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छत्तीसगढ़ सरकार ने प्राकृतिक और मानवजनित आपदाओं से निपटने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए छत्तीसगढ़ राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण की स्थापना की है। इस प्राधिकरण का गठन राज्य में आपदा प्रबंधन की व्यवस्था को और अधिक प्रभावी, समन्वित और त्वरित बनाने के उद्देश्य से किया गया है। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय इस प्राधिकरण के पदेन अध्यक्ष होंगे, जबकि राजस्व मंत्री टंकराम वर्मा को पदेन उपाध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंपी गई है।
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प्राधिकरण की संरचना
प्राधिकरण की संरचना को व्यापक और समावेशी बनाया गया है, जिसमें विभिन्न क्षेत्रों के विशेषज्ञों और जनप्रतिनिधियों को शामिल किया गया है। प्राधिकरण में निम्नलिखित सदस्य शामिल होंगे।
दो नामांकित जनप्रतिनिधि : मुख्यमंत्री द्वारा छत्तीसगढ़ के विधायकों या सांसदों में से दो सदस्यों को नामांकित किया जाएगा।
मुख्य सचिव : मुख्य कार्यकारी अधिकारी-सदस्य के रूप में कार्य करेंगे।
राहत आयुक्त : पदेन सदस्य सचिव की भूमिका निभाएंगे।
एक गणमान्य नागरिक : आपदा प्रबंधन के क्षेत्र में अनुभव रखने वाले किसी प्रतिष्ठित व्यक्ति को अध्यक्ष द्वारा नामांकित किया जाएगा।
दो वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी : अपर मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव या सचिव स्तर के दो अधिकारियों को अध्यक्ष द्वारा नामांकित किया जाएगा।
इस तरह की संरचना सुनिश्चित करती है कि प्राधिकरण में प्रशासनिक विशेषज्ञता, जनप्रतिनिधियों की भागीदारी और आपदा प्रबंधन के अनुभवी व्यक्तियों का समन्वय हो, जिससे निर्णय लेने की प्रक्रिया अधिक प्रभावी हो।
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प्राधिकरण की कार्यप्रणाली
राजस्व विभाग द्वारा जारी आदेश के अनुसार, प्राधिकरण की बैठकें आवश्यकतानुसार आयोजित की जाएंगी। इन बैठकों का समय और स्थान अध्यक्ष द्वारा निर्धारित किया जाएगा। प्राधिकरण की कार्यप्रणाली को पारदर्शी और व्यवस्थित बनाने के लिए निम्नलिखित नियम निर्धारित किए गए हैं।
बैठक की अध्यक्षता : मुख्यमंत्री (अध्यक्ष) बैठकों की अध्यक्षता करेंगे।
मतदान का अधिकार : प्रत्येक सदस्य को एक मत का अधिकार होगा, और निर्णय बहुमत के आधार पर लिए जाएंगे।
निर्णायक मत : सामान्य परिस्थितियों में अध्यक्ष मतदान में हिस्सा नहीं लेंगे, लेकिन मतों की समानता की स्थिति में उनका मत निर्णायक होगा।
बैठक की सूचना : सचिव के हस्ताक्षर से कम से कम सात दिन पहले सदस्यों को बैठक की सूचना दी जाएगी।
गणपूर्ति : बैठक के लिए कुल सदस्यों का 50 प्रतिशत उपस्थित होना आवश्यक है। यदि गणपूर्ति पूरी नहीं होती, तो बैठक को उसी स्थान पर दो घंटे बाद पुनः आयोजित किया जाएगा, और इस स्थगित बैठक के लिए गणपूर्ति अनिवार्य नहीं होगी।
सचिवालय : राहत आयुक्त, छत्तीसगढ़ का कार्यालय प्राधिकरण का सचिवालय होगा।
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प्राधिकरण की शक्तियां और जिम्मेदारियां
प्राधिकरण को आपदा प्रबंधन अधिनियम के तहत प्रदत्त शक्तियों और कर्तव्यों का पालन करने की जिम्मेदारी सौंपी गई है। यह प्राधिकरण आपदा पूर्व आपदा के दौरान राहत और बचाव कार्य, और आपदा के बाद पुनर्वास और पुनर्निर्माण जैसे कार्यों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। प्राधिकरण का उद्देश्य आपदा प्रबंधन की रणनीतियों को लागू करना, संसाधनों का समन्वय करना और प्रभावित क्षेत्रों में त्वरित सहायता सुनिश्चित करना है।
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अशासकीय सदस्यों के लिए भत्ते
प्राधिकरण के अशासकीय सदस्यों को यात्रा भत्ता और अन्य सुविधाएं प्रदान की जाएंगी, जिनका निर्धारण राज्य सरकार समय-समय पर अपने आदेशों के माध्यम से करेगी। इससे गैर-सरकारी सदस्यों की सक्रिय भागीदारी को प्रोत्साहन मिलेगा।
आपदा प्रबंधन में छत्तीसगढ़ की नई दिशा
छत्तीसगढ़ जैसे राज्य, जहां बाढ़, सूखा, और अन्य प्राकृतिक आपदाएं समय-समय पर चुनौतियां पेश करती हैं, वहां इस प्राधिकरण का गठन एक स्वागतयोग्य कदम है। यह न केवल आपदा प्रबंधन की नीतियों को और अधिक प्रभावी बनाएगा, बल्कि स्थानीय स्तर पर त्वरित कार्रवाई और समन्वय को भी बढ़ावा देगा। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की अध्यक्षता में यह प्राधिकरण राज्य को आपदा जोखिम न्यूनीकरण और संकट प्रबंधन में एक मॉडल के रूप में स्थापित करने की दिशा में काम करेगा।
आपदा के समय सरकार साथ खड़ी
छत्तीसगढ़ राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण का गठन न केवल प्रशासनिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह जनता के लिए भी एक आश्वासन है कि आपदा के समय सरकार उनके साथ खड़ी है। इस प्राधिकरण के माध्यम से राज्य सरकार आपदा प्रबंधन के क्षेत्र में नई ऊंचाइयों को छूने के लिए तैयार है।
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