/sootr/media/media_files/2025/11/05/bastar-development-new-beginnings-investment-confidence-2025-11-05-14-47-57.jpg)
Impact Feature
Raipur. 1 नवंबर 2000 को जब छत्तीसगढ़ भारत का 26वां राज्य बना, तब बस्तर का नाम देश में पिछड़े और नक्सल प्रभावित इलाके के रूप में लिया जाता था। यहां की सड़कों पर विकास के बजाय बंदूकों की आवाज गूंजती थी। गांवों तक न तो सड़कें थीं, न स्कूल, न अस्पताल... लेकिन अब तस्वीर बदल चुकी है। पिछले 25 वर्षों में छत्तीसगढ़ ने नई कहानी लिखी है।
मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की अगुआई में बस्तर अब आत्मनिर्भरता, विश्वास और प्रगति का प्रतीक बन गया है। जिस धरती पर कभी डर का साया था, वहां अब विकास की रफ्तार दिखाई दे रही है।
पिछले दिनों आयोजित 'इन्वेस्टर कनेक्ट' में बस्तर को लेकर निवेशकों का भरोसा साफ दिखाई दिया है। 33 निवेश प्रस्तावों में करीब 967 करोड़ रुपए के प्रोजेक्ट सामने आए हैं, जिनसे करीब 2,100 युवाओं को रोजगार मिलने की संभावना है। यह निवेश स्वास्थ्य, पर्यटन, खाद्य प्रसंस्करण, होटल, वेयरहाउस और स्थानीय उद्योगों में किया जा रहा है। मुख्यमंत्री साय का कहना है कि जो क्षेत्र कभी हिंसा के कारण पीछे रह गया था, अब वही उद्योग और निवेश की नई पहचान बनने जा रहा है।
बस्तर की पहचान बन चुका ‘बस्तर आयरन क्राफ्ट’ अब अंतरराष्ट्रीय बाजार में अपनी जगह बना चुका है। सरकार कारीगरों को डिजाइन ट्रेनिंग, मार्केटिंग और एक्सपोर्ट की सुविधा देकर उन्हें सशक्त बना रही है। कृषि और वन आधारित उत्पादों से जुड़ी फूड प्रोसेसिंग, जैव-ईंधन और जैव-उर्वरक इकाइयां भी यहां स्थापित हो रही हैं। स्थानीय फलों से जूस, जैम और प्राकृतिक रंग जैसे उत्पाद तैयार किए जा रहे हैं। तेजी से बदलते बस्तर की यह तस्वीर अब आत्मनिर्भर और आधुनिक छत्तीसगढ़ की नई पहचान बन रही है।
/sootr/media/post_attachments/d0941ed5-e38.jpg)
सड़क और रेल कनेक्टिविटी ने बदली रफ्तार
बस्तर की प्रगति में सबसे अहम भूमिका उसकी कनेक्टिविटी की है। सरकार ने अब तक 7 हजार 500 करोड़ रुपए से अधिक की सड़क और रेल परियोजनाओं को मंजूरी दी है। 2 हजार 300 करोड़ रुपए की सड़कों का निर्माण जारी है। 5 हजार 200 करोड़ रुपए के रेल निवेश से रावघाट–जगदलपुर रेल लाइन और अन्य डबलिंग प्रोजेक्ट पूरे हो रहे हैं।
माओवाद प्रभावित इलाकों में 275 किलोमीटर लंबी 49 सड़कें बन चुकी हैं। 11 पुल खड़े हो गए हैं। केशकाल घाटी का चौड़ीकरण और इंद्रावती नदी पर नया पुल बनना क्षेत्र की बड़ी उपलब्धि है। 607 मोबाइल टॉवर चालू किए गए हैं, जिनमें से 349 को 4जी में बदला गया है। सड़कों और रेल नेटवर्क के सुधरने से व्यापार, पर्यटन और आपातकालीन सेवाओं की पहुंच भी आसान हुई है।
अबूझमाड़ में पहली बार स्कूल और बिजली
आजादी के बाद पहली बार अबूझमाड़ के रेकावाया गांव में सरकारी स्कूल बन रहा है, जहां कभी माओवादी अपनी बैठकें करते थे।
