संजय गुप्ता, INDORE. राज्य सेवा परीक्षा 2019 के अंतिम रिजल्ट आने की संभावना अब बढ़ गई है। मप्र लोक सेवा आयोग (पीएससी) द्वारा जल्द सुनवाई के लिए लगाई गई मेंसन के बाद मंगलवार को चीफ जस्टिस वाली जबलपुर हाईकोर्ट की डबल बेंच ने इस मामले की सुनवाई की और इसमें जबलपुर हाईकोर्ट से नार्मलाइजेशन संबंधी आर्डर को स्टे कर दिया। आयोग की ओर से एजी प्रशांत सिंह ने व्यस्थित तर्क रखे और रिजल्ट जारी होने में क्या समस्या है यह बात रखी। इसके बाद बेंच ने पुराने आर्डर को स्टे कर दिया। इस आर्डर के बाद अब पूरी संभावना बन गई है कि आयोग रिजल्ट जारी कर दे। हालांकि पीएससी के ओएसडी रविंद्र पंचभाई ने कहा कि अभी औपचारिक आर्डर की हम प्रतीक्षा कर रहे हैं, इसके आने के बाद विधिक तौर पर इसके सभी पहलुओं पर विचार कर जल्द से जल्द आगे बढ़ेंगे।
सुनवाई में यह रखी गई बात
सुनवाई में एजी सिंह के साथ ही पक्षकारों की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता नमन नागरथ, इंटरविनर की ओर से अधिवक्ता हरप्रीत सिंह गुप्ता, रामेशवर सिंह ठाकुर और अन्य उपस्थित थे। इसमें एजी ने विस्तार से 571 पदों के लिए इस परीक्षा की विज्ञप्ति 2019 में जारी होने के बाद हुए घटनाक्रम को रखा और फिर बताया कि रिजल्ट आयोग का तैयार था, लेकिन इसी दौरान नार्मलाइजेशन को लेकर आर्डर आता है, जिसके बाद तकनीकी समस्या आ जाती है, क्योंकि दो अलग स्तर के रिजल्ट को मर्ज कर नार्मलाइजेशन नहीं किया जा सकता था। यह गलत होगा। यह 13 हजार उम्मीदवारों का मामला है जो सालों से असमंजस में हैं, उन्हें राहत मिलना चाहिए। इसके बाद डबल बेंच ने इस नार्मलाइजेशन वाले आर्डर को स्टे कर दिया। वहीं इंटरविनर की ओर से बताया गया कि इसी मामले में सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी भी लगी हुई है। जिस पर सुनवाई चल रही है।
इस तरह समझिए 2019 के पूरे टिपिकल मामले को
- राज्य सेवा परीक्षा 2019 में 571 पदों के लिए विज्ञप्ति जारी होती है, 3.60 लाख उम्मीदवार आवेदन करते हैं।
- जनवरी 2020 में इसकी प्री होती है।
- इसी बीच प्री का रिजल्ट आने के पहले फरवरी 2020 में एक नया परीक्षा नियम 2015 के रूल 4 में संशोधन होता है और अब नियम होता है कि माइग्रेशन ऑफ रिजर्व कैटेगरी केवल फाइनल स्टेज पर होगा, यानि एसटी, एसी, ओबीसी यदि प्री और मेंस में अधिक नंबर भी लाते हैं तो भी उन्हें उन्हीं की कैटेगरी में रखा जाएगा और आगे अनारक्षित कैटेगरी में शिफ्ट नहीं करेंगे, यह अब फाइनल स्टेज यानी अंतिम रिजल्ट में ही होगा।
- अभी होता था कि हर स्टेज पर माइग्रेशन होने से यदि एसटी, एसी, ओबीसी कैटेगरी के नंबर ज्यादा हुए तो वह ऊपर अनारक्षित कैटेगरी में चले जाते थे और उनकी कैटेगरी में उसी कैटेगरी का अन्य उम्मीदवार चयनित हो जाता था। लेकिन इस पर रोक लग गई
