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छत्तीसगढ़ के अंबिकापुर में जिला सहकारी केंद्रीय बैंक मर्यादित की शंकरगढ़ और कुसमी शाखाओं में 26 करोड़ रुपये से अधिक की हेराफेरी का सनसनीखेज मामला सामने आया है। बलरामपुर पुलिस ने इस मामले में बड़ी कार्रवाई करते हुए बैंक के पूर्व प्रबंधकों, पर्यवेक्षकों और लिपिकों समेत 11 कर्मचारियों को गिरफ्तार किया है।
आरोपियों ने 2012 से 2022 के बीच तीन फर्जी खातों के जरिए किसानों के KCC (किसान क्रेडिट कार्ड) खातों से राशि हस्तांतरित कर गबन किया। हैरानी की बात यह है कि इस दौरान हर साल होने वाले स्थानीय और केंद्रीय स्तर के ऑडिट में यह घोटाला पकड़ में नहीं आया, जिससे ऑडिट प्रक्रिया और ऑडिटरों की विश्वसनीयता पर सवाल उठ रहे हैं।
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घोटाले का खुलासा
बलरामपुर के पुलिस अधीक्षक वैभव बैंकर ने बुधवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस में इस घोटाले का खुलासा किया। उन्होंने बताया कि जनवरी 2025 में नाबार्ड को जनपद पंचायत के सीईओ की शिकायत मिली थी, जिसमें शंकरगढ़ और कुसमी शाखाओं के तीन खातों में बड़े पैमाने पर वित्तीय अनियमितता की आशंका जताई गई थी। इसके बाद कलेक्टर सरगुजा ने फ्लैश ऑडिट कराया। यह ऑडिट सीए नवीन उपाध्याय एंड एसोसिएट्स से करवाया गया। ऑडिट रिपोर्ट में लगभग 23.74 करोड़ की हेराफेरी की पुष्टि हुई। इसके बाद बैंक ने एक जांच टीम 4 फरवरी को गठित की। टीम ने 4 अप्रैल को अपनी रिपोर्ट में फर्जी खातों के जरिए गबन की बात सामने रखी।
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फर्जी खातों और बिना दस्तावेज के लेन-देन
पुलिस जांच में पता चला कि कुसमी शाखा में "मिस्टर अजस समिति जमड़ी" नामक फर्जी खाते में बिना KYC, खाता खोलने के फॉर्म या हस्ताक्षर के लगभग 19.24 करोड़ रुपये क्रेडिट और लगभग 19.22 करोड़ रुपये डेबिट किए गए। बिना किसी वाउचर या सहायक दस्तावेज के ये लेन-देन किए गए। इसी तरह, "जमुना अलंकार" नामक खाते में 1 करोड़ 82 लाख 2 हजार रुपये के 52 NEFT लेन-देन में से 44 में कोई दस्तावेज नहीं मिले। नरेगा धनेशपुर खाते में भी 3 करोड़ 19 लाख 21 हजार 966 रुपये के लेन-देन में KYC और वाउचर गायब थे। सबसे चौंकाने वाला तथ्य यह है कि शंकरगढ़ शाखा में "मिस्टर सीईओ जनपद पंचायत" के नाम से फर्जी खाता खोला गया, जिसके बारे में असली सीईओ को कोई जानकारी नहीं थी।
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गिरफ्तार आरोपियों के नाम
पुलिस ने इस मामले में निम्नलिखित 11 कर्मचारियों को भादवि की धारा 409, 420, 467, 468, 471, 120 बी, 34 के तहत गिरफ्तार किया है।
अशोक कुमार सोनी (56, पूर्व सहायक मुख्य पर्यवेक्षक, शंकरगढ़)
लक्ष्मण प्रसाद देवांगन (56, पूर्व संस्था प्रबंधक, मनेन्द्रगढ़)
विजय उईके (50, पूर्व संस्था प्रबंधक, बलरामपुर)
तबारक अली (पूर्व प्रभारी लिपिक, अंबिकापुर)
राजेंद्र कुमार पाण्डेय (60, प्रभारी अतिरिक्त प्रबंधक, अंबिकापुर)
सुदेश यादव (30, समिति सेवक, शंकरगढ़)
एतबल सिंह (69, सहायक मुख्य पर्यवेक्षक, अंबिकापुर)
प्रकाश कुमार सिंह (35, कम्प्यूटर ऑपरेटर, कुसमी)
जगदीश प्रसाद भगत (50, सहायक लेखापाल, कुसमी)
सबल राय (65, सहायक मुख्य पर्यवेक्षक, कुसमी)
विकास चंद्र पाण्डवी (70, वरिष्ठ पर्यवेक्षक, अंबिकापुर)
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पुलिस आरोपियों से करेगी पूछताछ
पुलिस अब आरोपियों को रिमांड पर लेकर गबन की राशि के उपयोग और अन्य संलिप्त लोगों के बारे में पूछताछ करेगी। इस मामले ने सहकारी बैंकों की कार्यप्रणाली और ऑडिट सिस्टम पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं। यह भी जांच का विषय है कि इतने बड़े पैमाने का फर्जीवाड़ा 10 साल तक कैसे छिपा रहा। यह घोटाला न केवल वित्तीय अनियमितता का मामला है, बल्कि सहकारी बैंकों में पारदर्शिता और जवाबदेही की कमी को भी उजागर करता है। पुलिस और प्रशासन की सख्त कार्रवाई से उम्मीद है कि भविष्य में ऐसे मामलों पर अंकुश लगेगा।
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