हिंसा के कारण बंद पड़े 50 से अधिक स्कूल दोबारा खुल चुके हैं। हिड़मा के पैतृक गांव पूवर्ति समेत कई दुर्गम इलाकों में पहली बार बिजली पहुंची है। बीजापुर के चिलकापल्ली में 77 वर्षों बाद 26 जनवरी 2025 को पहली बार बल्ब जला, यह अपने आप में ऐतिहासिक पल था।
नियद नेल्ला नार योजना से गांव-गांव पहुंचा विकास
बस्तर के 327 गांवों तक सरकार की योजनाएं पहुंचाने के लिए शुरू की गई नियद नेल्ला नार (आपका अच्छा गांव) योजना ने नई उम्मीद जगाई है। इस योजना के तहत 54 सुरक्षा कैंपों के 10 किलोमीटर के दायरे में सड़कों का निर्माण, बिजली कनेक्शन, स्कूल, स्वास्थ्य केंद्र, राशन कार्ड, आधार कार्ड, किसान क्रेडिट कार्ड, प्रधानमंत्री आवास और वन अधिकार पट्टों का वितरण किया जा रहा है।
अब तक इस योजना से 81 हजार से अधिक लोगों को आधार कार्ड, 42 हजार को आयुष्मान कार्ड, 5 हजार परिवारों को किसान सम्मान निधि, 2 हजार परिवारों को उज्ज्वला योजना और 98 हजार से अधिक हितग्राहियों को राशन कार्ड दिए जा चुके हैं। इन गांवों में अब पहली बार पंचायत चुनाव, ध्वजारोहण और सरकारी योजनाओं का सीधा लाभ संभव हुआ है।
/sootr/media/post_attachments/9c0ef135-730.jpg)
नक्सलवाद पर निर्णायक प्रहार
मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के नेतृत्व में सरकार ने डेढ़ साल में निर्णायक अभियान चलाया है। इस दौरान 435 से ज्यादा नक्सली मुठभेड़ों में मारे गए। 1,432 से अधिक ने आत्मसमर्पण किया और 1,457 गिरफ्तार किए गए हैं। सुरक्षा बलों ने माओवादी संगठन के बसवराजू को भी खत्म कर दिया, जो नक्सल आंदोलन का मुख्य चेहरा था। बीजापुर के कर्रेगुड़ा में 31 नक्सलियों के मारे जाने को इस आंदोलन के अंत की शुरुआत माना जा रहा है। मुख्यमंत्री साय कहते हैं, हमारा लक्ष्य है कि मार्च 2026 तक छत्तीसगढ़ को नक्सलवाद से पूरी तरह मुक्त किया जाए।
सरेंडर करने वालों के लिए नीति
राज्य सरकार ने आत्मसमर्पण करने वाले माओवादियों के लिए देश की सबसे संवेदनशील नीति लागू की है। इसके तहत तीन साल तक हर महीने 10,000 रुपए का स्टाइपेंड, कौशल प्रशिक्षण और स्वरोजगार की व्यवस्था, नकद इनाम और कृषि या शहरी भूमि का आवंटन करने की योजना है।
/sootr/media/post_attachments/c256cb0e-f60.jpg)
210 नक्सलियों ने छोड़ी बंदूक
17 अक्टूबर 2025 को बस्तर ने इतिहास बनते देखा। पूना मारगेम—पुनर्वास से पुनर्जीवन कार्यक्रम के तहत 210 माओवादी कैडरों ने आत्मसमर्पण किया। इनमें एक सेंट्रल कमेटी सदस्य, चार दण्डकारण्य स्पेशल जोनल कमेटी सदस्य, एक रीजनल कमेटी सदस्य, 22 डिविजनल कमेटी सदस्य, 61 एरिया कमेटी सदस्य और 98 पार्टी सदस्य शामिल हैं। इन पर 9.18 करोड़ रुपये का इनाम घोषित था। मुख्यमंत्री ने इस अवसर को जीवन का सबसे भावनात्मक क्षण बताते हुए कहा कि ये सिर्फ आत्मसमर्पण नहीं, बल्कि शांति के बीज बोने का क्षण है। बंदूकें नीचे रखने वालों ने बस्तर का भविष्य बदल दिया है।
नई औद्योगिक नीति और रोजगार के अवसर
