छत्तीसगढ़ के प्रथम मुख्यमंत्री स्वर्गीय अजीत जोगी की मूर्ति को हटाए जाने को लेकर गौरेला-पेंड्रा-मरवाही ज़िले में राजनीतिक माहौल गरमा गया है। इस मुद्दे पर मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने बयान देते हुए कहा है कि वह मामले की गंभीरता को समझते हैं और जिला प्रशासन से पूरी जानकारी मंगवाई गई है। जानकारी प्राप्त होने के बाद ही उचित निर्णय लिया जाएगा।
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रेनू जोगी ने की मुख्यमंत्री से मुलाकात
जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ (जे) की प्रमुख और अजीत जोगी की पत्नी रेणु जोगी ने इस सिलसिले में मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय से मुलाकात की। इस मुलाकात के बाद मुख्यमंत्री ने पत्रकारों से चर्चा करते हुए कहा 'कल रेणु जोगी मुझसे मिलने आयीं थीं। उन्होंने अजीत जोगी जी की मूर्ति हटाए जाने का मुद्दा उठाया। हमने तुरंत जिला प्रशासन से रिपोर्ट मंगवाई है। जैसे ही जानकारी मिलेगी, इस मामले में उचित निर्णय लिया जाएगा।'
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ये है मामला
जानकारी के मुताबिक, गौरेला-पेंड्रा-मरवाही ज़िले के किसी सार्वजनिक स्थान पर लगी स्व. अजीत जोगी की प्रतिमा को स्थानीय प्रशासन द्वारा हटाया गया या हटाने की प्रक्रिया शुरू की गई है। इसे लेकर जोगी समर्थकों और पार्टी कार्यकर्ताओं में रोष है। सोशल मीडिया पर भी लोग इसे पूर्व मुख्यमंत्री का अपमान मानते हुए प्रशासन पर सवाल उठा रहे हैं।
राजनीतिक सरगर्मी बढ़ी
मामले ने राजनीतिक रंग तब लिया जब जनता कांग्रेस (जे) ने इसे सामाजिक और राजनीतिक अपमान बताते हुए विरोध दर्ज किया। रेनू जोगी ने स्पष्ट किया कि अजीत जोगी को छत्तीसगढ़ के निर्माण और विकास में उनकी भूमिका के लिए जाना जाता है, और उनकी मूर्ति को हटाना राज्य के इतिहास और जनता की भावनाओं का अपमान है।
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प्रशासन की चुप्पी और विपक्ष का आरोप
इस मामले में ज़िला प्रशासन की ओर से अभी तक कोई स्पष्ट बयान सामने नहीं आया है। वहीं कांग्रेस और जनता कांग्रेस (जे) के नेताओं ने राज्य सरकार से तुरंत हस्तक्षेप कर मूर्ति को पुनः स्थापित कराने की मांग की है। कुछ विपक्षी नेताओं ने इसे राजनीतिक द्वेष की कार्रवाई बताया है।
स्व. अजीत जोगी की मूर्ति हटाए जाने का मामला अब राजनीतिक गरमाहट का कारण बन चुका है। सीएम के बयान के बाद उम्मीद की जा रही है कि प्रशासन की रिपोर्ट आने के बाद इस विवाद पर स्थिति साफ़ होगी। वहीं स्थानीय जनता और जोगी समर्थकों की निगाहें अब सरकार के अगले कदम पर टिकी हैं।
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