छत्तीसगढ़ कोल स्कैम में आरोपी सौम्या चौरसिया ने SC से याचिका वापस ली, दिल्ली HC में शराब घोटाले में बहस शुक्रवार को भी होगी

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Yagyawalkya Mishra
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छत्तीसगढ़ कोल स्कैम में आरोपी सौम्या चौरसिया ने SC से याचिका वापस ली, दिल्ली HC में शराब घोटाले में बहस शुक्रवार को भी होगी


Raipur. छत्तीसगढ़ कोयला घोटाला और अवैध वसूली मामले में ईडी के द्वारा गिरफ़्तार मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की उप सचिव ( निलंबित ) सौम्या चौरसिया की ओर से सुप्रीम कोर्ट में पेश याचिका वापस ले ली गई है। वहीं शराब घोटाला मामले में आयकर विभाग की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई शुक्रवार को भी होगी। शराब घोटाला मामले में आयकर विभाग तीस हज़ारी कोर्ट के फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट गई है। 




क्या हुआ सुप्रीम कोर्ट में



सुप्रीम कोर्ट में सौम्या चौरसिया की ओर से याचिका दायर की गई थी। यह याचिका पीएमएलए की सेक्शन पचास और 56 को चुनौती देते हुए दायर की गई थी। इसकी सुनवाई जस्टिस बेला एम त्रिवेदी और जस्टिस निरुद्ध बोस की बेंच में हुई। सौम्या चौरसिया की ओर से प्रारंभिक स्तर पर ही याचिका वापस ले ली गई। 





दिल्ली हाईकोर्ट में क्या हुआ



दिल्ली हाईकोर्ट में छत्तीसगढ़ के शराब घोटाला मामले से सीधे तौर पर जुड़े याचिका की सुनवाई हुई। यह याचिका आयकर विभाग की ओर से दायर है।आयकर विभाग तीस हज़ारी अदालत के आदेश के खिलाफ हाईकोर्ट गई है। इस मामले में आज सुनवाई हुई। इस मामले में आगामी शुक्रवार को साढे तीन बजे फिर से सुनवाई होगी।यह मसला छत्तीसगढ़ के शराब घोटाला मामले में बेहद अहम है। इस मामले में आने वाला फ़ैसले पर सभी की नज़रें टिकी हैं।



क्यों शराब घोटाला से जुड़ा है मामला, क्यों सबकी नज़रें हैं



आयकर विभाग ने तीस हज़ारी कोर्ट में परिवाद पेश किया था, जो छत्तीसगढ़ में शराब घोटाले पर केंद्रित था। इस परिवाद के आधार पर  ईडी ने छत्तीसगढ़ में कार्यवाही शुरु की थी। लेकिन इस परिवाद को लेकर क़ानूनी सवाल तब खड़े हो गए जबकि सीजेएम कोर्ट ने इस परिवाद के एक अंश को स्वीकार करने की बात कही और इस आदेश के खिलाफ याचिका सेशन कोर्ट में दायर हुई जहां सीजेएम कोर्ट के आदेश पर स्टे दे दिया गया। इस स्टे का अर्थ यह लिया गया कि परिवाद मूल स्वरुप में विचाराधीन है लेकिन अगली पेशी में सेशन कोर्ट ने यह कह दिया कि स्टे केवल परिवाद के उस अंश पर लागू होगा जो कि बतौर याचिका पेश किया गया है। इस के आधार पर ही सुप्रीम कोर्ट ने ईडी को यह कहते हुए कार्यवाही से रोक दिया कि, ईडी जिस परिवाद को आधार मान कर कार्यवाही रही थी उस मामले में प्रेडिकेट अफेंस नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि, जब भी ईडी के पास इस मामले में प्रेडिकेट अफेंस मिल जाए वह इस अदालत में आकर कार्यवाही की अनुमति ले सकती है। आयकर विभाग तब ही हाईकोर्ट चला गया था जबकि उसके पूरे परिवाद को स्वीकार करने के बजाय सीजेएम कोर्ट ने केवल एक अंश स्वीकारा। जबकि सेशन कोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि, स्टे केवल उस अंश पर है तो आयकर विभाग ने फिर से हाईकोर्ट में तत्काल सुनवाई का आग्रह करते हुए आवेदन दिया। हाईकोर्ट में इसी मसले पर सुनवाई चल रही है। यदि आयकर विभाग की याचिका स्वीकार होती है और हाईकोर्ट सीजेएम के निर्णय पर स्टे दे देती है तो ईडी के पास छत्तीसगढ़ में कार्यवाही के लिए विधिक अधिकार मिल जाएँगे। लेकिन यदि ऐसा नहीं होता है तो ईडी के लिए मुश्किल बढ़ती पर शायद अब ऐसा ना हो क्योंकि ईडी ने उत्तर प्रदेश में एक एफ़आइआर दर्ज कराई है जिसमें शराब घोटाला से जुड़ा मसला है। इस एफ़आइआर में वे धाराएँ हैं जिनके आधार पर ईडी कार्यवाही कर सकती है।


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