भारतमाला मुआवजा घोटाला, रायपुर-धमतरी में जांच में देरी, चार में से केवल एक समिति ने सौंपी रिपोर्ट

छत्तीसगढ़ के रायपुर और धमतरी जिलों में भारतमाला परियोजना के तहत भूमि अधिग्रहण मुआवजे में हुए कथित फर्जीवाड़े की जांच में काफी देरी हो रही है। इस घोटाले की जांच के लिए चार समितियां बनाई गई थीं, लेकिन इनमें से केवल एक समिति ने ही अपनी रिपोर्ट जमा की है।

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Krishna Kumar Sikander
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छत्तीसगढ़ के रायपुर और धमतरी जिलों में भारतमाला परियोजना के तहत भूमि अधिग्रहण मुआवजे में हुए कथित फर्जीवाड़े की जांच में देरी ने प्रशासनिक लापरवाही को उजागर किया है। इस बहुचर्चित घोटाले की जांच के लिए गठित चार समितियों में से केवल एक ने ही अपनी रिपोर्ट संभागायुक्त, रायपुर को सौंपी है। शेष तीन समितियों की ओर से अब तक कोई ठोस प्रगति नहीं दिखाई दी है, और उनकी रिपोर्ट जमा करने की समयसीमा अनिश्चित बनी हुई है। इस देरी ने न केवल जांच प्रक्रिया पर सवाल उठाए हैं, बल्कि प्रशासनिक जवाबदेही को लेकर भी चिंता बढ़ा दी है।

जांच में बार-बार देरी, 15 अगस्त की समयसीमा भी बीती

भारतमाला परियोजना के तहत रायपुर-विशाखापट्टनम आर्थिक गलियारे के लिए भूमि अधिग्रहण में मुआवजे के वितरण में अनियमितताओं की शिकायतें सामने आने के बाद चार जांच समितियों का गठन किया गया था। इन समितियों को 30 जुलाई तक अपनी जांच पूरी कर रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया गया था। हालांकि, इस समयसीमा तक कोई भी समिति अपनी जांच पूरी नहीं कर सकी। इसके बाद संभागायुक्त महादेव कांवरे ने सख्त रुख अपनाते हुए 15 अगस्त तक हर हाल में रिपोर्ट जमा करने का अल्टीमेटम दिया था। अधिकारियों को देरी के लिए फटकार भी लगाई गई थी, लेकिन इसके बावजूद केवल एक समिति ही अपनी रिपोर्ट सौंप पाई। शेष तीन समितियों की ओर से अब तक कोई स्पष्ट जवाब या समयसीमा नहीं दी गई है।

चार समितियों का गठन, तहसीलवार जांच की जिम्मेदारी

मुआवजा घोटाले से संबंधित 164 शिकायतों की जांच के लिए तहसीलवार चार समितियों का गठन किया गया था। इन समितियों की अध्यक्षता संभाग उपायुक्त ज्योति सिंह, अपर कलेक्टर निधि साहू, ज्वाइंट कलेक्टर उमाशंकर बांदे और धमतरी के अपर कलेक्टर इंद्रा देवहारी को सौंपी गई थी। इनके सहयोग के लिए डिप्टी कलेक्टर, तहसीलदार और नायब तहसीलदारों की टीमें भी नियुक्त की गई थीं। प्रत्येक समिति को शिकायतों की व्यक्तिगत जांच कर यह स्पष्ट करने का निर्देश था कि किन मामलों में फर्जीवाड़ा हुआ और किनमें नहीं। साथ ही, प्रत्येक शिकायत के निराकरण का विवरण भी दर्ज करना था।

जांच में बाधा, दस्तावेजों की कमी और लापरवाही

जांच समितियों ने शिकायत की कि तहसील स्तर पर आवश्यक दस्तावेज उपलब्ध नहीं कराए जा रहे हैं, जिसके कारण जांच में देरी हो रही है। इस पर संभागायुक्त ने सभी उप-मंडल मजिस्ट्रेट (एसडीएम) को तत्काल दस्तावेज उपलब्ध कराने के निर्देश दिए। उन्होंने चेतावनी दी कि दस्तावेजों की अनुपलब्धता या लापरवाही बरतने वाले एसडीएम के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। इसके बावजूद, तीन समितियों की ओर से समयसीमा का पालन नहीं किया गया, जिससे प्रशासनिक प्रक्रिया की पारदर्शिता और विश्वस्नीयता पर सवाल उठ रहे हैं।

