RAIPUR. आम आदमी के घर का सपना पूरा करने के लिए बनाई गई हाउसिंग बोर्ड की आवास योजनाओं पर पलीता लग गया। बिना प्लानिंग के बनी हाउसिंग बोर्ड की अटल विहार, दीनदयाल आवास और सामान्य आवास योजना फेल हो गई है।
17 जिलों में चल रही इन योजनाओं के तहत 5 हजार से ज्यादा मकान बनाए जा रहे हैं। लेकिन इन मकानों में से तीन हजार से ज्यादा मकानों को लेनदार ही नहीं मिल रहे हैं। जिन्होंने घर बुक किए हैं उनके मकान भी आधे अधूरे पड़े हैं।
ऐसे में सरकार के 450 करोड़ से ज्यादा के फंड पर पानी फिर गया है। इसके लिए हाउसिंग बोर्ड ने बैंकों से लोन भी लिया है जिसका ब्याज सरकार भर रही है।
छत्तीसगढ़ में फेल अटल और दीनदयाल आवास
आम आदमी को आवास देने के लिए हाउसिंग बोर्ड ने हाउसिंग का एक प्रोजेक्ट तैयार किया। इस प्रोजेक्ट की लागत साढ़े चार सौ करोड़ से ज्यादा की थी। इस हाउसिंग प्रोजेक्ट में तीन आवास योजनाएं शुरू की गईं। अटल विहार, दीनदयाल आवास और सामान्य आवास योजना।
इन आवास योजनाओं के तहत 17 जिलों में पांच हजार घर बनाए जाने थे। लेकिन, इसमें बेहतर प्लानिंग नजर नहीं आई जिससे इस योजना पर पलीता लग गया। पांच हजार से ज्यादा मकानों की इस योजना में तीन हजार से ज्यादा मकानों के खरीददार ही नहीं मिले।
डेढ़ हजार से ज्यादा लोगों ने मकान खरीदे भी लेकिन उनमें से अधिकांश या तो अधूरे हैं या फिर उनका निर्माण शुरू ही नहीं हुआ है। पांच साल में हाउसिंग बोर्ड अपने मकान ही नहीं बना पाया है। इसके लिए दो बैंकों से करीब 100 करोड़ का लोन भी लिया गया है जिसका ब्याज सरकार भर रही है।
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ये है आवास योजनाओं की हालत
प्रोजेक्ट - अटल विहार, दीनदयाल आवास और सामान्य आवास योजना
- जिले - 17 जिलों में 45 जगह चल रहे प्रोजेक्ट
- स्वीकृत मकानों की संख्या - 5152
- विक्रय - 1705
- शेष - 3334
- पूर्ण मकान - 880
- अपूर्ण मकान - 1865
- जिन मकानों का निर्माण शुरु ही नहीं हुआ - 2913
- लागत राशि - 465 करोड़
- बैंक से कर्ज - 100 करोड़
इन जिलों में अटल विहार योजना की स्थिति
- रायपुर - मकान 345, नहीं बिके 345
मकान 363, नहीं बिके 255
- धमतरी - मकान 182, नहीं बिके 147
मकान 189, नहीं बिके 180
- बालोद - मकान 62, नहीं बिके 46
मकान 231, नहीं बिके 148
- कांकेर - मकान 87, नहीं बिके 81
सामान्य आवास योजना की स्थिति
- रायपुर - मकान 209, नहीं बिके 142
मकान 208, नहीं बिके 134
मकान 1052, नहीं बिके 986
- दंतेवाड़ा - मकान 108, नहीं बिके 60
- रायगढ़ - मकान 183, नहीं बिके 163
- जीपीएम - मकान 135, नहीं बिके 135
कहीं लोगों की रुचि नहीं, कहीं रेरा की अनुमति नहीं
हाउसिंग बोर्ड से सरकार ने कारण पूछा कि आखिर उसके बनाए मकान क्यों नहीं बिके। हाउसिंग बोर्ड ने इन प्रोजेक्ट के फेल होने के कुछ कारण भी गिनाए हैं। कुछ जगह पर मकान न बिकने का कारण बताया गया कि यहां पर मकान खरीदने की लोगों में रुचि नहीं दिखाई दी। कुछ प्रोजेक्ट की रेरा से अनुमति ही नहीं ली गई। कुछ जगह पर जमीन अदालती प्रक्रिया में फंस गई।
हाउसिंग बोर्ड का कहना है कि मकानों की बिक्री के लिए फिर से विज्ञापन दिए जा रहे हैं और चौक चौराहों पर पंपलेट लगाए जा रहे हैं। जो मकान नहीं बिके हैं उनका निर्माण रोक दिया गया है।
कारण जो भी हों लेकिन सवाल उठता है कि आखिर इस तरह की प्लानिंग ही क्यों की गई जिससे आम जनता के टैक्स का पैसा भी उड़ा दिया गया और उनको रहने के लिए मकान भी नहीं मिल पाया।