छत्तीसगढ़ में घास-फूस की झोपड़ियों की जगह अब पक्के मकान, लाखों परिवारों का सपना पूरा

मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय का कहना है कि आर्थिक रूप से पिछड़े परिवारों को बुनियादी सुविधाएं देना उनकी प्राथमिकता है। मुख्यमंत्री स्वयं पहाड़ी कोरवा जैसी विशेष पिछड़ी जनजातियों के जीवन से जुड़े रहे हैं।

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The Sootr
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CG News: छत्तीसगढ़ में आवासीय बदलाव की इबारत लिखी जा रही है। 'मोर दुवार-साय सरकार' जैसा अभिनव अभियान राज्य में गरीब, वंचित और आवासहीन परिवारों की जिंदगी में बदलाव ला रहा है। यह महज सरकारी योजना नहीं, बल्कि मानवीय गरिमा से जुड़ा वह प्रयास है, जो जरूरतमंदों को पक्की छत के साथ आत्मविश्वास और स्थायित्व दे रहा है।

छत्तीसगढ़ की शहरी सीमा के भीतर भी प्रधानमंत्री आवास योजना का विस्तार हुआ है, जहां लाखों नागरिकों का सपना अब अपने घर में साकार हो रहा है। 189 नगरीय निकायों में प्रधानमंत्री आवास योजना (शहरी) 2.0 के तहत तीन आय वर्गों ईडब्ल्यूएस (3 लाख), एलआईजी (6 लाख) और एमआईजी (9 लाख) के हितग्राहियों को शामिल कर दायरा बढ़ाया गया है।

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छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय का कहना है कि आर्थिक रूप से पिछड़े परिवारों को बुनियादी सुविधाएं देना उनकी प्राथमिकता है। मुख्यमंत्री स्वयं पहाड़ी कोरवा जैसी विशेष पिछड़ी जनजातियों के जीवन से जुड़े रहे हैं। घास-फूस की झोपड़ियों में जीवन जीने वालों का दर्द सीएम बखूबी समझते हैं।

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बीते पांच वर्षों में जिन 18 लाख परिवारों के आवास अधूरे रहे, उनके लिए मुख्यमंत्री साय ने शपथ के अगले ही दिन कैबिनेट में आवास स्वीकृति का ऐतिहासिक निर्णय लिया था। इसी के तहत सामाजिक-आर्थिक सर्वेक्षण में चिन्हित 47,090 आवासहीन परिवारों को मुख्यमंत्री आवास योजना के अंतर्गत आवास स्वीकृत किए गए हैं।

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सम्मान और आत्मनिर्भरता की नींव 

जगदलपुर के घाटपदमपुर गांव से इस 'मोर दुवार-साय सरकार' अभियान की शुरुआत कर मुख्यमंत्री साय ने यह स्पष्ट किया कि प्रधानमंत्री आवास योजना का क्रियान्वयन सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकताओं में शामिल है। आज छत्तीसगढ़ के सुदूर अंचलों में भी प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत बने पक्के मकान, ग्रामीण क्रांति के जीवंत प्रमाण बनकर उभर रहे हैं।

मिट्टी की झोपड़ियों और बांस की टिकी कमजोर संरचनाओं की जगह अब ठोस और सुरक्षित मकान बन रहे हैं। हितग्राही कहते हैं कि यह सिर्फ आवास नहीं, यह उनके सम्मान और आत्मनिर्भरता की नींव हैं। प्रधानमंत्री आवास योजना राज्य के निर्माण क्षेत्र को भी नई गति दे रही है, जिससे ईंट, सीमेंट, सरिया जैसे उद्योगों में व्यापक रोजगार और व्यापार का सृजन हुआ है।

केंद्र ने दी तीन लाख अतिरिक्त आवासों की स्वीकृति 

केंद्र सरकार ने छत्तीसगढ़ को 11,50,315 ग्रामीण आवासों का लक्ष्य दिया है। इनमें से अब तक 9,41,595 आवास स्वीकृत हो चुके हैं। हाल ही में केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने छत्तीसगढ़ को अतिरिक्त 3 लाख आवासों की स्वीकृति दी है, जिससे यह अभियान और भी विशाल हो गया है। यह छत्तीसगढ़ के इतिहास की अब तक की सबसे बड़ी ग्रामीण आवास योजना बन चुकी है।

छत्तीसगढ़ सरकार की यह योजना समाज के हर वर्ग को समाहित करती है, लेकिन विशेष रूप से बैगा, कमार, पहाड़ी कोरवा, अबूझमाड़िया और बिरहोर जैसी विशेष पिछड़ी जनजातियों के परिवारों को प्रधानमंत्री जनमन योजना के अंतर्गत पक्के मकान मुहैया कराए जा रहे हैं। महासमुंद जिले के धनसुली गांव की कमार बस्ती इसका उदाहरण है, जहां 15 से अधिक कमार परिवारों को पक्का घर दिया गया है।

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योजनाएं अनेक और लक्ष्य सिर्फ एक...

राज्य सरकार प्रधानमंत्री आवास योजना के साथ-साथ मुख्यमंत्री आवास योजना के तहत भी सक्रिय रूप से काम कर रही है। अब तक 47,090 में से 38,632 आवासों की स्वीकृति दी जा चुकी है। सरेंडर करने वाले नक्सलियों और नक्सल पीड़ित परिवारों के लिए 15,000 विशेष आवास स्वीकृत किए गए हैं। जनजातीय परिवारों के लिए पीएम जनमन योजना के अंतर्गत 42,326 मकानों के लक्ष्य में से 27,778 स्वीकृत हो चुके हैं। इनमें से 6,482 का निर्माण पूरा हो चुका है। नियद-नेल्ला-नार योजना के तहत 477 आवास पूर्ण कराए गए हैं।

पीएम ने कराया था गृहप्रवेश 

गौरतलब है कि चैत्र नवरात्रि के पहले दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बिलासपुर से 3 लाख हितग्राहियों को एक साथ गृहप्रवेश कराया था। यह इस योजना की सफलता और विश्वसनीयता का प्रमाण है। पूर्ववर्ती सरकार द्वारा जिन 18 लाख पात्र हितग्राहियों को वर्षों तक आवास से वंचित रखा गया था, उनके लिए अब उम्मीद की रोशनी साकार रूप ले रही है।

 

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