BHOPAL. आखिरकार भोपाल के 24 किमी लंबे BRTS कॉरिडोर को हटाने पर सहमति बन गई है। 13 साल पहले 360 करोड़ रुपए इस कॉरिडोर के मेंटेनेंस् पर हर साल लाखों रुपए खर्च हो रहे हैं। साथ ही हादसों में भी कमी नहीं आई है। हालांकि यही कॉरिडोर इंदौर में सफल बताया जा रहा है। इसी बीच BRTS कॉरिडोर को हटाने की पूर्व सीएम उमा भारती ने जहां सराहना की है, वहीं सवाल उठाया है कि आखिर इसे बनाया ही क्यों गया?
मंगलवार को सीएम की बैठक में बनी सहमति
सीएम डॉ. मोहन यादव की मौजूदगी में मंगलवार को जब कॉरिडोर पर चर्चा शुरू हुई तो दो मंत्री, दो विधायक और महापौर ने हटाने की बात कही। हालांकि से इससे पहले कई मंत्री और विधायक इसे हटाने की पैरवी कर चुके हैं। बताते हैं कॉरिडोर हटाने के निर्णय से वे लोग सबसे ज्यादा खुश हैं, जो हर रोज बैरागढ़ और होशंगाबाद रोड पर जाम में फंसते हैं।
उमा भारती ने पोस्ट पर क्या लिखा?
... ऐसी गलितयां सैकड़ों-करोड़ों का नाश लगा देती हैं: पूर्व सीएम उमा भारती ने सीएम मोहन यादव की सरकार द्वारा बीआरटीएस कॉरिडोर को हटाने के फैसले को व्यवहारिक ओर प्रशंसनीय बताया है। साथ ही सवाल खड़ा किया है कि ये बनाया ही क्यूं गए, इसकी जांच होनी चाहिए। उन्होंने कहा, ऐसी गलतियां सरकार को सैकड़ों- करोड़ों रुपए का नाश (बर्बादी) लगा देती हैं।
13 साल पहले शिवराज सरकार में बना था BRTS
साल 2009-10 में शिवराज सरकार में मिसरोद से बैरागढ़ तक लगभग 24 किमी लंबा बीआरटीएस कॉरिडोर बनाया गया था। तब इस पर 360 करोड़ रुपए खर्च हुए थे। बीसीएलएल (भोपाल सिटी लिंक लिमिटेड) और नगर निगम ने 13 साल में कॉरिडोर के रख रखाव पर लाखों रुपए खर्च कर चुका है। इस सबके बावजूद कॉरिडोर से गुजरने वाले लाखों लोगों के लिए यह मुसीबत बना रहा।
BRTS से कॉलोनियों को नहीं जोड़ा
इंस्टीट्यूट ऑफ टाउन प्लानर्स ऑफ इंडिया (ITPI) के जनरल सेक्रेटरी वीपी कुलश्रेष्ठ का कहना है कि भोपाल में बीआरटीएस बना ही गलत है। शहर की सबसे मुख्य रोड पर BRTS बना दिया गया, लेकिन इसे आसपास की कॉलोनियों से कनेक्ट नहीं किया गया। शहर की सबसे प्रमुख सड़क होने के कारण स्वाभाविक रूप से फ्लाईओवर भी वहीं आए और डेडिकेटेड कॉरिडोर को हटाने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा। अब मेट्रो भी आ रही है, ऐसे में BRTS को हटा देना ही ठीक है।
यहां बता दें, ITPI देशभर के टाउन प्लानर्स का एक संगठन है।
कमलनाथ और शिवराज के मंत्रियों ने उठाए थे सवाल
BRTS कॉरिडोर हटाने के लिए कमलनाथ और शिवराज सरकार के मंत्री और विधायकों ने सवाल उठाए थे। वर्ष 2019 में भी यह मामला ज्यादा सुर्खियों में रहा था। तत्कालीन नगरीय प्रशासन मंत्री जयवर्धन सिंह ने बीआरटीएस कॉरिडोर के प्रेजेंटेशन को भी देखा था। रिव्यू भी किया था। बाद में कमलनाथ सरकार सत्ता से बाहर हो गई और कॉरिडोर को लेकर कोई बात नहीं हुई।
ये मंत्री और विधायक उठा चुके आपत्ति
पिछले साल हबीबगंज अंडरब्रिज के लोकार्पण के दौरान तत्कालीन प्रभारी मंत्री भूपेंद्र सिंह ने भी इस कॉन्सेप्ट को ही गलत बताया था। वहीं, मंत्री विश्वास सारंग ने इसे उखाड़ फेंकने की बात कही थी। विधायक रामेश्वर शर्मा, कृष्णा गौर ने भी कॉरिडोर को लेकर आपत्ति की थी।