बम्हनीडीह बीईओ एमडी दीवान तत्काल प्रभाव से निलंबित

छत्तीसगढ़ के शिक्षा विभाग में शिक्षकों के युक्तियुक्तकरण की प्रक्रिया को लेकर सरकार की मंशा भले ही स्कूलों में शिक्षा व्यवस्था को सुदृढ़ करने की हो, लेकिन इस प्रक्रिया में कुछ जिम्मेदार अधिकारियों की लापरवाही और अनियमितताएं सामने आ रही हैं।

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Krishna Kumar Sikander
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छत्तीसगढ़ के शिक्षा विभाग में शिक्षकों के युक्तियुक्तकरण की प्रक्रिया को लेकर सरकार की मंशा भले ही स्कूलों में शिक्षा व्यवस्था को सुदृढ़ करने की हो, लेकिन इस प्रक्रिया में कुछ जिम्मेदार अधिकारियों की लापरवाही और अनियमितताएं सामने आ रही हैं। ऐसा ही एक मामला बम्हनीडीह विकास खंड में सामने आया, जहां विकास खंड शिक्षा अधिकारी (बीईओ) एमडी दीवान को ज्वाइंट डायरेक्टर, बिलासपुर ने तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है। यह कार्रवाई शिक्षकों की वरीयता सूची तैयार करने में घोर लापरवाही और कर्तव्य के प्रति उदासीनता के कारण की गई है।

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निलंबन आदेश का आधार

बिलासपुर संभाग आयुक्त कार्यालय की ओर से जारी आदेश के अनुसार, बम्हनीडीह विकास खंड में पदस्थ अतिशेष शिक्षकों की पहचान और उनकी वरीयता सूची तैयार करने का दायित्व बीईओ एमडी दीवान को सौंपा गया था। हालांकि, जांच में पाया गया कि तैयार की गई वरीयता सूची में कई खामियां थीं। बीईओ द्वारा सूची तैयार करने में बरती गई लापरवाही के कारण युक्तियुक्तकरण की प्रक्रिया प्रभावित हुई। इस कमी को सुधारने के लिए बाद में काउंसलिंग की प्रक्रिया पूरी की गई, लेकिन बीईओ की यह गलती कर्तव्य के प्रति लापरवाही और उदासीनता का स्पष्ट उदाहरण मानी गई।

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निलंबन के साथ मुख्यालय निर्धारित

ज्वाइंट डायरेक्टर, स्कूल शिक्षा विभाग, बिलासपुर संभाग ने एमडी दीवान को तत्काल प्रभाव से निलंबित करने का आदेश जारी किया है। निलंबन अवधि के दौरान उनका मुख्यालय बिलासपुर संभाग के संयुक्त संचालक कार्यालय में निर्धारित किया गया है। इस अवधि में उन्हें नियमानुसार जीवन निर्वाह भत्ता प्रदान किया जाएगा।

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युक्तियुक्तकरण प्रक्रिया और उसका महत्व

शिक्षा विभाग द्वारा शुरू की गई युक्तियुक्तकरण प्रक्रिया का उद्देश्य स्कूलों में शिक्षकों की उपलब्धता को संतुलित करना और शिक्षा की गुणवत्ता को बेहतर बनाना है। इसके तहत अतिशेष शिक्षकों की पहचान कर उनकी तैनाती उन स्कूलों में की जाती है, जहां शिक्षकों की कमी है। हालांकि, इस प्रक्रिया में पारदर्शिता और सटीकता जरूरी है, जिसके अभाव में न केवल प्रक्रिया प्रभावित होती है, बल्कि शिक्षकों और शिक्षा व्यवस्था पर भी नकारात्मक असर पड़ता है।

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लापरवाही पर सख्त रुख

बीईओ एमडी दीवान का निलंबन इस बात का संकेत है कि शिक्षा विभाग में अनियमितताओं और लापरवाही को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। ज्वाइंट डायरेक्टर ने इस कार्रवाई के जरिए स्पष्ट संदेश दिया है कि युक्तियुक्तकरण जैसे महत्वपूर्ण कार्यों में किसी भी तरह की कोताही को गंभीरता से लिया जाएगा।

प्रशासनिक स्तर पर सुधार की पहल

निलंबन के बाद अब बीईओ के स्थान पर नए अधिकारी की नियुक्ति या वैकल्पिक व्यवस्था की जा सकती है, ताकि बम्हनीडीह विकास खंड में युक्तियुक्तकरण की प्रक्रिया सुचारु रूप से पूरी हो सके। साथ ही, इस घटना से शिक्षा विभाग के अन्य अधिकारियों को भी यह संदेश मिला है कि कार्य में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करना अनिवार्य है। यह कार्रवाई न केवल प्रशासनिक स्तर पर सुधार की दिशा में एक कदम है, बल्कि शिक्षा व्यवस्था को और अधिक प्रभावी बनाने के लिए सरकार की प्रतिबद्धता को भी दर्शाती है।

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