शिव शंकर सारथी, RAIPUR. सत्ता बदल गई शायद इसीलिए ACB के रेड्स ( ACB raid ) में तेजी देखने को मिल रही है। आज सुबह से ही राज्य के आधा दर्जन जिलों में शराब कारोबारियों के घर दफ्तर और डिस्टलरीज में रेड्स जारी है। सूत्रों के मुताबिक भिलाई निवासी विजय भाटिया और पप्पू बंसल के यहां रेड जारी है और फिलहाल ACB के अफसर मीडिया से बात नहीं कर रहे हैं।
ACB EOW ने अमर मणि त्रिपाठी को किया गिरफ्तार
छत्तीसगढ़ में 2000 करोड़ रुपए के लिकर स्कैम में ACB और EOW की रेड्स को देखकर लग रहा है कि कहीं इस एजेंसी की पहचान ED की तरह न हो जाए। खबर की आधिकारिक पुष्टि होना बाकी है, लेकिन सूत्रों के मुताबिक CSMCL में MD रहे अमर मणि त्रिपाठी को बिहार या महाराष्ट्र राज्य से उठा लिया गया है, जबकि The sootr की ACB EOW के एक जिम्मेदार अधिकारी से बात हुई तो उन्होंने "गिरप्तारी की सूचना मुझे नहीं है" की बात कही है। ऐसे मौकों पर, "जिम्मेदारों" के एक-एक शब्द अर्थ पूर्ण होते हैं। घोटाला करोड़ों का है, आरोपियों में लिकर कम्पनीज के मालिकान हैं। दो पूर्व मंत्री पूर्व विधायकों और भूतपूर्व मुख्य सचिव समेत 35 आबकारी अधिकारीयों के नाम, नामजद FIR दर्ज है। दिल्ली राज्य में हुए कथित लिकर स्कैम (300 करोड़ ) से कई गुना बड़े इस लिकर स्कैम पर देश और राज्य के नेताओं और बुरोक्रेट्स की नजरें जमी हैं।
ACB की रेड जारी है
गन्दा है पर धंधा है ये। गाने के यह बोल शराब के धंधे पर भी फिट बैठता है। छत्तीसगढ़ में शराब घोटाला तब भी हुआ जब सत्ता में बीजेपी थी और शराब घोटाला तब भी हो गया। जब, 2018 से 2023 तक सत्ता कांग्रेस की रही।
एंटी करप्शन ब्यूरो पूछताछ करेगी
छत्तीसगढ़ में करना आता है। सदन के अंदर माननीय बकायदा दहाड़ कर विपक्ष के सवालों का जवाब भी दिया करते थे। सदन के अंदर जिन घोटालों की जो गूंज थी। उस पर अब एंटी करप्शन ब्यूरो में जुर्म दर्ज है। 2200 करोड़ के कथित घोटाले में तत्कालीन मंत्री कवासी लखमा आबकारी विभाग के बहुत से अफसरों और शराब कारोबारियों से एंटी करप्शन ब्यूरो पूछताछ करेगी। फिलहाल अरविन्द सिंह और अनवर ढेबर इन दो लोगों को रिमांड में लेकर एंटी करप्शन ब्यूरो पूछताक्ष कर रहा है। 2200 करोड़ के कथित घोटाले में कुल आरोपियों की संख्या लगभग सत्तर है। इन सत्तर नामों में, तत्कालीन आबकारी मंत्री कवासी लखमा के आलावा भूत पूर्व मुख्य सचिव विवेक ढांड का नाम भी है। एंटी करप्शन ब्यूरो के ताजा एक्शन को देखकर लगता है कि ब्यूरो न खाऊंगा-न खाने दूंगा के नारे को चरितार्थ करना चाहता है।