संजय गुप्ता, INDORE. इंदौर में वास्तल्यपुरम बाल आश्रम में 21 बच्चों को रेस्क्यू करने और आश्रम सील करने का मामला और उलझ गया है। इस मामले में विजयनगर थाने में आश्रम के पूर्व कर्मचारियों पर दो साल पहले की घटना को लेकर पुलिस ने केस दर्ज कर लिया है। आरोप है कि इन्होंने आश्रम के बच्चों को प्रताड़ित किया, गर्म तवे पर लाल मिर्च को रखकर धूनी दी, सीढ़ियों से फेंका। उधर हाईकोर्ट में इस मामले में सुनवाई हुई, जिसमें प्रशासन द्वारा अपनी कार्रवाई को सही बताया गया। हाईकोर्ट ने आदेश सुरक्षित रख लिया है।
दो साल पहले की घटना पर हुई एफआईआर
मामले में विजय नगर पुलिस ने आश्रम स्टाफ पर केस दर्ज कर लिया है। इनमें अधिकतर महिला केयर टेकर्स हैं। प्रताड़ना की घटनाएं करीब दो साल पुरानी है। छुड़ाए गए बच्चों ने बयान में आरोप लगाया कि आश्रम की केयर टेकर्स छोटे बेरहमी से मारपीट करती थी। बच्चों को उल्टा लटकाकर पीटा जाता था। गर्म तवा रखकर मिर्च की धुनी भी दी गई। चिमटा गर्म कर एक बच्ची का हाथ भी जलाया गया।
आश्रम से रेस्क्यू किए गए 21 बच्चों को 13 जनवरी को CWC समिति के समक्ष पेश किया था। काउंसलिंग कर उनसे धीरे-धीरे पूछताछ की तो ये सारी बातें बताई और केयर टेकर्स के नाम बताए। यह भी खुलासा हुआ कि एक-बार दो बच्चों कुछ ऊपर से नीचे फेंक दिया जिससे उन्हें चोट लगी थी। ऐसे ही एक बार कर्मचारी आयुषी के कहने पर एक बच्ची का हाथ गर्म चिमटे से जलाया गया। इसके निशान आज भी बच्ची के हाथ पर हैं। इसी तरह अन्य बालिकाओं को भी प्रताड़ित किया गया व उनके साथ मारपीट की गई।
यह है एफआईआर में...
पुलिस की एफआआईर में है कि एक जनवरी 2022 को संस्था की पूर्व कर्मचारी केयर टेकर आयुषी, मैनेजर सुजाता, वर्तमान कर्मचारी केयर टेकर सुमन चंदेल, मैनेजर आरती, कुछ समय के लिए आई कर्मचारी बबली आदि द्वारा बच्चों के साथ बेहद निर्ममता पूर्वक मारपीट की गई थी। एक बार सुजाता और आयुषी ने सीढ़ियों की पहली मंजिल की रैलिंग से बच्चियों को बांधकर उलटा लटका दिया था। ऐसे ही कुछेक बच्चों को नीचे गर्म तवा रखकर लाल मिर्च की धुनी दी थी जिससे उनकी हालत खराब हो गई थी।
आश्रम डायरेक्टर ने किया खुद का बचाव
उधर, संस्था की डायरेक्टर का कहना है कि बाल कल्याण समिति (CWC) सहित कुछ लोग हमारी संस्था को इंदौर में संचालित होने देना नहीं चाहते हैं। जिन महिला कर्मचारियों के खिलाफ केस दर्ज किया गया है, वह बहुत पहले ही अन्य स्थान पर जॉब मिलने के कारण आश्रम छोड़कर चली गई हैं। हमारी संस्था की छवि अच्छी है और माता-पिता की अनुमति के बाद ही बच्चों को प्रवेश दिया गया था। संस्था के होस्टल सूरत, बेंगलुरु, कोलकाता आदि शहरों में भी अच्छे तरीके संचालित होते हैं। जिला प्रशासन द्वारा बाल आश्रम बताकर एक तरफा कार्रवाई की गई है। 21 बच्चियों को प्रशासन ने जबर्दस्ती बंधकर बनाकर अन्य स्थान पर रखा है। इस मामले में संस्था द्वारा हाई कोर्ट में अपील की गई है। वहीं आश्रम के अधिवक्ता विभोर खंडेलवाल ने कहा कि प्रशासन ने सुनवाई के दौरान किसी भी तरह के नोटिस, जांच रिपोर्ट पेश नहीं की है। सुनवाई हो गई है आदेश सुरक्षित रखा गया है, इसलिए अभी ज्यादा कुछ भी कहना उचित नहीं है।