UCC पर बौद्ध संगठन भी भड़केे, अलग बौद्ध मैरिज एक्ट बनाने की कर रहे मांग, कहा- सरकार हमें जबरन हिंदू-मुसलमान बनाना चाह रही

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Chandresh Sharma
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UCC पर बौद्ध संगठन भी भड़केे, अलग बौद्ध मैरिज एक्ट बनाने की कर रहे मांग, कहा- सरकार हमें जबरन हिंदू-मुसलमान बनाना चाह रही

Bhopal. पीएम मोदी द्वारा कॉमन सिविल कोड लागू कराने का मुद्दा छेड़ने के बाद मुसलमानों के अलावा बौद्ध संगठन भी यूसीसी पर भड़क रहे हैं। अखिल भारतीय भिक्षु महासंघ ने तो कड़ी टिप्पणी करते हुए कहा है कि सरकार इसके जरिए हमें जबरन हिंदू-मुसलमान बनाना चाहती है। यूसीसी के उलट संगठन ने बौद्ध मैरिज एक्ट बनाने की मांग कर दी है। 



कई पार्टियां दे रहीं समर्थन




बौद्ध धर्म के लोग यूसीसी के विरोध में लामबंद हैं, उन्हें कांग्रेस, बीएसपी समेत कई राजनैतिक दल और सामाजिक संगठन समर्थन भी दे रहे हैं। भिक्षु महासंघ ने तो दलितों को बौद्ध धर्म में धर्मांतरित कराने की भी चेतावनी दे डाली है। महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष भंते नागतिस्स ने कहा कि हम यूसीसी का विरोध करते हैं। हमारी व्यवस्थाएं अलग हैं। हम उनकी व्यवस्था में कैसे शामिल हो सकते हैं? क्यो में जबरदस्ती हमें हिंदू-मुसलमान बनाना चाहते हैं? ऐसा है तो फिर किस बात का लोकतंत्र?




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  • बौद्ध मैरिज एक्ट बनाने की मांग की 




    नागतिस्स ने कहा कि बौद्धों के संस्कार किसी भी धर्म और परंपरा से मेल नहीं खाते। जन्म से लेकर, शादी, गृहस्थी और मौत तक के संस्कार भिन्न हैं, इसलिए बौद्ध मैरिज एक्ट की जरूरत है। इसके जरिए हमारे संस्कारों को कानूनी मान्यता मिल जाएगी। अभी तक हमारे विवाह और व्यक्तिगत कानूनों को हिंदू मैरिज एक्ट और हिंदू व्यक्तिगत कानूनों से नियमित किया जा रहा है। 




    बौद्ध धर्म में ऐसे होता है विवाह



    बौद्ध धर्म के विवाह में सिंदूर से मांग भरना, अग्नि के फेरे और कन्यादान नहीं होता। बौद्ध विवाह के चार चरण होते हैं। पहले चरण में लड़की का पिता वर के हाथ में उसका हाथ देता है। यह कन्यादान के तरह की ही रस्म है पर इसे कन्या समर्पण कहते हैं। इसके बाद वर पांच प्रतिज्ञाएं करता है, उसे यह तीन बार दोहरानी होती है, इसके बाद वह वधु को धर्मपत्नी स्वीकार करने की घोषणा करता है। यही सब वधु को भी दोहराना पड़ता है। 


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