा है। जो लोग इसका विरोध कर रहे हैं वह भी राजनीतिक कारणों से कर रहे हैं। इसका विरोध धर्म आचार्यों को करना चाहिए, लेकिन वह नहीं कर रहे हैं उनका कोई लेना देना नहीं है।