विधायकों के दबाव के बाद सरकार और संगठन राजी, जल्द हटेगी तबादलों पर लगी पाबंदी

विधायक अपने क्षेत्र में अपने हिसाब के अधिकारी और कर्मचारियों को लाना चाहते हैं। साथ ही चुनाव के दौरान जिन अधिकारियों से टकराव की स्थिति बनी थी उनका तबादला भी चाहते हैं।

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Arun tiwari
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After pressure MLA government-organization agreed
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विधायकों के दबाव के बाद तबादलों पर लगी रोक हटाने के लिए सरकार और संगठन राजी हो गए हैं। ऐसा माना जा रहा है कि जल्द ही तबादलों पर लगी पाबंदी हट सकती है। संभवत: सरकार सितंबर में तबादलों पर से रोक हटा लेगी। इस बारे में मंत्रालय में विचार चल रहा है। मंत्री और विधायक लगातार तबादले शुरु करने की मांग कर रहे थे।

हाल ही में प्रदेश प्रभारी नितिन नबीन के छत्तीसगढ़ दौरे के दौरान भी इस बात पर चर्चा हो चुकी है। सूत्रों की मानें तो संगठन ने भी सरकार को तबादलों के बारे में अपनी सहमति जता दी है। संगठन का मानना है कि अब सरकार को आठ महीने हो चुके हैं इसलिए विधायकों की मंशा पर भी विचार होना चाहिए। जल्द ही विधायकों से आवेदन लेना शुरु हो जाएंगे। 


विधायक चाहते हैं अपने हिसाब के अफसर


विधायक अपने क्षेत्र में अपने हिसाब के अधिकारी और कर्मचारियों को लाना चाहते हैं। साथ ही चुनाव के दौरान जिन अधिकारियों से टकराव की स्थिति बनी थी उनका तबादला भी चाहते हैं। सरकार ने भी विधायकों से कहा था कि जिन अधिकारियों का रवैया चुनाव के दौरान ठीक नहीं रहा उनकी सूची भी तैयार करें। इसी हिसाब से तबादला किया जाएगा।

हाल ही में नगरीय प्रशासन विभाग के अधिकारी-कर्मचारियों के थोकबंद तबादलों के बाद ये मांग और ज्यादा उठने लगी थी। विधायकों ने मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय, प्रदेश अध्यक्ष किरण सिंह देव, संगठन महामंत्री पवन साय और प्रदेश प्रभारी नितिन नबीन से भी इस संबंध में अपनी मांग रखने के लिए मुलाकात की थी। इसके बाद सरकार और संगठन में तबादलों पर से रोक हटाने की सहमति बन गई है। 

  
तबादलों की सीमा 10 फीसदी

 
ऐसा माना जा रहा है कि प्रदेश में एक सितंबर या सितंबर के पहले सप्ताह में रोक हटाई जा सकती है। विधायकों को मर्जी के तबादले कराने के लिए एक से डेढ़ महीने का वक्त दिया जा सकता है। यानी 1 सितंबर से 15 अक्टूबर तक तबादलों पर से बैन हट सकता है। तबादलों की सीमा 10 फीसदी तक रखी जा सकती है। यानी एक विभाग में 10 फीसदी से ज्यादा तबादले नहीं हो सकेंगे। 


इस तरह होंगे तबादले

  
जिला और प्रदेश स्तर के तबादलों के लिए अलग-अलग प्रक्रिया अपनाई जाएगी। जिलों में जो तबादलों के आवेदन दिए जाएंगे उन पर कलेक्टर की अध्यक्षता वाली समिति विचार करेगी। यह समिति तबादले के लिए अपनी अनुशंसा कर प्रभारी मंत्री को भेजेगी। प्रभारी मंत्री की मुहर लगने के बाद ही जिले में तबादले हो सकेंगे।

एक जिले से दूसरे जिले में ट्रांसफर के लिए दोनों जिलों के प्रभारी मंत्री की सहमति जरुरी होगी। प्रदेश स्तर के तबादले विभागीय मंत्री ही कर सकेंगे। अभी वर्तमान में सीएम के समन्वय में तबादले हो रहे हैं। हाल ही में नगरीय प्रशासन, स्वास्थ्य और वित्त विभाग में बड़ी संख्या में अधिकारी और कर्मचारियों को इधर से उधर किया गया है।

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