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Raipur. भारतीय महिला क्रिकेट टीम की सदस्य और फिजियोथेरेपिस्ट आकांक्षा सत्यवंशी ने छत्तीसगढ़ के गृहमंत्री विजय शर्मा से उनके सरकारी निवास में मुलाकात की। गृहमंत्री ने आकांक्षा को हनुमानजी की गदा भेंट की। आकांक्षा कवर्धा से हैं इसलिए खासतौर पर गृहमंत्री ने उनको आमंत्रित किया। गृहमंत्री का गृहक्षेत्र भी कवर्धा है। गदा देखकर आकांक्षा को महिला वर्ल्ड कप का फाइनल मैच याद आ गया। फाइनल मैच की जीत हनुमानजी की गदा से जुड़ी है। आकांक्षा ने गृहमंत्री के साथ इस किस्से को साझा किया।
आकांक्षा ने सुनाया जीत का किस्सा :
आकांक्षा ने बताया कि फाइनल मैच के दौरान टीम की खिलाड़ी राधा यादव हनुमान चालीसा पढ़ रही थीं। तभी साथी खिलाड़ी क्रांति गौर ने कहा कि आपको यह गदा पूरे मैच में हाथ में रखनी होगी। राधा यादव के हाथ में छोटी सी गदा थी। आकांक्षा ने मुस्कुराते हुए बात मान ली और पूरे मैच के दौरान हनुमान जी की गदा हाथ में लेकर बैठीं। नतीजा यह हुआ कि टीम ने शानदार जीत दर्ज की। आकांक्षा ने कहा कि शायद हनुमान जी की गदा और उनकी कृपा का ही असर था कि हम जीत गए।
2019 में शुरु किया सफर :
आकांक्षा ने साल 2019 में छत्तीसगढ़ स्टेट क्रिकेट टीम (CSCS) के साथ बतौर फिजियोथेरेपिस्ट अपने करियर की शुरुआत की थी। मेहनत, समर्पण और प्रोफेशनल एप्रोच के दम पर उन्होंने सिर्फ छह साल में राष्ट्रीय खेल जगत में अपनी पहचान बना ली। साल 2022 में वे भारतीय अंडर-19 महिला क्रिकेट टीम के साथ वर्ल्ड कप अभियान का हिस्सा बनीं। इस दौरान उन्होंने खिलाड़ियों की फिटनेस,रिकवरी सेशन,मानसिक दृढ़ता और एनर्जी बैलेंस पर खास ध्यान दिया, जिसका नतीजा टीम के शानदार प्रदर्शन के रूप में सामने आया।
विजय शर्मा ने आकांक्षा की उपलब्धियों की सराहना करते हुए कहा कि छत्तीसगढ़ की बेटियां आज हर क्षेत्र में देश का नाम रोशन कर रही हैं। उन्होंने आकांक्षा को भविष्य के लिए शुभकामनाएं दीं। आकांक्षा ने कहा कि उनकी कोशिश है कि छत्तीसगढ़ के युवा खेल और फिटनेस के क्षेत्र में आगे बढ़ें। उनका मानना है कि मेहनत और विश्वास से हर मंजिल हासिल की जा सकती है।
दुर्ग से दिल्ली तक का सफर :
दुर्ग में जन्मी और रायपुर निवासी आकांक्षा सत्यवंशी का पैतृक गांव कवर्धा में है। उन्होंने स्कूली शिक्षा और फिजियोथेरेपी में बैचलर डिग्री छत्तीसगढ़ से पूरी की और मास्टर्स डिग्री कटक से हासिल की। पढ़ाई के दौरान ही खेल और फिजियो साइंस के प्रति उनका झुकाव बढ़ता गया, जिसने उन्हें आज इस मुकाम तक पहुंचाया। आकांक्षा की कहानी सिर्फ मेहनत और समर्पण की नहीं, बल्कि विश्वास और सकारात्मक ऊर्जा की भी मिसाल है।
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