BILASPUR. बिलासपुर के गुरु घासीदास विश्वविद्यालय की अपील को मंगलवार को हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया है। विश्वविद्यालय ने दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों को नियमित नहीं करने के लिए अपील की थी। यह अपील डिवीजन बेंच ने ख़ारिज किया है। इससे पहले भी सिंगल बेंच ने भी कर्मचारियों को नियमित रखने का आदेश दिया था। अब दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी नियमित रहेंगे।
क्या मामला है
जानकारी के मुताबिक 5 मार्च 2008 को राज्य शासन के उच्च शिक्षा विभाग ने विश्वविद्यालय में कार्यरत तृतीय और चतुर्थ वर्ग के कर्मचारियों को नियमित करने सर्कुलर जारी किया था। उस समय यह राजकीय विश्वविद्यालय था। तत्कालीन कुलपति एलएन मालवीय ने कर्मचारियों को नियमित करने एक प्रस्ताव 22 जुलाई 2008 को कार्यपरिषद की सहमति से पारित किया था। 15 जनवरी 2009 को यह केंद्रीय विश्वविद्यालय के बन गया। जिससे यहां केंद्र की एक्ट के अनुसार कार्य शुरू हो गए। इसमें यह आदेश भी लागू हो गया कि किसी भी कर्मचारी के काम को राष्ट्रपति अनुमति के बिना बदला नहीं जा सकता। उस समय कर्मचारियों को नियमित वेतन देना शुरू कर दिया गया था। लेकिन फिर से विश्वविद्यालय ने कार्यपरिषद द्वारा पारित प्रस्ताव को निरस्त कर दिया और कर्मचारी फिर दैनिक वेतन भोगी हो गए।
कोर्ट में मामला पहुंचा
विश्वविद्यालय में काम करने वाले मेला राम, मोहम्मद हारून और अन्य कर्मचारियों ने हाईकोर्ट में विश्वविद्यालय के आदेश को चुनौती दी। हाईकोर्ट के जस्टिस रजनी दुबे की सिंगल बेंच में मामले की सुनवाई हुई। जिसमें विश्वविद्यालय के कर्मचारियों को नियमित कर पहले की आदेश की तिथि से लाभ देने का आदेश दिया गया। विश्विद्यालय ने इस आदेश के विपरीत जाकर डिवीजन बेंच में अपील की। जस्टिस राकेश मोहन पांडे और जस्टिस रमेश सिंह के बेंच में दोबारा मामले की सुनवाई हुई। जिसमें दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों को बड़ी राहत मिली है। डिवीज़न बेंच ने विश्वविद्यालय की अपील खारिज कर दी है।