तहसीलदारों की हड़ताल से तहसीलों और राजस्व कोर्ट में 20,000 से अधिक फाइलें लंबित, छात्रों को सबसे ज्यादा परेशानी

छत्तीसगढ़ में तहसीलदारों और नायब तहसीलदारों की चल रही हड़ताल से राज्य की राजस्व व्यवस्था पूरी तरह ठप हो गई है। हड़ताल से आम नागरिकों के साथ-साथ छात्रों को भी प्रमाण पत्र बनवाने में काफी परेशानी हो रही है।

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Krishna Kumar Sikander
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छत्तीसगढ़ में तहसीलदारों और नायब तहसीलदारों की चल रही हड़ताल ने राज्य की राजस्व व्यवस्था को ठप कर दिया है। तहसीलों और राजस्व न्यायालयों में कामकाज पूरी तरह प्रभावित हो गया है, जिसके चलते 20,000 से अधिक फाइलें लंबित हो चुकी हैं। इनमें आय, जाति, और निवास प्रमाण पत्र से लेकर जमीन के बंटवारे, सीमांकन, और फौती नामांतरण जैसे महत्वपूर्ण प्रकरण शामिल हैं। हड़ताल के कारण न केवल आम नागरिकों को परेशानी हो रही है, बल्कि स्कूली और कॉलेज छात्रों को भी समय पर प्रमाण पत्र न मिलने के कारण भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।

हड़ताल का असर, तहसीलों में कामकाज ठप

तहसीलदारों की हड़ताल के कारण तहसीलों में रोजमर्रा के कामकाज पर गहरा असर पड़ा है। आय, जाति, और निवास प्रमाण पत्र जैसे दस्तावेजों के लिए आवेदन करने वाले लोगों को बार-बार तहसील कार्यालयों के चक्कर काटने पड़ रहे हैं, लेकिन हड़ताल के चलते उनके आवेदनों पर कोई कार्रवाई नहीं हो रही।

विशेष रूप से चालू शैक्षणिक सत्र के दौरान छात्रों को इन प्रमाण पत्रों की सख्त जरूरत होती है, क्योंकि कई स्कूलों और कॉलेजों में प्रवेश, छात्रवृत्ति, और अन्य प्रक्रियाओं के लिए ये दस्तावेज समय सीमा के भीतर जमा करना अनिवार्य होता है। सूत्रों के अनुसार, हड़ताल के कारण आय प्रमाण पत्र और जाति प्रमाण पत्र के लिए सबसे ज्यादा आवेदन लंबित हैं।

इसके अलावा, मूल निवास प्रमाण पत्र, नक्शा नकल, और शोध क्षमता प्रमाण पत्र जैसे कार्य भी पूरी तरह अटक गए हैं। इनमें से अधिकांश कार्य तहसीलदारों और नायब तहसीलदारों के अनुमोदन और हस्ताक्षर के बिना पूरे नहीं हो सकते।

राजस्व कोर्ट में भी रुके फैसले

राजस्व न्यायालयों में भी स्थिति गंभीर है। फौती नामांतरण, सीमांकन, जमीन बंटवारा, और धारा 115 के तहत त्रुटि सुधार जैसे मामलों में कोई सुनवाई नहीं हो रही। इन प्रकरणों पर फैसले लंबित होने से कई परिवारों की जमीन से जुड़ी कानूनी प्रक्रियाएं रुकी हुई हैं। इसके अलावा, बैंकों की वसूली प्रक्रिया भी प्रभावित हुई है, क्योंकि तहसीलदारों की अनुपस्थिति में आवश्यक दस्तावेजों और आदेशों पर हस्ताक्षर नहीं हो पा रहे।

सूत्रों के मुताबिक, सभी तहसीलों और राजस्व कोर्ट को मिलाकर लंबित प्रकरणों की संख्या 20,000 को पार कर चुकी है और यह आंकड़ा प्रतिदिन बढ़ रहा है। हालांकि, रजिस्ट्री से संबंधित कार्यों पर हड़ताल का ज्यादा असर नहीं पड़ा है, लेकिन जमीन से जुड़े अन्य सभी प्रकरण ठंडे बस्ते में चले गए हैं।

छात्रों पर सबसे ज्यादा मार

हड़ताल का सबसे बड़ा प्रभाव स्कूली और कॉलेज छात्रों पर पड़ रहा है। चालू शैक्षणिक सत्र में आय प्रमाण पत्र, जाति प्रमाण पत्र, और निवास प्रमाण पत्र बनवाने के लिए हजारों छात्र तहसील कार्यालयों के चक्कर काट रहे हैं। कई छात्रों को इन दस्तावेजों को समय पर जमा करने की आवश्यकता है, जैसे कि छात्रवृत्ति आवेदन, कॉलेज प्रवेश, या सरकारी योजनाओं के लिए।

हड़ताल के कारण तहसीलदारों के हस्ताक्षर न होने से ये प्रक्रियाएं रुकी हुई हैं। छात्रों का कहना है कि बार-बार तहसील कार्यालय जाने के बावजूद उन्हें केवल निराशा ही मिल रही है। कुछ मामलों में छात्रों को तहसील कार्यालयों के बाहर लंबी कतारों में खड़ा होना पड़ रहा है, लेकिन काम न होने से उन्हें खाली हाथ लौटना पड़ रहा है।

