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अब स्कूल के जर्जर भवनों में पवई नहीं होगी। इसे लेकर शिक्षा विभाग ने कई निर्देश जारी किए हैं। स्कूल शिक्षा विभाग ने छत्तीसगढ़ के सभी कलेक्टरों को पत्र भेजकर कहा है कि जर्जर स्कूल भवनों में किसी भी स्थिति में कथाएं न लगाई जाएं। जहां भवन की हालत खराब है, वहां बच्चों को किसी दूसरे सुरक्षित सरकारी भवन या कमरे में पढ़ाया जाए। साथ ही जर्जर स्कूलों की मरम्मत जल्द कराने के निर्देश भी दिए गए हैं।
स्कूलों की हालत जर्जर
बिलासपुर में कुल 1,857 स्कूल हैं, जिनमें 1,113 प्राइमरी, 518 मिडिल, 103 हर्ष और 123 हायर सेकेंडरी स्कूल शामिल हैं। इनमें से 302 स्कूल मरम्मत योग्य हालत में पाए गए हैं। बारिश के चलते कई स्कूलों की छत टपक रही है, दीवानों में दरारें आ गई हैं। और फर्म उखड़ गए हैं। पहले से ही इन स्कूलों की हालत खराब थी।
अभी तक इन स्कूलों को मरम्मत नहीं कराने से स्कूल शिक्षा विभाग नाराज है। कहा है कि किसी भी स्थिति में जर्जर शाला भवन कक्षाओं में छात्रों को अध्यापन कार्य नहीं कराया जाना है। ऐसे भवनों के स्थान पर किसी सरकारी भवन या कक्ष में छात्र छात्राओं की अध्यापक की व्यवस्था कराने निर्देश जारी किया गया है।
दोबारा जारी किया गया निर्देश
शिक्षा विभाग ने पहले भी महम्मत के लिए निर्देश और बजट दिए थे, लेकिन काम पूरा नहीं हुआ। इसलिए दोबारा निर्देश जारी किए हैं। मरम्मत के लिए डीएमएफ, सीएसआर और एसस्सीए जैसे फंड का उपयोग करने को कहा गया है। मरम्मत में छत, दीवार, फर्श, दरवाजे-खिड़की, शौचालय, पानी की व्यवस्था, बिजली सुधार व जल भरान निकासी जैसे काम होंगे।
जर्जर भवनों में नहीं लगेगी क्लास: शिक्षा विभाग ने सभी कलेक्टरों को ऐसे स्कूलों में पठन-पाठन रोकने का आदेश दिया। 302 स्कूल मरम्मत योग्य हालत में: बिलासपुर जिले में बारिश और समय के चलते 302 स्कूल जर्जर हो चुके हैं। मरम्मत के लिए फंड का उपयोग निर्देशित: डीएमएफ, सीएसआर और एसस्सीए फंड से स्कूलों की मरम्मत की जाएगी। डीईओ ने बीईओ और प्राचार्यों को भेजा पत्र: सभी स्कूलों को वैकल्पिक भवन में कक्षा संचालन के निर्देश दिए गए हैं। खतरनाक भवनों की होगी जांच: जहां करंट या दीवार गिरने का खतरा है, वहां तत्काल जांच के आदेश दिए गए हैं। |
डीईओ ने बीईओ-प्राचार्यों को भेजा पत्र
शिक्षा विभाग के निर्देश के बाद जिला शिक्षा अधिकारी (डीईओ) ने जिले के सभी बीईओ और स्कूल प्राचायों को पत्र भेजा है। इसमें कहा गया है कि किसी भी हालत में जर्जर भवनों में पढ़ाई न कराई जाए। पंचायत और स्कूल प्रबंधन समिति की मदद से वैकल्पिक व्यवस्था की जाए। स्कूल भवन में करंट की आशंका हो तो तत्काल जांच कराई जाए।
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