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छत्तीसगढ़ की सड़कों पर गायें और मवेशी आराम फरमाते रहे और गोठान खाली पड़े रहे। गायों को सड़क और खेत-खलिहान से दूर रखने के लिए प्रदेशभर में 9790 गोठान बनाए गए थे। इनमें गायें और दूसरे मवेशी भले ही न पहुंचे, लेकिन सरकारी खजाने से विकास कार्यों के लिए केंद्र और राज्य की 24 योजनाओं के 1175 करोड़ रुपये पहुंच गए। इसमें नक्सल उन्मूलन और 14वें तथा 15वें वित्त योजनाओं की राशि भी है। नियमानुसार इन योजनाओं की राशि दूसरे मद में नहीं खर्च की जा सकती।
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गोठान का नहीं था कोई बजट
सरकार ने गोठान का बजट ही नहीं बनाया था। कलेक्टर और जिला पंचायत अधिकारी को योजनाओं से पैसे लगाने के मौखिक निर्देश दिए गए थे। इसके बावजूद तत्कालीन कांग्रेस सरकार और पूर्व मुख्यमंत्री देशभर में इसकी सफलता की डुगडुगी बजाते रहे। भूपेश बघेल ने इस योजना को अपना ड्रीम प्रोजेक्ट बताते रहे। गोठान के सपने को ऐसे बेचा गया कि कई राज्यों को यह स्वर्णिम योजना लगी और इससे अपनाने का संकल्प भी लिया। यह अलग बात है कि उन राज्यों ने छत्तीसगढ़ की तरह इसे कागजों में लागू नहीं किया।
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कोरोनाकाल काल हुआ सारा खेल
गोठान योजना 2019 में शुरू की गई। इसके बाद कोरोना जैसी आपदा आ गई। एक ओर लोग अपनी जान बचाने के लिए संघर्ष कर रहे थे तो उसी समय सरकार अन्य योजनाओं की राशि से गोठान बना रही थी। कोरोना काल असर साल 2019 से 2021 के बीच रहा। इसी दरम्यान लगभग 80 प्रतिशत गोठान बनाए गए। तत्कालीन भूपेश सरकार ने गोठान बनाने के लिए सारे नियम ताक पर रख दिए। गोठान के लिए मनमाने तरीके काम दिए गए। लाइट लगाने का काम क्रेडा से करवाया गया तो मजदूरों को पैसा मनरेगा से दिया गया। इतना ही नहीं आदिवासी क्षेत्रों में प्राधिकरण से लेकर एनडब्ल्यूई तक के पैसे खर्च कर दिए गए।
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इन जिलों में ऐसे हुआ गोलमाल
14वें वित्त की राशि से कोरबा के करतला ब्लॉक का ग्राम पंचायत अमलडीहा में सीसी रोड और नाली बनाना था। मगर, सीसी रोड और नाली का काम रोककर इस राशि से नवापारा में गोठान बना दिया गया। हालांकि गोठान में राशि खर्च करने से पहले 4 लाख सड़क बनाने में खर्च हो चुके थे। बची राशि से गोठान के लिए शेड और फेंसिंग करवाई, जबकि सीसी रोड और नाली निर्माण अधूरा रह गया। इसी तरह कोरिया जिले के बैकुंठपुर के ग्राम कंचनपुर में नगर पालिका ने 19 लाख रुपये से गोठान बनाया। सीएमएचओ कार्यालय के पास बने इस गोठान को नए जिला अस्पताल और एमसीएच भवन के लिए इसे तोड़ दिया गया। यहां गोठान के लिए अधोसंरचना मद से राशि खर्च की गई। जांजगीर में नेशनल हाईवे 49 के निकट ग्राम तिलई में गोठान बनवाया गया। इस गोठान पर डीएमएफ राशि से 19 लाख खर्च किए गए। यहां चौकीदार और वेटरनरी डॉक्टर के लिए कमरे भी बनवाए गए। मगर, यहां एक भी दिन पशु रखे गए
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सरकार कराएगी जांच
सरकार कई ऐसी योजनाएं लाती है, जिनके लिए बजट नहीं होता। ऐसे में दूसरी योजनाओं का मद बदलकर राशि दी जाती है। मगर, कुछ ऐसे मद है, जिन्हे बदला नहीं जा सकता है। इनमें नक्सल उन्मूलन, डीएमएफ, 14वें-15 वें वित्त आदि हैं। गोठान घोटाले के मामले में कृषि मंत्री रामविचार नेताम ने कहा कि बिना बजट के योजना बनाना ही गलत है। विकास के पैसों को कांग्रेस सरकार ने गोठान के फूंककर भ्रष्टाचार किया है। सरकार इस मामले की जांच की जाएगी।
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