हड़ताल के कारण और मांगें

तहसीलदारों और नायब तहसीलदारों की हड़ताल का कारण उनकी लंबे समय से चली आ रही मांगें हैं, जिनमें वेतन वृद्धि, पदोन्नति, कार्यस्थल पर बेहतर सुविधाएं, और कर्मचारी कल्याण से जुड़े मुद्दे शामिल हैं। छत्तीसगढ़ राजस्व मंडल तहसीलदार संघ के नेताओं का कहना है कि सरकार और प्रशासन उनकी मांगों पर गंभीरता से विचार नहीं कर रहे, जिसके चलते उन्हें हड़ताल का रास्ता अपनाना पड़ा। हड़ताल के कारण न केवल राजस्व कार्य प्रभावित हो रहे हैं, बल्कि आम जनता और विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों के लोग, जो तहसील कार्यालयों पर निर्भर हैं, सबसे ज्यादा प्रभावित हो रहे हैं। 

प्रभावित कार्यों की सूची

हड़ताल के कारण निम्नलिखित कार्य पूरी तरह ठप हैं:आय, जाति, और निवास प्रमाण पत्र की प्रक्रिया।
नक्शा नकल और शोध क्षमता प्रमाण पत्र का कार्य।
फौती नामांतरण और जमीन बंटवारा के प्रकरण।
सीमांकन और धारा 115 के तहत त्रुटि सुधार।
बैंकों की वसूली से संबंधित कार्य।

सरकार और प्रशासन की प्रतिक्रिया

हड़ताल को लेकर सरकार और प्रशासन की ओर से अभी तक कोई ठोस समाधान सामने नहीं आया है। सूत्रों के अनुसार, कुछ जिलों में वैकल्पिक व्यवस्था के तहत पटवारी और अन्य कर्मचारियों को अतिरिक्त जिम्मेदारियां सौंपी गई हैं, लेकिन तहसीलदारों के हस्ताक्षर के बिना कई कार्य पूरे नहीं हो सकते। प्रशासन ने हड़ताल खत्म करने के लिए तहसीलदार संघ के साथ बातचीत शुरू की है, लेकिन अभी तक कोई सहमति नहीं बन पाई है।

जनता पर बढ़ता बोझ

हड़ताल के कारण न केवल छात्र, बल्कि किसान, व्यापारी, और आम नागरिक भी प्रभावित हो रहे हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में जमीन से जुड़े मामलों, जैसे नामांतरण और सीमांकन, के निपटारे में देरी से कई लोग परेशान हैं। बैंकों की वसूली प्रक्रिया रुकने से कर्जदारों और बैंकों दोनों को नुकसान हो रहा है। इसके अलावा, समय पर प्रमाण पत्र न मिलने से कई लोग सरकारी योजनाओं और लाभों से वंचित हो रहे हैं।

संभावित समाधान और अपील

हड़ताल के लंबे समय तक चलने से स्थिति और गंभीर हो सकती है। विशेषज्ञों का कहना है कि सरकार को तहसीलदारों की मांगों पर तत्काल विचार करना चाहिए और बातचीत के जरिए इस समस्या का समाधान निकालना चाहिए। साथ ही, वैकल्पिक व्यवस्थाओं, जैसे ऑनलाइन प्रमाण पत्र जारी करने की प्रक्रिया को तेज करने, पर भी ध्यान देना जरूरी है। आम जनता और छात्रों ने सरकार से अपील की है कि इस हड़ताल को जल्द से जल्द खत्म करवाया जाए, ताकि तहसील कार्यालयों में रुके हुए काम फिर से शुरू हो सकें।

FAQ

तहसीलदारों की हड़ताल का आम जनता और छात्रों पर क्या प्रभाव पड़ा है?
हसीलदारों की हड़ताल के कारण आम जनता को आय, जाति, और निवास प्रमाण पत्र जैसे जरूरी दस्तावेज़ नहीं मिल पा रहे हैं। छात्रों को सबसे ज्यादा परेशानी हो रही है क्योंकि वे इन प्रमाण पत्रों के बिना छात्रवृत्ति, कॉलेज प्रवेश, और सरकारी योजनाओं के लिए आवेदन नहीं कर पा रहे हैं। कई छात्रों को बार-बार तहसील कार्यालयों के चक्कर लगाने पड़ रहे हैं, लेकिन फिर भी उनका काम नहीं हो रहा।
हड़ताल के दौरान कौन-कौन से कार्य सबसे ज्यादा प्रभावित हुए हैं?
हड़ताल के दौरान आय, जाति, और निवास प्रमाण पत्र, नक्शा नकल, शोध क्षमता प्रमाण पत्र, फौती नामांतरण, जमीन का सीमांकन, बंटवारा, और धारा 115 के तहत त्रुटि सुधार जैसे कार्य पूरी तरह से ठप हो गए हैं। इसके अलावा, बैंकों की वसूली प्रक्रिया भी प्रभावित हुई है।
तहसीलदारों की हड़ताल के पीछे क्या मुख्य कारण हैं?
तहसीलदारों और नायब तहसीलदारों की हड़ताल के पीछे उनके वेतन वृद्धि, पदोन्नति, बेहतर कार्यस्थल सुविधाएं, और कर्मचारी कल्याण से जुड़ी मांगें हैं। उनका कहना है कि सरकार उनकी मांगों पर गंभीरता से विचार नहीं कर रही, इसलिए उन्होंने हड़ताल का रास्ता चुना है।

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