JAIPUR. बीजेपी के प्रदेश महामंत्री और सांगानेर से विधायक भजनलाल शर्मा को राजस्थान का नया मुख्यमंत्री बनाया गया। जानकारी के मुताबिक भजनलाल शर्मा के मुख्यमंत्री बनने के बारे में किसी ने दूर-दूर तक कल्पना नहीं की थी, लेकिन हाईकमान ने बहुत पहले मन बना लिया था। बताया जाता है कि एक सरपंच से राजनीतिक करियर की शुरुआत करने वाले भजनलाल ने सियासत की बारीकियां बहुत पहले ही समझ ली थी। इससे उनमें धीरे-धीरे गांव के गरीब के मुद्दों की समझ पैदा हुई। आरएसएस से जुड़ाव के चलते साइलेंट होकर काम करते जाना और अनुशासन में रहना सीखा, यही दो गुण आज उन्हें यहां तक लेकर आया है।
भजनलाल की खासियत
बता दें कि भजनलाल शर्मा के काम को नजदीक से देखने वाले बीजेपी नेता और कार्यकर्ता उन्हें साइलेंट वर्कर के तौर पर जानते हैं। वसुंधरा राजे की सरकार के समय उन्होंने तत्कालीन प्रदेशाध्यक्ष अशोक परनामी, मदन लाल सैनी के साथ महामंत्री के तौर पर काम किया है। जब पार्टी विपक्ष में आई तो सतीश पूनिया, सीपी जोशी के साथ भी काम किया। भजनलाल के कामकाज की शैली और पार्टी संगठन के प्रति निष्ठा को लेकर मौजूदा बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष सीपी जोशी उनकी तारीफ करते हुए नहीं थकते। इस पर सीपी जोशी ने कहा कि पार्टी के समर्पित कार्यकर्ता को मुख्यमंत्री बनाना कोई अचंभे वाली बात नहीं है। उन्होंने बताया कि भजनलाल लंबे समय से पार्टी में काम कर रहे हैं। पार्टी के कामों में इतना लीन रहते कि कई बार तो महीनों तर अपने घर नहीं जा पाते थे। लगातार दौरे करना और हर काम जिम्मेदारी और परफेक्शन के साथ करना उनकी खासियत है। ऐसे गुण हर नेता में नहीं होते हैं।
पहली बार में अटारी गांव से सरपंच का चुनाव जीते
भजनलाल के पिता किशन स्वरूप शर्मा ने बताया कि राजनीति में होने के चलते कई बार भजनलाल समय पर खाना भी नहीं खा पाते थे। कई बार तो केवल 1-2 घंटे के लिए ही घर आते थे। वहीं भजनलाल शर्मा के चाचा रामशरण शर्मा का कहना है कि सोशल वर्क के जरिए अपनी पहचान बना ली थी। लोगों के काम करवाने के लिए वह खुद पहुंच जाते थे। इसलिए पहली बार में ही अटारी गांव से सरपंच का चुनाव जीत गए थे।
आध्यात्म में भी रखते हैं भरोसा
कई लोगों का कहना है कि भजनलाल शर्मा को नजदीक से जानने वाले नेताओं के मुताबिक उनका गहरा आध्यात्मिक जुड़ाव है। वे नियमित अंतराल पर गोवर्धन-गिरिराज की परिक्रमा पर जाते हैं। नियमित पूजा अर्चना करते हैं। कोई भी बड़ा धार्मिक आयोजन नहीं छोड़ते। हाईकमान में तीनों बड़े नेताओं तक पहुंच और पैठ बनाने में उनके आध्यात्मिक जुड़ाव ने भी अहम भूमिका निभाई। बता दें कि हाल ही में जब उनका नाम सीएम के लिए घोषित हुआ तो वे अगली ही सुबह सांगानेर के सांगा बाबा मंदिर दर्शन करने पहुंचे थे।
शर्मा के डेडिकेशन के साथ काम करने के गुण ने शाह-मोदी पर छोड़ी छाप
भजनलाल ने संगठन के गुण आरएसएस से सीखे। भजनलाल भरतपुर जिलाध्यक्ष रहते हुए आरएसएस के वरिष्ठ पदाधिकारी निंबाराम के संपर्क में आए। निंबाराम जब आरएसएस के सह प्रांत प्रचारक थे, तब उनका केंद्र भरतपुर हुआ करता था। तब से ही निंबाराम से उनका अच्छा जुड़ाव रहा। भजनलाल में फील्ड के काम से लेकर इनडोर होने वाली रणनीतिक बैठकों तक को हैंडल करने का अनुभव है। वे लंबे समय तक बैठकर काम करने के आदि हैं, पार्टी के दिए काम को पूरे डेडिकेशन से करने की आदत मुख्यमंत्री के तौर पर काम करने में काम आएगी।