संजय गुप्ता, INDORE. पीएससी में पांच साल से नहीं हुई भर्ती और रुके हुए रिजल्ट से अभ्यर्थी अब इतने परेशान हो चुके हैं कि उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर इच्छा मृत्यु की मांग की है। खासकर राज्य सेवा परीक्षा 2019 के उम्मीदवारों द्वारा ये पत्र लिखा गया है और मांग की है कि रिजल्ट नहीं दे सकते हैं तो फिर हम 1983 उम्मीदवारों को इच्छा मृत्यु की मंजूरी ही दे दो।
87-13 फॉर्मूले से भी परेशान, पत्र में क्या लिखा ?
पत्र में उम्मीदवारों ने लिखा है कि साल 2019 की पीएससी के लिए आज दिनांक तक रिजल्ट जारी नहीं हुआ है। इन सभी का जल्द रिजल्ट जारी किया जाए। नहीं तो हमें इच्छा मृत्यु की मंजूरी दी जाए। ओबीसी आरक्षण के कोर्ट के मैटर को जल्द सुलझाया जाए और परीक्षा के बीच में लाए गए 87-13 फीसदी के नियम को हटाकर पूरा रिजल्ट जारी करें। हम उम्मीदवारों को सामाजिक, आर्थिक, मानसिक रूप से प्रताड़ित होने से बचाएं या फिर इच्छा मृत्यु की मंजूरी दें।
उम्मीदवारों ने सोशल मीडिया पर क्या लिखा ?
कुछ उम्मीदवारों ने ट्वीट भी किया और लिखा कि एमपीएससी 2019 में जीएडी के 87-13 फॉर्मूले के साथ काफी उम्मीदवारों का जीवन 5 सालों से अंधेरे में डाल दिया है, उम्मीद है कि जल्द ये ओबीसी केस निपटाएं या इच्छा मृत्यु दे हमें।
जीएडी की होशियारी, उम्मीदवारों पर पड़ रही भारी
राजनीतिक दबाव-प्रभाव के चलते मप्र में ओबीसी का आरक्षण 14 से 27 फीसदी करने का खेल हुआ। जब मामला कोर्ट में चला गया तो अभी तक मप्र शासन ने इसे लेकर अपना जवाब नहीं रखा है। उधर व्यापमं परीक्षाओं के रिजल्ट को लेकर हाईकोर्ट 4 अगस्त 2023 में 27 फीसदी आरक्षण के साथ रिजल्ट जारी करने पर स्टे दे चुका है। बार-बार हाईकोर्ट ने कहा है कि तय सीमा से ज्यादा आरक्षण (50 फीसदी) नहीं हो सकता है। इस मामले से निपटने का व्यापमं से लेकर पीएससी तक सीधा मामला था कि वो जो अभी प्रावधान है, उसी के अनुसार 14 फीसदी आरक्षण के साथ रिजल्ट जारी करता और जो भी कोर्ट का आदेश आता है तो उसी अनुसार फैसले के बाद अगली भर्ती परीक्षा में इसका पालन करता। लेकिन इस मामले में वोट बैंक के चक्कर में सामान्य प्रशासन विभाग (जीएडी) ने 29 सितंबर 2023 को पीएससी को फॉर्मूला दिया कि वो केवल 87 फीसदी पदों के अंतिम रिजल्ट जारी करें और बाकी 13 फीसदी पद ओबीसी और अनारक्षित दोनों के लिए रख दें, हाईकोर्ट यदि ओबीसी आरक्षण 17 फीसदी करें तो 13 फीसदी ओबीसी कोटे में दें नहीं तो अनारक्षित कैटेगरी के उम्मीदवारों को दें।
शासन के आदेश में फंसा पूरा पेंच
पीएससी ने हर रिजल्ट को मूल रिजल्ट 87 फीसदी पदों के लिए और प्रोवीजनल रिजल्ट 13 फीसदी पदों के लिए करके जारी करना शुरू कर दिया। इन 13 फीसदी कैटेगरी के रिजल्ट में आए उम्मीदवारों का रिजल्ट कब जारी होगा और ये कब तक रुके रहेंगे, इसका कोई भरोसा नहीं है। जबकि जीएडी और पीएससी दोनों ही वर्तमान व्यवस्था 14 फीसदी के साथ पूरे 100 फीसदी रिजल्ट जारी कर सकते थे। समस्या ये है कि जो प्रोवीजनल रिजल्ट में उम्मीदवार हैं, उन्हें अंतिम रिजल्ट में भी पता नहीं चलेगा कि वे चयनित हुए कि नहीं, बाकी किसी को उनके नंबर तक नहीं बताए जा रहे हैं। पूरा पेंच शासन के आदेश से पीएससी में फंस चुका है।
5 साल से भर्ती नहीं
साल 2018 के बाद मध्यप्रदेश शासन को पीएससी से कोई भर्ती नहीं मिली है। केवल साल 2020 की राज्य सेवा परीक्षा का अंतिम रिजल्ट जारी हुआ, लेकिन इसमें भी जीएडी ने अभी तक चयनितों को नियुक्ति नहीं दी। वहीं साल 2019 का रिजल्ट कोर्ट में उलझा हुआ है। 2021, 2022 और 2023 की परीक्षाओं की प्रक्रिया जारी है।