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Bharatmala Project Scam: छत्तीसगढ़ के बहुचर्चित भारतमाला प्रोजेक्ट मुआवजा घोटाले में जेल में बंद चार आरोपियों हरमीत खनूजा, उमा देवी तिवारी, केदार तिवारी और विजय जैन को हाईकोर्ट से नियमित जमानत मिल गई है। ये सभी आरोपी पिछले तीन माह से रायपुर जेल में बंद थे।
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चीफ जस्टिस की सिंगल बेंच ने दी जमानत
जमानत याचिकाओं पर सुनवाई छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रमेश कुमार सिन्हा की एकल पीठ में हुई। याचिकाकर्ताओं की ओर से एडवोकेट सरफराज खान समेत अन्य अधिवक्ताओं ने दलीलें रखीं कि आरोपियों को जमानत न देने का कोई वैधानिक आधार नहीं है। अदालत ने ईओडब्ल्यू से केस डायरी मंगवाने के बाद, सभी तथ्यों को ध्यान में रखते हुए स्पष्ट किया कि यह अंतरिम नहीं, बल्कि नियमित जमानत है।
10 तक पहुंची गिरफ्तारियों की संख्या
घोटाले की जांच कर रही आर्थिक अपराध अन्वेषण शाखा (EOW) ने हाल ही में 6 और लोगों को गिरफ्तार किया है, जिनमें जल संसाधन विभाग के 2 रिटायर्ड अधिकारी और अन्य व्यक्ति शामिल हैं – गोपालराम वर्मा, नरेन्द्र नायक, खेमराज कोसले, पुनुराम देशलहरे, भोजराम साहू और कुंदन बघेल। इस प्रकार, अब तक इस केस में 10 लोगों की गिरफ्तारी हो चुकी है।
43 करोड़ का घोटाला
ईओडब्ल्यू की जांच में सामने आया कि 43 करोड़ रुपये का मुआवजा घोटाला किया गया। जमीनों को टुकड़ों में बांटकर 78 करोड़ का भुगतान एनएचएआई को दिखाया गया। फर्जी दस्तावेज, बैक डेट एंट्री और पटवारी, एसडीएम, भू-माफिया का सिंडिकेट बनाकर यह घोटाला अंजाम दिया गया।
हरमीत खनूजा की प्रमुख भूमिका
मुख्य आरोपी हरमीत खनूजा, जो कि तहसीलदार मनप्रीत कौर के पति हैं, और उनकी कंपनी दशमेश इन्स्टा वेंचर प्रा. लि. इस घोटाले के केंद्र में रही। कंपनी की सह-डायरेक्टर भावना कुर्रे, एसडीएम शशिकांत कुर्रे की पत्नी हैं। आरोप है कि हरमीत ने किसानों को अधिक मुआवजा दिलाने का झांसा देकर जमीन खरीदी और फिर मुआवजा लिया। जांच में पाया गया कि हरमीत की भूमिका सबसे सक्रिय और प्रमुख रही।
🔹 4 आरोपियों को राहत 🔹 तीन महीने से जेल में थे बंद 🔹 हाईकोर्ट का तर्क 🔹 10 गिरफ्तारियां अब तक 🔹 43 करोड़ का मुआवजा घोटाला |
भारतमाला परियोजना का दुरुपयोग
भारतमाला परियोजना भारत सरकार की प्रमुख राष्ट्रीय राजमार्ग विकास योजना है। रायपुर से विशाखापट्टनम तक 463 किमी की फोरलेन सड़क इस योजना के अंतर्गत बनाई जा रही है। लेकिन इस योजना के भूमि अधिग्रहण में बड़े पैमाने पर गड़बड़ी कर करोड़ों रुपये के फर्जी भुगतान किए गए।
यह मामला राज्य में भ्रष्टाचार और सरकारी योजनाओं के दुरुपयोग का बड़ा उदाहरण बनकर सामने आया है। हाईकोर्ट से मिली जमानत के बाद अब अगली सुनवाई में ईओडब्ल्यू द्वारा कोर्ट में पेश किए गए सबूतों की समीक्षा की जाएगी।
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