400 से अधिक शिकायतें, 150 संदिग्ध खाते

भारतमाला परियोजना के तहत रायपुर और दुर्ग संभागों में मुआवजे के वितरण में अनियमितताओं की 400 से अधिक शिकायतें और दावे-आपत्तियां सामने आई हैं। जांच में 150 संदिग्ध बैंक खातों की पहचान की गई है, जिनके जरिए कथित तौर पर मुआवजा राशि का दुरुपयोग किया गया। सूत्रों के अनुसार, 2020 से 2024 के बीच कुछ अधिकारियों, दलालों और निजी व्यक्तियों ने मिलकर जमीनों के मूल्यांकन में हेरफेर, फर्जी दस्तावेज तैयार करने और पहले से अधिग्रहित जमीनों को दोबारा बेचकर मुआवजा हड़पने की साजिश रची। इस घोटाले से सरकार को करोड़ों रुपये का नुकसान हुआ है।

पहले हो चुकी हैं गिरफ्तारियां

इस मामले में छत्तीसगढ़ की भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो/आर्थिक अपराध शाखा (एसीबी/ईओडब्ल्यू) ने अप्रैल 2025 में चार लोगों को गिरफ्तार किया था। गिरफ्तार आरोपियों में केदार तिवारी, उनकी पत्नी उमा तिवारी, हरमीत सिंह खनूजा और व्यवसायी विजय जैन शामिल थे। इन पर आरोप था कि इन्होंने दूसरों के नाम पर जारी मुआवजा राशि को हड़प लिया, जिसमें उमा तिवारी और उनके सहयोगियों ने करीब 2 करोड़ रुपये का फर्जीवाड़ा किया। रायपुर, दुर्ग, बिलासपुर और महासमुंद में 20 स्थानों पर छापेमारी के बाद इन गिरफ्तारियों को अंजाम दिया गया था।

प्रशासन की सख्ती, कार्रवाई की चेतावनी

संभागायुक्त महादेव कांवरे ने साफ कर दिया है कि 15 अगस्त की समयसीमा का उल्लंघन करने वाली समितियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने जांच अधिकारियों को हर शिकायत की व्यक्तिगत रिपोर्ट तैयार करने और फर्जीवाड़े के दोषियों की पहचान करने का निर्देश दिया है। संभागायुक्त का यह सख्त रुख दर्शाता है कि छत्तीसगढ़ सरकार इस घोटाले को लेकर गंभीर है और भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने के लिए कठोर कदम उठाएगी।

जनता का भरोसा बहाल हो

भारतमाला मुआवजा घोटाला छत्तीसगढ़ में प्रशासनिक और राजनीतिक चर्चा का केंद्र बना हुआ है। विपक्षी दल कांग्रेस ने इस मामले में सीबीआई जांच की मांग की थी, लेकिन सरकार ने इसे खारिज करते हुए कहा कि रायपुर संभागायुक्त पहले ही मामले की जांच कर रहे हैं। जांच की धीमी गति और केवल एक समिति की ओर से रिपोर्ट प्रस्तुत किए जाने से जनता में अविश्वास की भावना पनप रही है। प्रशासन के सामने अब चुनौती है कि वह शेष समितियों की रिपोर्ट जल्द से जल्द प्राप्त कर दोषियों के खिलाफ कार्रवाई सुनिश्चित करे, ताकि जनता का भरोसा बहाल हो सके। 

सुझाव और सतर्कता

पारदर्शिता सुनिश्चित करें : प्रशासन को जांच प्रक्रिया को और पारदर्शी बनाने के लिए नियमित अपडेट जनता के साथ साझा करने चाहिए।
दस्तावेजों की उपलब्धता : तहसील स्तर पर दस्तावेजों की समयबद्ध उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए कड़े कदम उठाए जाएं।
दोषियों पर कार्रवाई : फर्जीवाड़े में शामिल अधिकारियों और निजी व्यक्तियों पर त्वरित कार्रवाई से भविष्य में ऐसे घोटालों पर अंकुश लगेगा।

यह घोटाला न केवल भारतमाला परियोजना की विश्वसनीयता पर सवाल उठाता है, बल्कि प्रशासनिक व्यवस्था की जवाबदेही को भी कठघरे में खड़ा करता है। सभी की निगाहें अब शेष तीन समितियों की रिपोर्ट और प्रशासन के अगले कदम पर टिकी हैं।

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