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छत्तीसगढ़ के बिलासपुर स्थित गुरु घासीदास सेंट्रल यूनिवर्सिटी (GGU) में राष्ट्रीय सेवा योजना (NSS) शिविर के दौरान हुए एक विवादास्पद मामले में हाई कोर्ट ने सात प्रोफेसरों को बड़ा झटका दिया है। इन प्रोफेसरों पर आरोप है कि उन्होंने NSS शिविर में भाग लेने वाले 159 छात्रों को, जिनमें से केवल चार मुस्लिम थे, ईद के दिन नमाज पढ़ने के लिए मजबूर किया था। इस मामले में दर्ज प्रथम सूचना रिपोर्ट (FIR) को रद्द करने की मांग वाली प्रोफेसरों की याचिकाओं को छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने खारिज कर दिया है।
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यह था मामला
यह घटना 26 मार्च से 1 अप्रैल 2025 तक बिलासपुर जिले के कोटा ब्लॉक के शिवतराई गांव में आयोजित एक NSS शिविर के दौरान घटी। शिविर में कुल 159 छात्र शामिल थे, जिनमें से अधिकांश हिंदू थे। छात्रों की शिकायत के अनुसार, 31 मार्च को, जो ईद का दिन था, शिविर के समन्वयक प्रोफेसर दिलीप झा, डॉ. ज्योति वर्मा, मधुलिका सिंह, सूर्यभान सिंह, डॉ. नीरज कुमारी प्रशांत वैष्णव और बसंत कुमार ने गैर-मुस्लिम छात्रों को नमाज पढ़ने के लिए बाध्य किया। छात्रों ने आरोप लगाया कि उन्हें धमकी दी गई थी कि यदि वे नमाज पढ़ने से इनकार करेंगे, तो उन्हें NSS प्रमाणपत्र नहीं दिया जाएगा। इसके अलावा, छात्रों ने यह भी दावा किया कि उन्हें धार्मिक रूपांतरण के इरादे से मानसिक रूप से प्रभावित करने की कोशिश की गई।
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पुलिस कार्रवाई और प्राथमिकी
छात्रों की शिकायत पर, कोनी पुलिस ने 26 अप्रैल 2025 को 7 प्रोफेसरों और एक छात्र नेता समेत 8 लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की थी। बाद में यह मामला कोटा पुलिस स्टेशन को हस्तांतरित कर दिया गया। दरअसल यह घटना उस थाना क्षेत्र की थी। आरोपियों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया। उन पर धार्मिक आधार पर समूहों के बीच शत्रुता को बढ़ावा देने, धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने और अन्य अपराधों के आरोप शामिल हैं। बिलासपुर के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (SSP) राजनेश सिंह ने इस मामले की जांच के लिए कोतवाली सिटी पुलिस अधीक्षक अक्षय सबद्रा की अध्यक्षता में चार सदस्यीय विशेष जांच दल (SIT) का गठन किया था। SIT ने अपनी रिपोर्ट 26 अप्रैल को SSP को सौंपी, जिसके आधार पर FIR दर्ज की गई। जांच में यह भी सामने आया कि कुछ आरोपियों ने सबूतों के साथ छेड़छाड़ करने की कोशिश की थी और जांच में सहयोग नहीं किया।
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प्रोफेसर दिलीप झा की गिरफ्तारी और जमानत
1 मई 2025 को प्रोफेसर दिलीप झा को पुलिस ने हिरासत में लिया था। हालांकि, उसी दिन उन्हें मजिस्ट्रेट कोर्ट ने जमानत दे दी थी। दिलीप झा ने दावा किया कि वह शिविर में मौजूद नहीं थे और उन्हें झूठा फंसाया गया है। उन्होंने कहा कि उन्हें नमाज पढ़ाने की किसी भी गतिविधि की जानकारी नहीं थी।
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हाई कोर्ट का फैसला
प्रोफेसरों ने इस मामले में उनके खिलाफ दर्ज FIR को रद्द करने के लिए छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट में दो याचिकाएं दायर की थीं। मुख्य न्यायाधीश राकेश सिन्हा की अध्यक्षता वाली डिवीजन बेंच ने इन याचिकाओं को खारिज कर दिया। कोर्ट ने मामले की गंभीरता को देखते हुए कहा कि इस स्तर पर FIR को रद्द करना उचित नहीं है, और जांच को आगे बढ़ाने की आवश्यकता है। इस फैसले ने प्रोफेसरों को बड़ा झटका दिया है, क्योंकि अब पुलिस जांच को और गहराई से आगे बढ़ाएगी।
विश्वविद्यालय प्रशासन की प्रतिक्रिया
गुरु घासीदास सेंट्रल यूनिवर्सिटी के मीडिया प्रभारी एम.एन. त्रिपाठी ने कहा कि विश्वविद्यालय प्रशासन को इस मामले की जानकारी मीडिया के माध्यम से मिली थी। उन्होंने बताया कि विश्वविद्यालय ने इस मामले की जांच के लिए तीन सदस्यीय तथ्य-खोज समिति गठित की थी, लेकिन पुलिस को अभी तक कोई लिखित शिकायत नहीं मिली थी।
सामाजिक और राजनीतिक प्रतिक्रिया
इस घटना के सामने आने के बाद दक्षिणपंथी संगठनों ने बिलासपुर में प्रदर्शन किए और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की। पूर्व छत्तीसगढ़ कांग्रेस अध्यक्ष धनेंद्र साहू ने इस मामले को गंभीर बताते हुए कहा कि NSS शिविर में धार्मिक गतिविधि कराना पहली बार देखा गया है, और इसकी गहन जांच होनी चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि बीजेपी सरकार के सत्ता में आने के बाद से कानून-व्यवस्था की स्थिति खराब हो गई है।
बयान दर्ज करने को नोटिस जारी
कोटा पुलिस स्टेशन के प्रभारी सुमित कुमार ने बताया कि मामले की जांच शुरू हो चुकी है। FIR में नामित व्यक्तियों को बयान दर्ज करने के लिए नोटिस जारी किए जाएंगे। पुलिस इस मामले में और सबूत जुटाने और गवाहों के बयान दर्ज करने की प्रक्रिया में है। यह मामला धार्मिक संवेदनशीलता और शैक्षणिक संस्थानों में धार्मिक गतिविधियों के दुरुपयोग से संबंधित गंभीर सवाल उठाता है। हाई कोर्ट के इस फैसले के बाद यह स्पष्ट है कि जांच अब और सख्ती से आगे बढ़ेगी। इस घटना ने न केवल गुरु घासीदास सेंट्रल यूनिवर्सिटी की छवि को प्रभावित किया है, बल्कि यह भी सवाल उठाया है कि शैक्षणिक शिविरों में इस तरह की गतिविधियों को कैसे रोका जा सकता है।
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