BHOPAL. अनुसूचित जाति वर्ग को साधने के लिए भाजपा ने नई रणनीति तैयार की है। अब प्रदेश बीजेपी के नेता संत रविदास को केन्द्र में रखकर 53 हजार गांवों में यात्रा निकालेंगे। इस यात्रा के माध्यम से बीजेपी गांव में रहने वाले दलित वर्ग तक पहुंचना चाहती है। इस यात्रा की तैयारी में भाजपा का अनुसूचित जाति प्रकोष्ठ कर रहा है। यात्रा की कमान अनुसूचित जाति के राष्ट्रीय अध्यक्ष लाल सिंह आर्य और युवा आयोग के अध्यक्ष डॉ. निशांत खरे को सौंपी गई है। 25 जुलाई गुरुवार से प्रदेश के 5 स्थानों से यात्रा शुरू होगी इसका समापन 12 अगस्त को सागर में होगा।
समापन में पीएम मोदी और अमित शाह हो सकते हैं शामिल
प्रदेश के बड़े शहरों जबलपुर, उज्जैन, इंदौर, भोपाल, ग्वालियर जिला मुख्यालयों पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान सहित बड़े नेता यात्रा में शामिल होंगे। यात्रा का समापन सागर में होगा। सूत्र बताते हैं कि समापन कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह आ सकते हैं। दलित वोटरों को साधने के लिए बीजेपी ने इस यात्रा का मास्टर प्लान तैयार किया है। यह यात्रा प्रदेश के 50 जिलों से होकर गुजरेगी। बीजेपी दलितों को भावनात्मक रूप से जोड़ने के लिए सागर में संत रविदास का मंदिर बनाने वाली है। मंदिर निर्माण के लिए एक-एक मुट्ठी मिट्टी और नदियों का जल एकत्रित किया जाएगा। भाजपा की इस यात्रा में संत रविदास का चित्र, पादुका और कलश रहेगा जिसका पूजन भी होगा। उल्लेखनीय है कि सीएम शिवराज सिंह चैहान ने सात फरवरी को सागर में संत रविदास मंदिर बनाने का ऐलान किया था और कहा था कि 100 करोड़ की लागत से संत रविदास के मंदिर का निर्माण किया जाएगा। मंदिर का निर्माण सागर जिले के बड़तुमा में बनाया जाएगा। दरअसल सरकार का लक्ष्य प्रदेश की 35 सीटें हैं जो एससी वर्ग के लिए आरक्षित हैं।
2018 में कांग्रेस ने 18 और बीजेपी ने 17 सीटें जीती थीं
प्रदेश में अनुसूचित जाति की आबादी करीब 16 फीसदी है। अजा वर्ग के लिए प्रदेश की 230 विधानसभा सीटों में से 35 सीटें आरक्षित हैं। इसके अलावा 100 सीटों पर अनुसूचित जाति वर्ग के लोग निर्णायक भूमिका में होते हैं। साल 2018 में अजा वर्ग की 35 आरक्षित सीटों में कांग्रेस ने 18 और बीजेपी ने 17 सीटों पर जीत दर्ज की थी। और यही कारण था कि कांग्रेस पार्टी ने 15 साल बाद सत्ता का सूखा दूर किया था।
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2013 में बीजेपी ने 32 तो कांग्रेस को सिर्फ 3 सीट मिली थीं
साल 2013 की बात करें तो भाजपा ने आरक्षित सीटों में 32 सीटें जीती थी। जबकि कांग्रेस के खाते में सिर्फ तीन सीटें ही गई थी। यही कारण है कि कांग्रेस और भाजपा अनुसूचित जाति वर्ग को साधने में पूरी ताकत लगा रहे हैं। अनुसूचित जाति वर्ग को साधने में कांग्रेस पार्टी भी कोई कोर कसर नहीं छोड़ रही है। दलित वर्ग के जहां भी मुद्दे मिलते हैं तो कांग्रेस पार्टी के नेता तत्काल प्रभाव से उस मुद्दे को भुनाने में जुट जाते हैं। कांग्रेस आईटी सेल को साफ निर्देश दिए गए हैं कि दलितों पर प्रदेश में जहां भी अन्याय अत्याचार जैसे मामले आए तो उसको प्रमुखता से उठाया जाना चाहिए जिससे एससी वर्ग के बीच कांग्रेस की उपस्थिति लगातार बनी रहे।