छत्तीसगढ़ में एक वोट का जीत का अंतर भले क्यों न हो, ऐसे में रिकाउंटिंग के लिए याचिका लगाना गलत

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The Sootr CG
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छत्तीसगढ़ में एक वोट का जीत का अंतर भले क्यों न हो, ऐसे में रिकाउंटिंग के लिए याचिका लगाना गलत

BILASPUR. मुंगेली में हुए पंचायत चुनावों में रिकाउंटिंग को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने अपना अहम फैसला सुनाया है। सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जब तक उम्मीदवार के निर्वाचन को नियम 6 के तहत गैरकानूनी घोषित नहीं किया जाता, तब तक पुनर्गणना की मांग को लेकर याचिका लगाना गलत है, भले ही जीत का अंतर एक वोट ही क्यों न हो। दरअसल, मुंगेली के सेमरकोना ग्राम पंचायत में सरपंच के चुनाव के लिए 28 जनवरी 2020 को मतदान हुए थे। इसमें धरमीन साहू, बबली साहू समेत अन्य ने पर्चा भरा था। मतदान के बाद 30 जनवरी 2020 को नतीजे घोषित किए गए, जिसमें बबली साहू को 1 वोट के अंतर से निर्वाचित घोषित किया गया। पराजित प्रत्याशी धरमीन साहू ने 7 फरवरी को एसडीओ मुंगेली के समक्ष चुनाव याचिका लगाकर पुनर्गणना की मांग की, इसमें तीन मतदान केंद्रों में वोटों की गिनती पर सवाल उठाए गए थे। एसडीओ ने याचिका लगाने के करीब डेढ़ साल बाद चुनाव याचिका मंजूर करते हुए पुनर्गणना के निर्देश दिए।



दोबारा गिनती की याचिका गलत



इसके बाद सरपंच निर्वाचित हुई बबली साहू ने इस आदेश को हाई कोर्ट में चुनौती दी। हाई कोर्ट ने 8 नवंबर 2021 को याचिका मंजूर करते हुए एसडीओ को नियमों का पालन करते हुए छत्तीसगढ़ पंचायत अधिनियम के प्रावधानों का पालन करते हुए नए सिरे से आवेदन पर निर्णय लेने को कहा। एसडीओ ने 20 दिसंबर 2021 को इस आधार पर पुनर्गणना के आदेश दिए कि तीन मतदान केंद्रों पर रोशनी की कमी थी। 31 दिसंबर 2021 को पुनर्गणना के बाद धरमीन साहू को निर्वाचित घोषित किया गया। बबली साहू ने इसके खिलाफ याचिका लगाई, जिसे सिंगल बेंच ने 6 जनवरी 2022 को खारिज कर दिया। इसके खिलाफ अपील की गई। हाई कोर्ट की डिवीजन बेंच ने इस आधार पर मंजूर किया कि धरमीन साहू ने जो रिलीफ मांगा है वो पंचायत अधिनियम के नियम 6 के अनुरूप नहीं है।



पुनर्गणना को लेकर लगाई गई याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने अमान्य माना



अपील मंजूर होने पर धरमीन साहू ने सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका लगाई थी। सुनवाई के दौरान बबली साहू की तरफ से पैरवी करते हुए अधिवक्ता अभिनव श्रीवास्तव ने तर्क दिया कि जीत के अंतर में वोटों का कम होने के आधार पर चुनाव याचिका लगाना पंचायत कानूनों का दुरूपयोग है। सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस जस्टिस बेला त्रिवेदी और जस्टिस एसवीएन. भट्टी की बेंच ने तर्कों से सहमत होते हुए फैसला दिया है कि जब तक निर्वाचित उम्मीदवार के निर्वाचन को नियम 6 के अंतर्गत गैरकानूनी नहीं घोषित किया जाता, तब तक वोटों की पुनर्गणना को लेकर लगाई गई याचिका को अमान्य माना जाएगा।

 


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