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छत्तीसगढ़ के बहुचर्चित डीएमएफ (डिस्ट्रिक्ट मिनरल फाउंडेशन) घोटाले में आर्थिक अपराध शाखा (EOW) ने एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए विशेष कोर्ट में 6,000 पन्नों की विस्तृत चार्जशीट दाखिल की है। इस मामले में नौ प्रमुख आरोपियों, जिनमें IAS अधिकारी रानू साहू, सौम्या चौरसिया, और सूर्यकांत तिवारी शामिल हैं, को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से कोर्ट में पेश किया गया। यह घोटाला कोरबा जिले के डीएमएफ फंड के दुरुपयोग से जुड़ा है, जिसमें बड़े पैमाने पर अनियमितताएं सामने आई हैं।
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यह है डीएमएफ घोटाला
डीएमएफ घोटाला कोरबा जिले में खनन से संबंधित डिस्ट्रिक्ट मिनरल फाउंडेशन फंड के कथित दुरुपयोग का मामला है। प्रवर्तन निदेशालय (ED) की प्रारंभिक जांच के आधार पर EOW ने भारतीय दंड संहिता की धारा 120बी (आपराधिक साजिश) और धारा 420 (धोखाधड़ी) के तहत मामला दर्ज किया था। जांच में यह खुलासा हुआ कि डीएमएफ फंड के तहत विभिन्न टेंडरों के आवंटन में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार हुआ। टेंडर प्रक्रिया में अनियमितताओं के जरिए निजी कंपनियों को अवैध लाभ पहुंचाया गया, जिसमें सरकारी अधिकारियों ने कमीशन के रूप में मोटी रकम वसूली।
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जांच में यह आया सामने
EOW और ED की संयुक्त जांच में कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं:
कमीशन का खेल : जांच में पाया गया कि टेंडर की राशि का 40% हिस्सा सरकारी अधिकारियों को कमीशन के रूप में दिया गया। इसके अलावा, निजी कंपनियों को आवंटित टेंडरों पर 15 से 20% की अतिरिक्त राशि अलग-अलग सरकारी अधिकारियों को रिश्वत के रूप में दी गई।
पद का दुरुपयोग : ED की रिपोर्ट के अनुसार, IAS अधिकारी रानू साहू और अन्य अधिकारियों ने अपने पद का दुरुपयोग कर टेंडर प्रक्रिया में हेरफेर किया। इससे न केवल सरकारी खजाने को नुकसान हुआ, बल्कि डीएमएफ फंड के उद्देश्य, जो खनन क्षेत्रों के विकास और कल्याण के लिए था, को भी चोट पहुंची।
निजी कंपनियों की भूमिका : जांच में यह भी सामने आया कि कुछ निजी कंपनियों ने टेंडर हासिल करने के लिए सरकारी अधिकारियों के साथ सांठगांठ की। इन कंपनियों को नियमों को ताक पर रखकर अनुचित लाभ पहुंचाया गया।
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चार्जशीट और कोर्ट की कार्यवाही
EOW द्वारा दाखिल 6,000 पन्नों की चार्जशीट में इस घोटाले के हर पहलू को विस्तार से उजागर किया गया है। इसमें आरोपियों के खिलाफ सबूत, गवाहों के बयान, और वित्तीय लेनदेन के दस्तावेज शामिल हैं। कोर्ट में सुनवाई के दौरान रानू साहू, सौम्या चौरसिया, और सूर्यकांत तिवारी सहित सभी नौ आरोपी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए पेश हुए। चार्जशीट में इन आरोपियों की भूमिका और उनके द्वारा किए गए कथित अपराधों का विस्तृत विवरण दिया गया है।
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डीएमएफ का उद्देश्य और घोटाले का प्रभाव
डिस्ट्रिक्ट मिनरल फाउंडेशन (DMF) का गठन खनन प्रभावित क्षेत्रों में सामाजिक और आर्थिक विकास के लिए किया गया था। इस फंड का उपयोग शिक्षा, स्वास्थ्य, और बुनियादी ढांचे जैसे क्षेत्रों में किया जाना था। हालांकि, इस घोटाले ने न केवल सरकारी धन का दुरुपयोग किया, बल्कि उन समुदायों को भी नुकसान पहुंचाया, जिनके कल्याण के लिए यह फंड बनाया गया था।
चार्जशीट की जांच से पता चलेगा कितने ठोस सबूत
इस मामले में कोर्ट की अगली सुनवाई और चार्जशीट की जांच से यह स्पष्ट होगा कि आरोपियों के खिलाफ कितने ठोस सबूत हैं। EOW और ED की कार्रवाई से यह उम्मीद जताई जा रही है कि इस घोटाले के दोषियों को सजा मिलेगी और भविष्य में इस तरह की अनियमितताओं पर अंकुश लगेगा। यह मामला छत्तीसगढ़ में प्रशासनिक पारदर्शिता और जवाबदेही पर भी सवाल उठाता है।
इस घोटाले ने एक बार फिर यह साबित किया है कि सत्ता और संसाधनों का दुरुपयोग कितना नुकसानदायक हो सकता है। अब सभी की नजरें कोर्ट की कार्यवाही पर टिकी हैं, जहां इस मामले की गहराई से जांच होगी।
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