सरकार की नई उद्योग नीति 2024-30 में बस्तर को विशेष पैकेज दिया गया है। इसके तहत सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योगों को 45% पूंजी अनुदान, आत्मसमर्पित नक्सलियों को रोजगार देने पर 5 साल तक 40% वेतन सब्सिडी दी जाएगी। नागरनार स्टील प्लांट के सहायक उद्योगों के लिए नयानार में नया औद्योगिक क्षेत्र विकसित हो रहा है। मुख्यमंत्री कौशल विकास योजना के तहत अब तक 90 हजार 273 युवाओं को प्रशिक्षण मिला और 39 हजार 137 को रोजगार मिला है।
/sootr/media/post_attachments/a14a20aa-863.jpg)
तेंदूपत्ता संग्राहकों को सीधा फायदा
बस्तर की अर्थव्यवस्था में तेंदूपत्ता महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। सरकार ने तेंदूपत्ता की दर 4 हजार से बढ़ाकर 5 हजार 500 रुपए प्रति बोरा कर दी है। इससे 13 लाख परिवारों को सीधा लाभ हुआ है। चरण पादुका योजना को फिर से शुरू कर संग्राहकों को सुरक्षा और सम्मान दोनों दिया जा रहा है।
इको-टूरिज्म बन रहा आय का जरिया
बस्तर का इको-टूरिज्म, जनजातीय संस्कृति और प्राकृतिक सुंदरता अब राज्य की पहचान बन रही है। यहां आयोजित बस्तर ओलंपिक में 1.65 लाख से अधिक प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया, जबकि बस्तर पंडुम में 47 हजार कलाकारों ने अपनी पारंपरिक कला से सबका दिल जीता। पारंपरिक जनजातीय पुजारियों बैगा, गुनिया और सिरहा को सरकार ने 5 हजार रुपए वार्षिक सम्मान निधि देना शुरू किया है।
/sootr/media/post_attachments/b2fa6014-f9a.jpg)
इंद्रावती से सिंचाई और बिजली की नई शक्ति
मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात कर 50 हजार करोड़ की बोधघाट सिंचाई परियोजना को राष्ट्रीय परियोजना का दर्जा देने का आग्रह किया है। इस परियोजना से 8 लाख हेक्टेयर जमीन पर सिंचाई सुविधा मिलेगी और 200 मेगावाट बिजली उत्पादन संभव होगा। इंद्रावती और महानदी को जोड़ने की योजना भी इसी दिशा में एक बड़ा कदम है।
सुरक्षा बलों और स्थानीय युवाओं की नई भूमिका
सरकार ने ‘बस्तर फाइटर्स’ बल में 3,202 पदों का सृजन किया है। इससे स्थानीय युवाओं को रोजगार मिलेगा और सुरक्षा मजबूत होगी। एनआईए और एसआईए की टीमों ने नक्सल फंडिंग और सप्लाई नेटवर्क पर सटीक कार्रवाई की है। यह समन्वित रणनीति अब “डर नहीं, विकास” का माहौल बना रही है।
/sootr/media/post_attachments/2587e434-d9e.jpg)
विश्वास से विकास की राह
छत्तीसगढ़ मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय कहते हैं, हमारा लक्ष्य सिर्फ नक्सलवाद का अंत नहीं, बल्कि एक नए बस्तर का निर्माण है, जहां हर घर में विश्वास और हर मन में विकास की रोशनी हो। आज बस्तर का बच्चा स्कूल जा रहा है, युवाओं को रोजगार मिल रहा है, महिलाएं आत्मनिर्भर बन रही हैं, और गांवों तक बिजली, पानी और सड़क पहुंच चुकी है। एक वक्त जो इलाका बंदूकों की आवाज़ से कांपता था, अब वहां बच्चों की हंसी और विकास की गूंज सुनाई दे रही है।
RO 13257/6
/sootr/media/agency_attachments/dJb27ZM6lvzNPboAXq48.png)
Follow Us
/sootr/media/post_attachments/3cc462c7-569.jpg)