BHOPAL. वाइस चांसलर को अस्पताल ले जाने के लिए ग्वालियर रेलवे स्टेशन पर जज के ड्राइवर से कार छीनने वाले ABVP के दोनों छात्र नेता रिहा हो गए। उनका कहना है कि किसी की जान बचाने के लिए फिर ऐसा करना पड़ा, तो पीछे नहीं हटेंगे। उन्हें अफसोस है कि वे वीसी को नहीं बचा सके।
एबीवीपी के छात्र नेता हिमांशु श्रोत्री (22) और सुकृत शर्मा (24) को सोमवार को हाईकोर्ट ने जमानत दे दी। उन्हें 12 दिसंबर को ग्वालियर सेंट्रल जेल भेजा गया था। एडवोकेट भानु प्रताप सिंह चौहान ने कहा कि हाईकोर्ट ने मानवीय संवेदनाओं के आधार पर जमानत स्वीकार की है। मामला क्रिमिनल इंटेंशन का नहीं, जीवन बचाने का है, हम यह बात कोर्ट को समझाने में सफल रहे।
स्टेशन पर न डॉक्टर थे, न एंबुलेंस
छात्रों का कहना है कि यह 10 दिसंबर की बात है। वह दिल्ली में आयोजित अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) के राष्ट्रीय अधिवेशन में शामिल होकर दक्षिण एक्सप्रेस से लौट रहे थे। धौलपुर के बाद ट्रेन में सवार एक बुजुर्ग यात्री की अचानक तबीयत बिगड़ गई। उन्होंने सबसे पहले मुरैना स्टेशन पर मदद मांगी। रेलवे की ओर से कहा गया कि ग्वालियर में एम्बुलेंस मिल जाएगी। जब ग्वालियर पहुंचे, तो बाहर न तो कोई एम्बुलेंस थी न ही स्टेशन पर डॉक्टर।
ड्राइवर कार चलाने से मना कर रहा था
छात्रों का कहना है कि मदद न मिलने पर वे ट्रेन से उतर गए। स्टेशन के बाहर कार खड़ी दिखी। उन्होंने वीसी को कार में लिटा दिया। कार में मौजूद ड्राइवर से गाड़ी चलाने के लिए कहा, लेकिन वह मना करने लगा। हमें सिर्फ यही दिख रहा था कि किसी तरह बुजुर्ग यात्री की जान बच जाए। बिना सोचे-समझे जान बचाने जबरन कार ले गए। उस वक्त तक नहीं पता था कि बुजुर्ग मरीज किसी यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर हैं। यह भी नहीं जानते थे कि गाड़ी किसी जज की है। दु:ख है कि स्टेशन पर करीब 15 मिनट बहस और एम्बुलेंस के इंतजार के कारण हम वाइस चांसलर रणजीत सिंह की जान नहीं बचा सके।