CG liquor scam
शिव शंकर सारथी, RAIPUR. प्रवर्तन निदेशालय ने अपने शिकार रिटायर्ड आईएएस अनिल टूटेजा ( Retired IAS Anil Tuteja ) के लिए रात भर काम किया है। सुबह 3.30 बजे उनकी आधिकारिक गिरप्तारी दिखाई गई और विशेष न्यायाधीश की अदालत ने न्यायिक अभिरक्षा में सोमवार तक के लिए अनिल टूटेजा को जेल भेजा है।
ढेबर, अरविन्द सिंह और अरुणपति ACB के कब्जे में
रिटायर्ड आईएएस अनिल टूटेजा ED पर दो बार भारी पड़ चुके हैं। ऐसे में अब ईडी फूंक-फूंक कर कदम रखेगी। इस ईडी ने अनिल टूटेजा को 2200 करोड़ के लिकर स्कैम में गिरप्तार किया है। लिकर स्कैम में प्रवर्तन निदेशालय के निवेदन पर अनवर ढेबर, अरविन्द सिंह और अरुणपति त्रिपाठी ACB के कब्जे में हैं। साल 2020 में आयकर विभाग की जांच के बाद जो पेपर वर्क हुआ है वो पेपर्स एक बड़े नेक्सस का पर्दाफाश कर रहे हैं।
लिकर स्कैम में IAS अनिल टूटेजा टॉप 5 में शामिल
देश दुनिया यह जानती है कि इन 5-7 सालों में केंद्रीय जांच एजेंसियां कितने समन्वय के साथ काम करने लगी हैं। छत्तीसगढ़ के लिकर स्कैम में आईएएस अनिल टूटेजा टॉप 5 लोगों में शामिल हैं। जांच एजेंसियां पॉलिटिकल लीडर, पॉलिटिकल लाभार्थी को खोजेगी। आबकारी विभाग से अरुणपति त्रिपाठी न्यायिक अभिरक्षा में जेल में हैं। नेक्सस के ऑर्डर को एक बाहरी लीड करता था, वो नाम शायद अनवर ढेबर का है। अनवर ढेबर का राइटहैंड अरविन्द सिंह है। अरुणपति त्रिपाठी और अनवर ढेबर के प्रोफाइल के आगे ACB के जांच अधिकारी सख्ती करने में सक्षम नहीं लगते हैं। इसीलिए पिटाई का आरोप सिर्फ अरविन्द सिंह ने लगाया है। भले ही First ADJ निधि शर्मा तिवारी ने फिजिकली फिटनेस और मेडिकल रिपोर्ट नहीं होने की वजह से पिटाई के तथ्य को नहीं माना।
2200 करोड़ के कथित घोटाले को योजनाबद्ध ढंग से दिया अंजाम
अनिल टूटेजा की गिरप्तारी को ACB और ED की जुगलबंदी माना जाना चाहिए। अनिल टूटेजा की गिरप्तारी का एक मतलब यह भी अब Liquor scam में और भी बड़े नामों वाले व्यक्ति कभी भी गिरफ्त में लिए जा सकते हैं। तत्कालीन आबकारी मंत्री कवासी लखमा भी नामजद आरोपी हैं। दिल्ली लिकर स्कैम की तर्ज पर छत्तीसगढ़ में भी ED का रणनीतिक कामकाज दिख सकता है। 2200 करोड़ के कथित घोटाले को बड़े ही योजनाबद्ध ढंग से अंजाम दिया गया है। नेक्सस में मंत्री, ब्यूरो क्रेट्स, देशी शराब के निर्माता और आबकारी विभाग के अधिकारी शामिल रहे हैं। इसके आलावा होलो ग्राम प्रिंटर्स, बॉटल्स का उत्पादन करने वाले लोग शामिल हैं। कोल लेवी स्कैम की तरह आबकारी विभाग के तत्कालीन विशेष सचिव अरुणपति त्रिपाठी ने शराब के ट्रैकिंग और ट्रेसिंग सिस्टम के बारे में चिट्ठियां लिखी हैं। वो शासकीय पत्र एक तरह से प्राथमिक सुबूत बन सकते हैं।
आबकारी अफसरों की भूमिकाओं की ACB कर रही जांच
पूरे स्कैम को कम से कम दस बड़े लोगों ने मिलकर अंजाम दिया है। दस में से सिर्फ तीन गिरफ्त में हैं। बाकी के तीन इसी हफ्ते गिरप्त में लिए जा सकते हैं और बाकी चार की गिरफ्तारी में थोड़ा समय लग सकता है। आबकारी विभाग के ऑफिसर्स से बयान लेकर उनकी भूमिकाओं को ACB जांच रही है। ऑफिसर्स के बयानों से यह भी पता चलेगा कि सिस्टम को किसने ब्रेक किया? जांच एजेंसियों की माने तो लिकर स्कैम को बड़े ही योजनाबद्ध तरीके से अंजाम दिया गया है। देखना होगा कि जांच एजेंसी की कहानी अदालत में टिकती है या नहीं।