छत्तीसगढ़ में स्कूलों के युक्तियुक्तकरण का आदेश जारी

छत्तीसगढ़ सरकार ने प्रदेश में लंबे समय से लंबित स्कूल युक्तियुक्तकरण योजना को तत्काल प्रभाव से लागू कर दिया है। इस निर्णय के तहत कम छात्र संख्या वाले स्कूलों को समीपवर्ती विद्यालयों में मर्ज कर दिया गया है।

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Harrison Masih
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छत्तीसगढ़ सरकार ने प्रदेश में लंबे समय से लंबित स्कूल युक्तियुक्तकरण योजना को तत्काल प्रभाव से लागू कर दिया है। इस निर्णय के तहत कम छात्र संख्या वाले स्कूलों को समीपवर्ती विद्यालयों में मर्ज कर दिया गया है। सरकार और स्कूल शिक्षा विभाग का मानना है कि इससे न केवल शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार आएगा, बल्कि शिक्षकों की अनुपलब्धता की समस्या से भी निपटा जा सकेगा।

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चौंकाने वाले आंकड़े

राज्य के प्राथमिक और पूर्व माध्यमिक स्कूलों की वर्तमान स्थिति सरकार की बड़ी चिंता का विषय रही है। विभाग द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार:

212 प्राथमिक स्कूलों में एक भी शिक्षक नहीं है।

6,872 प्राथमिक स्कूलों में केवल एक शिक्षक ही कार्यरत है।

पूर्व माध्यमिक स्तर पर 48 स्कूलों में शिक्षक विहीन स्थिति है।

255 पूर्व माध्यमिक स्कूलों में भी सिर्फ एक-एक शिक्षक हैं।

इतना ही नहीं, 362 स्कूल ऐसे भी हैं, जहां शिक्षक तो हैं, लेकिन एक भी छात्र पंजीकृत नहीं है।

इन आंकड़ों से साफ है कि राज्य में शिक्षा ढांचे के भीतर विकेंद्रीकरण और संसाधनों के असमान वितरण की बड़ी चुनौती रही है, जिसे इस युक्तियुक्तकरण योजना के ज़रिए दुरुस्त करने की कोशिश की जा रही है।

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उद्देश्य और प्रभाव

स्कूल शिक्षा विभाग का कहना है कि कम छात्र संख्या वाले स्कूलों को पास के स्कूलों में मर्ज करने से:

शिक्षकों का समान वितरण संभव होगा

छात्रों को बेहतर शिक्षा सुविधाएं मिलेंगी

बुनियादी ढांचे का समुचित उपयोग किया जा सकेगा

घोस्ट स्कूलों (बिना छात्र वाले स्कूल) पर रोक लगेगी

सरकार ने इस प्रक्रिया में यह सुनिश्चित करने का दावा किया है कि छात्रों को स्कूल तक पहुंचने में कठिनाई न हो और दूरी की सीमा को ध्यान में रखते हुए ही विलय की प्रक्रिया अपनाई गई है।

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विपक्ष की आलोचना, शिक्षा विभाग की सफाई

जहां एक ओर सरकार इसे शिक्षा प्रणाली को मजबूत करने की दिशा में बड़ा कदम मान रही है, वहीं दूसरी ओर विपक्ष ने इस फैसले की आलोचना करते हुए कहा है कि यह कदम ग्रामीण इलाकों में शिक्षा से वंचित बच्चों की संख्या बढ़ा सकता है। इस पर शिक्षा विभाग का कहना है कि सभी निर्णय भौगोलिक परिस्थिति, छात्र संख्या और संसाधन उपलब्धता के आधार पर लिए गए हैं।

छत्तीसगढ़ सरकार की यह पहल राज्य में शिक्षा प्रणाली को संतुलित और प्रभावी बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण मानी जा रही है। अब देखना होगा कि आने वाले महीनों में इस कदम का जमीनी असर कैसा पड़ता है — क्या इससे गुणवत्ता में सुधार आएगा या नई चुनौतियाँ सामने आएंगी।

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