- इस नियम से पीएससी ने प्री का दिसंबर 2020 में रिजल्ट जारी कर दिया
- फिर चयनित उम्मीदवारों की मई 2021 में मेंस हो गई और उनका भी रिजल्ट दिसंबर 2021 में जारी हो गया। इसमें 1918 उम्मीदवारों को इंटरव्यू के लिए पात्र माना गया
- इसी बीच अप्रैल 2022 में परीक्षा नियम को लेकर लगी याचिका पर हाईकोर्ट का फैसला आया और फरवरी 2020 में हुए परीक्षा नियम संशोधन को खारिज किया गया।
- इसके बाद आयोग ने इंटरव्यू प्रक्रिया होल्ड कर दी, इस दौरान ओबीसी आरक्षण के 27 फीसदी को लेकर इश्यू आया, जिसमें शासन ने सितंबर 2022 में 87-13 फीसदी का फार्मूला लागू किया। इसके बाद आयोग ने 10 अक्टूबर 2022 को हाईकोर्ट के आदेश के तहत नए सिरे से प्री का रिजल्ट जारी कर दिया और मेंस का पूर्व में घोषित 1918 पात्र उम्मीदवारों का रिजल्ट जीरो कर दिया। फिर से मेंस कराने का फैसला किया।
- लेकिन आयोग के इस फैसले को हाईकोर्ट में 1918 सफल उम्मीदवारों ने चैलेंज किया, जिसमें नवंबर 2022 को फैसला आया कि फिर से मेंस कराने की जरूरतन हीं, जो नए सिरे से घोषित रिजल्ट में पास हुए 2721 उनकी रिमेंस कराई जाए और रिजल्ट जारी किया जाए।
- इनकी रिमेंस हुई और फिर आयोग ने रिजल्ट जारी किया, जिसमें पूर्व मेंस में सफल घोषित 1918 में से 389 उम्मीदवार फेल घोषित हुए। नए सिरे से जारी रिजल्ट में पात्र उम्मीदवारों को इंटरव्यू के लिए बुलाया गया।
- इसी दौरान फेल हुए उम्मीदवार भी हाईकोर्ट गए और फिर 1918 और 2721 उम्मीदवारों के रिजल्ट को मर्जर, नार्मलाइशन का आदेश आया। साथ ही एक आदेश आया कि फेल सभी 389 के भी इंटरव्यू लिए जाएं।
- इस आदेश से असमंजस हो गया, क्योंकि मर्जर दो अलग-अलग स्तर की लिस्ट से नहीं हो सकता आयोग का कहना था कि मर्जर प्री स्तर पर हो सकता है, वहीं 389 उम्मीदवार जिन्हें फेल घोषित किया गया है, पद तो उतने ही है फिर उन्हें कहां और कैसे समायोजित किया जाएगा।
- इसके चलते आयोग ने रिट अपील 2017 जबलपुर में लगाई, जिसमें यह सुनवाई हुई और अब डबल बैंच ने हाईकोर्ट के पूर्व के मर्जर, नार्मलाइजेशन आर्डर को स्टे कर दिया। इसके बाद अब आयोग के रिजल्ट जारी करने की प्रक्रिया से बड़ा लीगल इश्यू हट चुका है।
- आयोग यदि सहमत तो रिजल्ट एक सप्ताह के भीतर ही संभव
- आयोग को अब औपचारिक आर्डर के बाद एजी व अपने अधिवक्ता के साथ बैठकर सलाह लेना है और यदि इसमें सहमति बनती है तो फिर रिजल्ट जारी करना है। यदि रिजल्ट पर सहमति बन जाती है तो फिर इसमें तीन-चार दिन से ज्यादा का समय नहीं लगेगा। बहुत हुआ तो सप्ताह भर का समय। क्योंकि सभी पात्र उम्मीदवारों के इंटरव्यू पूर्व में ही हो चुके हैं।