विश्व धरोहर दिवस : खतरे में बालोद पुरातात्विक संग्रहालय, ऐतिहासिक मूर्तियां हो रहीं खंडित

छत्तीसगढ़ पुरातत्व विभाग की उदासीनता और देखरेख के आभाव में बालोद जिला मुख्यालय के बुढ़ापारा स्थित पुरातात्विक संग्रहालय का अस्तित्व खतरे में है।

author-image
Abhilasha Saksena Chakraborty
New Update
Balod Archeological Museum

Balod Archeological Museum

Listen to this article
0.75x1x1.5x
00:00/ 00:00
Chhatisgarh News: छत्तीसगढ़ पुरातत्व विभाग की उदासीनता और देखरेख के आभाव में बालोद जिला मुख्यालय के बुढ़ापारा स्थित पुरातात्विक संग्रहालय का अस्तित्व खतरे में है। देखरेख और संरक्षण के अभाव में बालोद जिले के इतिहास को समेटे मध्य प्रदेश के शासनकाल में खुले इस पहले संग्रहालय को देखने वाला कोई नहीं है। वहां लगा हुआ फव्वारा धूल खा रहा है, पेड़ सूखने लगे हैं। संग्रहालय में कई वर्षों से ताला जड़ा हुआ है। दस साल पहले जब पुरातात्विक संग्रहालय अपने मृत मुर्त रूप में था तो हर दिन बड़ी संख्या में स्कूली बच्चे और आम लोग बालोद जिले के इतिहास को देखने और जानने के लिए यहां पहुंचते थे। यहमध्य प्रदेश शासनकाल का पहला खुला संग्रहालय है।

क्या कहता है इतिहास

दरअसल छत्तीसगढ़बालोद में जब गोंडवाना राजाओं का राज था उस दौर में जब उनके सेनापति या सिपाही शहीद हो जाते थे तो उनकी स्मृति में डौंडी विकासखंड में एक विशेष कुंडी नमक पत्थर से मूर्तियां तैयार की जाती थी....जिसे अलग अलग गांव में स्थापित कर उसकी पूजा की जाती थी। जैसे जैसे समय बीतता गया तो मूर्तियां जमीन में अंदर दफन होती गई और खुदाई के दौरान अलग अलग स्थानों में निकल रही थी....जिसे देखकर मध्यप्रदेश शासन काल में सन 1992 में बालोद के तत्कालीन एसडीएम आशुतोष अवस्थी ने छत्तीसगढ़ में पहली बार बालोद नगर के बूढ़ापारा में खुला पुरातात्विक संग्रहालय बालोद में बनाया गया था..... जिसके लिए बालोद जिले की पुरातात्विक जानकारों ने जिले भर से पुरानी मूर्तियों को संग्रहित कर संग्रहालय का रूप दिया था।
ये भी पढ़ें:

खंडित हो रही हैं पुरात्तविक धरोहर में मूर्तियां

चारदीवारी के भीतर लगभग 110 मूर्तियां आज मौसम की मार और असामाजिक तत्वों के कारण खंडित होती जा रही है....पुरातात्विक जानकारों की माने तो वहां मौजूद मूर्तियां बौद्ध कालीन, गोंडवाना वंश कालीन और 9 वी शताब्दी की है। कई प्रेमी जोड़ों ने इन पर नाम उकेर दिये हैं।बारसूर पत्थरों से बनी ये मूर्तियां बारिश में और भी ज्यादा खराब हो जाएंगी।संग्रहालय को अगर नए सिरे से तैयार किया जाए तो जिले के लिए आकर्षण का केंद्र रहेगा तो वही स्कूल कॉलेज में पढ़ने वाले छात्रों के लिए जानकारी का भी अच्छा स्रोत बनेगा।
संग्रहालय पुरात्तविक धरोहर पुरातत्व विभाग Chhatisgarh news मध्य प्रदेश
Advertisment