छत्तीसगढ़ का एक विभाग 80 साल उम्र के कर्मचारियों को भी वेतन दे रहा है और ऐसे एक दो कर्मचारी नहीं बल्कि 300 से अधिक महिलाएं इस गड़बड़ी का फायदा उठा रही हैं। मामला महिला एवं बाल विकास विभाग से जुड़ा हुआ है। और जिन कर्मचारियों को इस गड़बड़ी का फायदा मिल रहा है। यह आंगनबाड़ियों में पदस्थ कार्यकर्ता और सहायिका हैं, दरअसल यह 65 साल की उम्र तक शासकीय सेवा कर सकती हैं।
जब इनके कार्य मुक्त करने का समय आता है तो इन्हें नियमानुसार 1 माह पहले इन कार्यकर्ता और सहायिकाओं को नोटिस देना होता है। नोटिस देने की जिम्मेदारी जिलों में पदस्थ विभाग के सीडीपीओ यानी चाइल्ड डेवलपमेंट प्रोगाम ऑफीसर के पास है। लेकिन प्रदेश भर के जिलों में लगभग 300 से अधिक आंगनवाड़ी सहायिका एवं कार्यकर्ता को यह नोटिस ही नहीं दिया गया है। जिसका फायदा अभी भी इन कर्मचारियों को मिल रहा है।
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कार्यकर्ताओं को मिलता है 10000 रु का मानदेय
शासकीय नियम अनुसार आंगनवाड़ी में पदस्थ कार्यकर्ताओं को 10000 रु और सहायिकाओं को 5000 रु का मासिक मानदेय मिलता है। द सूत्र के पास उपलब्ध दस्तावेज में 29 आंगनबाड़ी कार्यकर्ताएं और 279 सहायिकाएं रिटायरमेंट की उम्र के बाद भी सरकार से मानदेय ले रही हैं। यह केवल एक जिले का नहीं है बल्कि बलौदा बाजार, भाटापारा, बलरामपुर, बस्तर, बीजापुर, दंतेवाड़ा,धमतरी का है।अधिकारी इसकी जांच करवाने की बात कह रहे हैं।
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सेवा की उम्र 62 से 65 की गई
इन आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं सहायिकाओं के लिए पहले शासकीय कार्य करने की उम्र 62 वर्ष थी लेकिन अक्टूबर 2023 में इसे 65 वर्ष कर दिया गया यानी जो आंगनवाड़ी कार्यकर्ता और सहायिकाएं पहले 62 की उम्र तक सेवा करती थी अब वह 65 उम्र तक शासकीय सेवा में रह सकती हैं लेकिन रिकार्ड के मुताबिक किसी महिला की उम्र 66 किसी की 70 किसी की 75 और किसी की 80 है।
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कंप्यूटर की गड़बड़ी बता रहे हैं अधिकारी
10 सूत्र नहीं जब इस गड़बड़ी पर महिला में बाल विकास के अधिकारियों से चर्चा की तो उन्होंने इस कंप्यूटर की गड़बड़ी बताते हुए अपना पल्ला झाड़ लिया उनका कहना था कि यह डाटा फिटिंग के गड़बड़ी मात्र है इसे जल्दी सुधार दिया जाएगा
जहां तक 80 साल उम्र की बात है, तो आंगनबाड़ी कर्मचारियों ने उम्र लिखवाने में कुछ गड़बड़ी की है। ये बात जरूर है कि कुछ की उम्र रिटायरमेंट से ज्यादा है। हमारी प्राथमिकता गर्भवती और शिशुवती माताएं हैं, नई भर्ती के बाद इन्हें सेवा से पृथक कर दिया जाएगा।
पदुम लाल एल्मा, संचालक, महिला एवं बाल विकास
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