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रायपुर : भारतमाला परियोजना के तहत बन रहे रायपुर से विशाखापट्नम एक्सप्रेस वे पर भ्रष्टाचार की एक्सप्रेस खूब चली। इस प्रोजेक्ट की जांच में नए नए मामले उजागर हो रहे हैं। भ्रष्टाचार का खेल किस किस तरह से खेला जा सकता है,इसका नायाब उदाहरण यह भारतमाला परियोजना है। चंद अधिकारियों ने रसूखदारों के साथ मिलकर एक जमीन के कई टुकड़े किए और कई करोड़ का मुआवजा लिया। इस परियोजना में रईसों ने अपने भाई,भतीजे,बहू,बेटी के नाम पर बड़ी जमीन के छोटे टुकड़े किए। दस्तावेजों में एक ही खसरा के दस से बीस प्लॉट तक बना दिए गए। ये प्लॉट घरवालों के अलग अलग नाम कर दिए गए। कहीं गांधी, कहीं गुप्ता तो कहीं अग्रवाल ने अधिकारियों के साथ मिलकर यह खेल खेला।
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भ्रष्टाचार का नायाब नमूना :
भारतमाला प्रोजेक्ट के तहत बन रहे रायपुर से विशाखापट्नम कॉरिडोर को यदि भ्रष्टाचार का नायाब नमूना कहें तो ये नाम बिल्कुल फिट बैठता है। यदि करोड़ों के मुआवजे की इस बंदरबांट को अभी भी नहीं पकड़ा जाता तो न जाने कितना पैसा भ्रष्ट अधिकारियों और रसूखदारों की जेब में चला जाता। भ्रष्टाचार के तरीके भी अजब गजब अपनाए गए। कहीं सरकारी जमीन को प्रायवेट बनाकर मुआवजा लिया गया। तो कहीं जहां से यह कॉरिडोर गुजरा ही नहीं वहां की जमीनों का भी मुआवजा बना दिया गया। हुआ तो यहां तक भी है जिसकी जमीन थी उसी की फर्जी बेटी बनाकर उसे मुआवजा दे दिया गया। और ये मुआवजा लाखों में नहीं बल्कि करोड़ों में रहा। ईओडब्ल्यू की जांच में एक के बाद एक खुलासे हो रहे हैं। द सूत्र आपको बता रहा है रईसों और गठजोड़ के ऐसे उदाहरण जो आपको हैरान कर देंगे।
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खसरा एक और उसके मालिक कई :
अभनपुर के एक गांव की 16 खसरों की 6 एकड़ जमीन को 101 खसरों में बांटा गया। तत्कालीन एसडीएम निर्भय साहू ने सरकारी खसरों को जोड़कर मुआवजा बांटा और कमीशन लिया। 16 खसरों में से 4 निजी तो 12 खसरे सरकारी जमीन के रुप में दर्ज हैं। यहां पर करीब साढ़े तीन करोड़ का मुआवजा बांटा गया।
अभनपुर तहसील के एक और गांव में भू अर्जन के 45 मामलों में से 26 प्रकरण एक ही गुप्ता परिवार के हैं। अधिसूचना के प्रकाशन के बाद यहां जमीन के टुकड़े कर नामांतरण किया गया और करोड़ों का मुआवजा बांटा गया। एक ही परिवार के राकेश गुप्ता,रितेश गुप्ता और रिषी गुप्ता के नाम मुआवजा अवार्ड सूची में कई बार आए हैं। यहां पर करीब 13 करोड़ का मुआवजा बांटा गया।
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खसरा नंबर 1265 : यह जमीन विनय कुमार गांधी के नाम पर है। इस जमीन के 7 टुकड़े किए गए। यह प्लॉट गांधी के परिवार के लोगों के नाम पर हैं।
खसरा नंबर 2026 : इस जमीन के 17 प्लॉट बनाए गए। अलग अलग प्लॉट पर नोहरलाल, कमल किशोर अग्रवाल,बबीता अग्रवाल समेत अन्य लोगों के नाम हैं।
खसरा नंबर 2023 : यह जमीन बबीता अग्रवाल के नाम पर है। इस जमीन के 11 टुकड़े किए गए और परिवार के लोगों के नाम नामांतरण कर दिया गया।
खसरा नंबर 2033 : यह जमीन भी अग्रवाल परिवार के नाम पर है। इसके 10 टुकड़े किए गए। यहां पर भी प्रमोद अग्रवाल,कमलकिशोर अग्रवाल के नाम आते हैं।
खसरा नंबर 2064 : इस जमीन के 13 टुकड़े किए गए। यहां पर कोई प्लॉट दीपक सिंघल तो कोई कमलकिशोर अग्रवाल,प्रमोद अग्रवाल के नाम पर है।
खसरा नंबर 2077 : इस जमीन के 17 प्लॉट काटे गए। इनका नामांतरण बवीता अग्रवाल,प्रमोद अग्रवाल,कमलकिशोर अग्रवाल,दीपक सिंहल समेत अन्य परिवार के लोगों के नाम पर हैं।
खसरा नंबर 1698 : इस जमीन के 32 टुकड़े किए गए। ये प्लॉट भी इसी अग्रवाल परिवार के इन सदस्यों के नाम पर ही हैं। अधिकांश प्लॉट बवीता,प्रमोदऔर कमल किशोर अग्रवाल के नाम पर हैं।
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