मध्यप्रदेश में मंत्रियों को बंगले तो मिले, लेकिन अटका गृह प्रवेश, ऑर्डर में ही लिखा था खाली होने की उम्मीद में किया जा रहा आवंटन

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Rahul Garhwal
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मध्यप्रदेश में मंत्रियों को बंगले तो मिले, लेकिन अटका गृह प्रवेश, ऑर्डर में ही लिखा था खाली होने की उम्मीद में किया जा रहा आवंटन

अरुण तिवारी, BHOPAL. मुख्यमंत्री बनने के बाद मोहन यादव ने जिस तेजी से काम करना शुरू किया था उससे लगता था कि वे फैसलों को अमलीजामा पहनाने में भी तेजी दिखाएंगे, लेकिन सरकार की चाल अब सुस्त पड़ गई है। यहां तक कि मंत्रियों को अभी सरकारी आवास ही नहीं मिला है, जिनको मिल गया है उनका गृह प्रवेश अटक गया है। 15 दिन बाद भी जिन मंत्रियों को बंगले आवंटित किए गए थे, वे अपना गृह प्रवेश नहीं कर पाए हैं। पुराने मंत्री बंगले खाली करेंगे तब नए मंत्रियों का प्रवेश होगा। वहीं सरकार के कुछ और फैसले भी हैं जो पूरा होने की बाट जोह रहे हैं।

बंगले मिले, लेकिन गृह प्रवेश अटका

मंत्रियों को सरकारी बंगले मिलने के बाद भी उनका गृह प्रवेश नहीं हो पाया है। 18 जनवरी को 13 मंत्रियों को सरकार आवास के आवंटन का आदेश जारी हुआ था, लेकिन इस आदेश में लिखा था कि खाली होने की प्रत्याशा में। यानी जब पुराने मंत्री खाली करेंगे तब नए मंत्री उनमें अपना गृह प्रवेश करेंगे। अभी तक अधिकांश मंत्रियों का इन बंगलों में गृह प्रवेश नहीं हो पाया है क्योंकि ये बंगले अभी भी खाली नहीं किए गए हैं।

जिलों की सीमाएं तय करने का शुरू नहीं हुआ काम

1 जनवरी को मुख्यमंत्री मोहन यादव ने मध्यप्रदेश में भविष्य की जरूरतों को पूरा करने के लिए संभागों और जिलों को फिर से परिभाषित करने का ऐलान किया था। उन्होंने कहा था कि इसके लिए एक समिति गठित की जाएगी, लेकिन सीएम के आदेश दिए जाने के 1 महीने बाद भी उनका ये फैसला ठंडे बस्ते में है। राजस्व विभाग के अधिकारियों ने कहा कि प्रक्रिया अभी शुरू नहीं हुई है। इस प्रक्रिया में लंबा समय लगता है, जिसमें राजनीतिक, सांस्कृतिक, आर्थिक समेत कई मुश्किलों का सामना करना पड़ेगा। पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर इसकी शुरुआत इंदौर संभाग से होगी।

ये हैं नियम-कायदे

जिले की सीमा को फिर से परिभाषित करने की प्रक्रिया का उल्लेख मध्यप्रदेश भू-राजस्व संहिता 1959 में किया गया है। इस संबंध में सितंबर 2018 में एक अधिसूचना भी जारी की गई थी। इसमें कहा गया है कि किसी भी डिवीजन या जिले या सब डिवीजन की सीमाओं को बदलने के लिए, उसको खत्म करने या नया बनाने का प्रस्ताव प्रकाशित किया जाएगा। आगे की शर्तें ये थी कि नई तहसील बनाने या किसी तहसील की सीमा में परिवर्तन की स्थिति में ग्राम पंचायत का पूरा क्षेत्र एक ही तहसील में रखा जाएगा। नोटिस को एमपी राजपत्र में प्रकाशित किया जाएगा। नोटिस की अवधि समाप्त होने के बाद, नोटिस के संबंध में प्राप्त आपत्तियों या सुझावों पर विचार किया जाएगा। इसके बाद ही सरकार कोई फैसला करेगी।

दिल्ली से तय होगा मंत्रियों के जिले का प्रभार

शपथ लेने 1 महीने से ज्यादा का वक्त बीत जाने के बाद भी मोहन सरकार के मंत्रियों को जिले का प्रभार नहीं मिल पाया है। सूत्रों की मानें तो इसका फैसला भी दिल्ली से होगा। सीएम ने अपनी तरफ से केंद्रीय नेतृत्व को इसकी पूरी जानकारी दे दी है। सूत्रों के मुताबिक दिग्गज मंत्रियों को उन जिलों का प्रभार दिया जाएगा, जहां पर विधानसभा चुनाव में बीजेपी की स्थिति कमजोर रही है। इनमें हरदा और छिंदवाड़ा जैसे जिले शामिल हैं, जहां पर बीजेपी एक भी सीट नहीं जीत पाई है। मंत्रियों के जिलों का प्रभार लोकसभा चुनाव के नजरिए से दिया जाना है।

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