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वैसे तो जशपुर को नागलोक कहा जाता है लेकिन दंतेवाड़ा में वन विभाग और युवाओं के द्वारा सांपों का संरक्षण किया जा रहा है। इससे नेस्ली में नागलौक बन गया है। बैलाडीला के पहाड़ों में अलग-अलग प्रजातियों के सांप देखने को मिलते हैं, जो शहर तक भी पहुंच जाते हैं। एक-दो नहीं हजारों की संख्या में इस क्षेत्र में सांपों का रेस्क्यू किया जा चुका है।
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कई खतरनाक सांपों का बस्तर में बसेरा
इस क्षेत्र में सबसे ज्यादा रसलवाइपर सांप, कौत, कोबरा, धामन जैसे सर्प बाहुतायत मिलते हैं, इनमें से करैत, कोबरा और रसलवाइपर सांप के काटने से मृत्यु होने की संभावना सबसे ज्यादा रहती है। लेकिन बचेली के नेस्ली घाटी में इन सांपों को जंगलों में छोड़ा जाता है। यहां वन विभाग द्वारा बाकायदा बोर्ड लगाकर लोगों को सूचित भी किया जा रहा है, सावधान रहें नेरली घाटी रिजर्व फारेस्ट का यह क्षेत्र है जहां सांपों को छोड़ा जाता है। पिछले 10 साल से संरक्षित यहां सांपों को संरक्षित किया जा रहा है। यहां हिमालय में मिलने वाली सांपों की दुर्लभ प्रजाति वाइन स्नैक भी है। साथ ही तक्षक नाग भी है। नेरली के 1 हजार हेक्टेयर में हजारों की तादाद में कई सांप हैं। इहें यहां छोड़ा जाता है।
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सांप को प्राणी संरक्षण समिति और वन विभाग बचा रहा
प्राणी संरक्षण कल्याण समिति के सदस्यों को दंतेवाड़ा जिले के अधिकांश नागरिक पहचानते हैं। युवाओं का यह संगठन अब तक पंद्रह हजार से अधिक सौं और अन्य जीवों को जिले भर के आवासीय स्थानों से सुरक्षित निकालकर सुदूर वन में छोड़ने का कार्य कर चुके हैं। चौबीस घंटे सेवा में तत्पर दल के सदस्य फोन आने पर तत्काल पहुंचते हैं। कई बार रात्रिकाल में भी सुदूर ग्राम में पहुंचकर बचाव कार्य किया है। बीजापुर में बहुत सांप मिलते हैं।
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