माशिमं की दसवीं में 5 साल बाद बेस्ट ऑफ फाइव समाप्त, चालीस लाख छात्रों पर पड़ेगा असर, सामान्य और उच्च गणित का रहेगा विकल्प

author-image
Jitendra Shrivastava
एडिट
New Update
माशिमं की दसवीं में 5 साल बाद बेस्ट ऑफ फाइव समाप्त, चालीस लाख छात्रों पर पड़ेगा असर, सामान्य और उच्च गणित का रहेगा विकल्प

BHOPAL. स्कूल शिक्षा विभाग ने पांच साल बाद नवमीं-दसवीं में बेस्ट आफ फाइव को समाप्त कर दिया है। नवमीं-दसवीं में सामान्य गणित व उच्च गणित का विकल्प रहेगा। नवमीं-दसवीं में सतत व्यापक मूल्यांकन की प्रक्रिया लागू रहेगी। इस संबंध में स्कूल शिक्षा विभाग ने गुरुवार को आदेश जारी कर दिए हैं। हालांकि, बेस्ट ऑफ फाइव ( Best Of Five) को खत्म करने के निर्णय को 2024-25 से लागू किया जाएगा।





6 साल पहले 2017 में आधे से अधिक छात्र फेल हो गए थे





दरअसल, मप्र माध्यमिक शिक्षा मंडल की दसवीं परीक्षा में 6 साल पहले 2017 में आधे से अधिक छात्र फेल हो गए थे। इस संकट से उबरने के लिए स्कूल शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने बेस्ट आफ फाइव योजना को लागू कर दिया था। इसमें परीक्षार्थी सभी 6 विषय की परीक्षा में शामिल होंगे, लेकिन सर्वाधिक पांच अंक वाले विषयों के नंबर जोड़कर रिजल्ट घोषित किया जाएगा। जबकि सबसे कम अंक आने वाले विषय को रिजल्ट में शामिल नहीं किया जाएगा। इससे विद्यार्थियों ने अंग्रेजी, गणित और विज्ञान जैसे महत्वपूर्ण विषयों को पढ़ना बंद कर दिया।





बेस्ट ऑफ फाइव में छात्र आर्मी में भर्ती के लिए हुए अयोग्य 





 लागू होने के बाद दसवीं के वर्ष 2018 के रिजल्ट में काफी सुधार आय, लेकिन इसमें देखने में आया कि विद्यार्थियों ने गणित और अंग्रेजी पर ध्यान देना बंद कर दिया। पिछले सालों में दसवीं की गणित और अंग्रेजी में सबसे ज्यादा विद्यार्थी फेल हुए हैं। गणित, विज्ञान जैसे प्रमुख विषयों में फेल होने के बाद भी विद्यार्थियों के पांच विषयों में पास होने पर पास की अंकसूची जारी की गई, लेकिन इसका नतीजा यह निकला कि यह छात्र आर्मी में भर्ती के लिए अयोग्य हो गए। इसे देखते हुए माशिमं द्वारा पिछले साल भी बेस्ट ऑफ फाइव को समाप्त करने के लिए शासन को प्रस्ताव भेजा, लेकिन इसे अमान्य कर दिया गया था।





9वीं व 10वीं में मूल्यांकन प्रक्रिया लागू की जाएगी





मंडल की समिति ने दोबारा प्रस्ताव भेजा। जिसके बाद गुरुवार को स्कूल शिक्षा विभाग के उप सचिव प्रमोद सिंह ने नवमीं-दसवीं मे बेस्ट ऑफ फाइव को समाप्त करने के आदेश जारी कर दिए हैं। बेस्ट आफ फाइव को समाप्त करने का आदेश नवमीं-दसवीं में वर्ष 2024-25 से लागू किया जाएगा। जारी आदेश में कहा गया है कि शिक्षण सत्र 2023-24 से कक्षा 9वीं व 10वीं में सतत व्यापक मूल्यांकन प्रक्रिया लागू की जाएगी। शिक्षण सत्र 2023-24 में कक्षा नवमीं व 2024-25 से कक्षा 10वीं में विद्यार्थियों को सामान्य गणित और उच्च गणित का विकल्प दिया जाएगा।





इस कारण समाप्त की गई बेस्ट ऑफ फाइव





बेस्ट ऑफ फाइव प्रणाली के अंतर्गत 6 विषयों में यदि विद्यार्थी एक में पास नहीं है, परंतु अंकसूची के अनुसार वह उत्तीर्ण है, तो वह भारत सरकार द्वारा लिए जाने वाला आर्मी (जीडी) के फार्म को नहीं भर सकता। क्योंकि उस फार्म में छात्रों को दसवीं प्रणाली में विज्ञान, गणित और हिंदी जैसे विषयों में उत्तीर्ण होना अनिवार्य होता है। मप्र में संचालित आईटीआई में भी यदि छात्र गणित व विज्ञान के साथ दसवीं उत्तीर्ण नहीं करता है, तो कई ट्रेड्स में प्रवेश के लिए अयोग्य घोषित किया जाता है। छात्र जिस विषय में कमजोर है, उस विषय की पढ़ाई नहीं करता है। ऐसे विषयों में गणित, अंग्रेजी और विज्ञान विषय शामिल है। मुख्य विषयों का महत्व कम हो गया है।





दसवीं में पिछले सालों का बेस्ट ऑफ फाइव का रिजल्ट







  • 2023 में दसवीं की अंग्रेजी में 33 फीसदी यानि 2 लाख 66 हजार विद्यार्थी फेल हुए।



  • गणित में 27 फीसदी यानि 2 लाख 17 हजार और विज्ञान में 28 फीसदी यानि 2 लाख 28 हजार विद्यार्थी फेल हुए।


  • 2022 में बेस्ट फाइव से दसवीं की गणित व अंग्रेजी में सवा तीन लाख विद्यार्थी फेल हुए थे।


  • 2019 के दसवीं परिणाम में बेस्ट फाइव के कारण दसवीं की गणित में करीब चार लाख व अंग्रेजी में तीन लाख विद्यार्थी फेल हुए। 


  • 2018 में गणित विषय में 8 लाख 9 हजार 477 विद्यार्थी शामिल हुए। इनका पास प्रतिशत 63.07 रहा। 


  • सामान्य अंग्रेजी के पेपर में 7 लाख 20 हजार 458 विद्यार्थी शामिल हुए। विज्ञान विषय में 8 लाख 8 हजार 611 में  करीब दो लाख विद्यार्थी फेल हुए थे।




  • MP News एमपी न्यूज MP Board of Secondary Education best of five ends in MP 40 lakh students will be affected option of general and higher maths will remain माध्यमिक शिक्षा मंडल मप्र मप्र में बेस्ट ऑफ फाइव समाप्त चालीस लाख छात्रों पर पड़ेगा असर सामान्य और उच्च गणित का रहेगा विकल्प