पद्मश्री से सम्मानित हुए बस्तर की लोककला के संवाहक पंडी राम मंडावी

छत्तीसगढ़ की समृद्ध जनजातीय कला और सांस्कृतिक विरासत को अंतरराष्ट्रीय मंच तक पहुंचाने वाले प्रख्यात लोककलाकार पंडी राम मंडावी को वर्ष 2025 में भारत सरकार द्वारा पद्मश्री सम्मान से नवाजा गया है।

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VINAY VERMA
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Pandi Ram Mandavi, the bearer of Bastar's folk art, was awarded Padma Shri the sootr
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छत्तीसगढ़ की समृद्ध जनजातीय कला और सांस्कृतिक विरासत को अंतरराष्ट्रीय मंच तक पहुंचाने वाले प्रख्यात लोककलाकार पंडी राम मंडावी को वर्ष 2025 में भारत सरकार द्वारा पद्मश्री सम्मान से नवाजा गया है। यह सम्मान उन्हें पारंपरिक वाद्ययंत्र निर्माण और लकड़ी की शिल्पकला के क्षेत्र में उनके अनुकरणीय योगदान के लिए भारत की राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू द्वारा प्रदान किया गया।

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गोंड मुरिया जनजाति से संबंध रखने वाले मंडावी:

नारायणपुर जिले के निवासी पंडी राम मंडावी गोंड मुरिया जनजाति से ताल्लुक रखते हैं। उन्होंने अपनी कला के माध्यम से न केवल छत्तीसगढ़, बल्कि पूरे देश और विश्व को बस्तर की लोकसंस्कृति से परिचित कराया है। वे विशेष रूप से ‘सुलुर’ के निर्माण के लिए प्रसिद्ध हैं, जो बस्तर की पारंपरिक बांसुरी है और जनजातीय जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा मानी जाती है।

सांस्कृतिक संरक्षण और प्रशिक्षण का कार्य:

पंडी राम मंडावी ने न सिर्फ स्वयं इस अद्भुत लोककला को जीवित रखा, बल्कि इसे आने वाली पीढ़ियों तक पहुंचाने का भी बीड़ा उठाया। उन्होंने 1000 से अधिक कारीगरों को प्रशिक्षण देकर इस कला परंपरा को संरक्षित और समृद्ध किया। उनके इस योगदान ने बस्तर की संस्कृति को एक नया जीवन दिया और युवा पीढ़ी को अपनी जड़ों से जोड़े रखने में मदद की।

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अंतरराष्ट्रीय मंच पर बस्तर की कला का प्रतिनिधित्व:

पंडी राम मंडावी ने अब तक 8 से अधिक देशों में अपनी कला का प्रदर्शन कर भारत की जनजातीय विरासत को वैश्विक मंच पर पहुंचाया है। उनके कार्यों ने यह प्रमाणित किया है कि लोककला और शिल्प न केवल मनोरंजन के माध्यम हैं, बल्कि सामाजिक चेतना, सांस्कृतिक गर्व और आर्थिक सशक्तिकरण के साधन भी हैं।

संघर्षपूर्ण जीवन, लेकिन अडिग समर्पण:

उनका जीवन संघर्षों और कठिनाइयों से भरा रहा है। आर्थिक तंगी के बावजूद उन्होंने कभी अपनी कला से समझौता नहीं किया। उनका जीवन इस बात का जीवंत उदाहरण है कि समर्पण, मेहनत और दृढ़ इच्छाशक्ति से कोई भी व्यक्ति अपनी संस्कृति को दुनिया के सामने प्रस्तुत कर सकता है।

प्रदेश का गौरव:

छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने पंडी राम मंडावी को पद्मश्री सम्मान मिलने पर बधाई दी और कहा,

“पंडी राम मंडावी जी का सम्मान पूरे छत्तीसगढ़ के लिए गर्व का क्षण है। उन्होंने बस्तर की सांस्कृतिक धरोहर को जीवित रखा और उसे वैश्विक पहचान दिलाई है।”

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संवेदनशील कलाकार, बस्तर की आत्मा:

पंडी राम मंडावी सिर्फ एक कलाकार नहीं हैं, वे बस्तर की जीवंत विरासत के संवाहक हैं। उनका यह सम्मान न केवल उनकी व्यक्तिगत उपलब्धि है, बल्कि बस्तर की जनजातीय परंपराओं, शिल्पकला और लोकसंगीत को राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिष्ठा दिलाने वाला गौरवमयी क्षण है।

पंडी राम मंडावी की यह उपलब्धि हमें यह सोचने को विवश करती है कि किस प्रकार हमारी पारंपरिक कलाएं आज भी जीवित हैं, और उन्हें संरक्षित करने वाले कलाकार वास्तव में देश की अमूल्य धरोहर हैं। उनका सम्मान हम सभी के लिए प्रेरणा है – अपनी मिट्टी, अपनी जड़ों और अपनी संस्कृति के प्रति निष्ठा रखने की।

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