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किसानों की आय बढ़ाने और उनके बच्चों को रोजगार दिलाने के लिए छत्तीसगढ़ में महात्मा गांधी उद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय खोला गया था। इस हार्टिकल्चर यूनिवर्सिटी के रायपुर से लेकर बस्तर तक 15 सरकारी कॉलेज हैं। 200 करोड़ के बजट वाली इस यूनिवर्सिटी में न तो कृषि पर अनुसंधान हो रहा है और न ही यहां पढ़ने वालों को रोजगार का अता पता है।
इस यूनिवर्सिटी के सभी 15 कॉलेजों में 90 फीसदी पद खाली पड़े हुए हैं। ये यूनिवर्सिटी इसलिए खोली गई थी ताकि कृषि पर रिसर्च हो और इसका फायदा उठाकर किसानों की आय में इजाफा किया जा सके। यही नहीं यहां बाकायदा प्लेसमेंट सेल भी बनाई गई है लेकिन सरकार को नहीं पता कि कितनों को रोजगार मिला और कितनों को नहीं। यही कारण है कि यहां पढ़ने के लिए युवाओं में कोई खास रुचि नहीं है। सीएम ने इसकी समीक्षा की तो हैरान रह गए।
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भगवान भरोसे यूनिवर्सिटी
इन दिनों सरकार का फोकस किसानों पर कुछ ज्यादा है। किसानों की आय बढ़ाने के लिए सरकार उनको परंपरागत खेती की बजाए फल फूल,औषधि और बाग बगीचों की खेती की तरफ ले जाने की कोशिश कर रही है। युवाओं की रुचि इस तरफ बढ़े और किसानों के परिवार के बच्चों को इस क्षेत्र में रोजगार भी मिले, इसके लिए सरकार ने महात्मा गांधी हार्टिकल्चर यूनिवर्सिटी खोली।
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इस यूनिवर्सिटी को कृषि अनुसंधान और रोजगार का केंद्र बनाया गया। लेकिन ये यूनिवर्सिटी भगवान भरोसे है। न तो इसमें खेती को लेकर कोई अनुसंधान हो रहा है और न ही रोजगार का कोई ठिकाना है। मकसद ये था कि खेती पर नई रिसर्च होगी जिसका फायदा किसानों को मिलेगा। लेकिन यूनिवर्सिटी से जुड़े कॉलेज तो खाली पड़े हैं तो रिसर्च कौन करेगा।
इस यूनिवर्सिटी का 200 करोड़ का बजट है ताकि बागवानी मिशन जैसे प्रोग्राम चलाए जा सकें लेकिन न टीचर हैं न छात्र तो मिशन कैसे चलेगा। यहां बाकायदा एक प्लेसमेंट सेल बनाई गई है। सरकार कहती है कि प्लेसमेंट सेल के जरिए प्रायवेट और सरकारी संस्थाओं जैसे बैंक, बीज और कीटनाशक से जुड़ी कंपनियों से समन्वय कर रोजगार दिलाए जा रहे हैं। लेकिन कितनों को रोजगार मिला तो कृषि मंत्री रामविचार नेताम कहते हैं कि यह हमें नहीं पता क्योंकि हम ये जानकारी नहीं रखते। अब तक इस यूनिवर्सिटी से पांच साल में 780 स्टूडेंट ही पासआउट हुए हैं।
कॉलेजों में 90 फीसदी पद खाली
हार्टिकल्चर यूनविर्सिटी से रायपुर से बस्तर तक 15 सरकारी और 4 प्रायवेट कॉलेज संबद्ध हैं। द सूत्र ने सरकार के 15 कॉलेजों की पड़ताल की है। इस पड़ताल में हैरान करने वाली जानकारी सामने आई। इन कॉलेजों में टॉप टू बॉटम यानी चपरासी से प्राचार्य तक के 90 फीसदी पद खाली पड़े हुए हैं। इन कॉलेजों में हार्टिकल्चर से संबंधित कुल पद 795 हैं जिनमें से 718 पद खाली पड़े हुए हैं। इन कॉलेजों की ऐसी हालत के कारण ही यहां पढ़ने में छात्रों की रुचि नहीं है। इन कॉलेजों में इस समय 3256 स्टूडेंट ही पढ़ाई कर रहे हैं। सबसे ज्यादा 637 राजनांदगांव कॉलेज में तो सबसे कम 27 धमतरी के कॉलेज में पढ़ रहे हैं।
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इन कॉलेजों में इतने पद खाली
पंडित किशोरीलाल शुक्ला कॉलेज,राजनांदगांव - कुल पद 87, खाली 73
क्रांतिकारी डेबरीधूर कॉलेज,जगदलपुर - कुल पद 72, खाली 63
उद्यानिकी कॉलेज,बालौद - कुल पद 41, खाली 36
उद्यानिकी कॉलेज,धमतरी - कुल पद 41, खाली 33
उद्यानिकी कॉलेज,बेमेतरा - कुल पद 41, खाली 35
उद्यानिकी कॉलेज कुनकुरी,जशपुर - कुल पद 41, खाली 37
उद्यानिकी कॉलेज पाटन - कुल पद 41, खाली 32
उद्यानिकी कॉलेज जीपीएम - कुल पद 41, खाली 37
उद्यानिकी कॉलेज बलरामपुर - कुल पद 41, खाली 40
उद्यानिकी कॉलेज बस्तर - कुल पद 41, खाली 40
उद्यानिकी कॉलेज बिलासपुर - कुल पद 41, खाली 40
उद्यानिकी कॉलेज कोतबा जशपुर - कुल पद 41, खाली 40
उद्यानिकी कॉलेज सरगुजा - कुल पद 41, खाली 40
उद्यानिकी कॉलेज चिरमिरी कोरिया - कुल पद 41, खाली 40
वानिकी कॉलेज सांकरा पाटन - कुल पद 41, खाली 37
दंतेश्वरी कॉलेज रायपुर - कुल पद 48, खाली 36
केएल उद्यानिकी कॉलेज धमतरी - कुल पद 48, खाली 14
गायत्री उद्यानिकी कॉलेज धमतरी - कुल पद 48, खाली 6
दुर्गावती उद्यानिकी कॉलेज, मेढ़ुका - कुल पद 48, खाली 39
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हालात पर हैरान सीएम
समीक्षा बैठक में उद्यानिकी कॉलेज की समीक्षा बैठक में सीएम विष्णुदेव साय तक हैरान रह गए। सीएम ने कहा कि यह संस्थान किसानों की आय बढ़ाने के लिए स्थापित किया गया था। इस कॉलेज को अनुसंधान और रोजगार का प्रमुख केंद्र बनाना था लेकिन इसमें तो माली से प्रोफेसर और प्राचार्य तक पद ही खाली पड़े हैं। सीएम ने जल्द ही इन पदों को भरने के निर्देश दिए हैं।
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