राजधानी रायपुर में सरकारी शराब दुकानों से मिलावटी शराब बेचे जाने का बड़ा मामला सामने आया है। चौंकाने वाली बात यह है कि यह शराब केवल शहर में ही नहीं, बल्कि आउटर और ग्रामीण क्षेत्रों की दुकानों तक सप्लाई की जा रही थी। इस खुलासे के बाद आबकारी विभाग में हड़कंप मच गया है। प्रारंभिक जांच में इस गोरखधंधे में प्लेसमेंट एजेंसी और विभाग के कुछ पुराने अधिकारियों और कर्मचारियों की मिलीभगत की आशंका जताई जा रही है।
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दस्तावेजों की होगी डिजिटल छानबीन
लालपुर स्थित सरकारी शराब दुकान में मिलावटी और बिना होलोग्राम वाली शराब की बिक्री पकड़े जाने के बाद विभाग ने बड़ी कार्रवाई की है। आबकारी विभाग ने सभी सरकारी शराब दुकानों की गहन जांच के लिए एक विशेष समिति गठित करने का निर्णय लिया है। साथ ही, दुकानों में कार्यरत प्लेसमेंट एजेंसी के कर्मचारियों के दस्तावेजों की डिजीलॉकर ऐप के माध्यम से डिजिटल जांच की जाएगी।
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संदेह के घेरे में अफसर और एजेंसी
लालपुर की दुकान की जांच में तीन सेल्समैन की गिरफ्तारी हो चुकी है, जबकि मुख्य आरोपी सुपरवाइजर चेनदास बंजारे अभी फरार है। उसने फर्जी नाम (शेखर) और नकली दस्तावेजों के जरिए नौकरी हासिल की थी। जांच में यह भी सामने आया है कि उसके दस्तावेज उसके भाई के हैं, जो पहले से ही शराब दुकान में गड़बड़ी के चलते ब्लैकलिस्टेड है।
गौरतलब है कि जिन अधिकारियों के पास इन दुकानों की निगरानी और ऑडिट की जिम्मेदारी थी, वे महीनों तक इस गड़बड़ी को पकड़ नहीं पाए। इससे उनकी भूमिका भी संदिग्ध मानी जा रही है।
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